म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा?

Best Mutual Fund Choose Criteria Hindi 2021
अगर हम म्युचुअल फंड कि बातकरें तो आज के समय में 2000 से भी ज्यादा म्युचुअल फंड मार्केट में उपलब्ध हैं. कहते हैं Best Mutual fund Kaise Chune Hindi 2021 और सही कैसे चुनें? और सबसे बेस्ट म्युचुअल फण्ड कौन सा हैं ?
अगर हम आम आदमी की बात करें तो यह काफी चर्चा का विषय हैं, और यह सवाल सबसे पहले हमारे दिमाग में आता हैं जब हम म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने कि सोचते हैं, जिसे शेअर मार्केट का गणित नहीं पता होता वह Mutual Fund कि और ही देखते हैं.
आज हम इसी के बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करनेवाले हैं, अगर आप यह पुरा पढ़ लेते हैं तो आपको म्यूचुअल फंड कौन सा लेना योग्य होगा यह कभी भी ख्याल नहीं आयेगा.
म्युचूअल फंड क्या होता हैं?
यह एक सामुहिक निवेश होता हैं, म्युचूअल यानी आपसी और फंड यानी निवेश. अलग अलग निवेशकों द्वारा एक बड़ी राशी कि निवेश को एक व्यक्ती द्वारा अलग अलग या किसी एक सेक्टर पर निवेश किया जाता हैं जैसे शेयर मार्केट सेक्टर हो गया , असेट फंड हो गया ऐसे करके निवेश किया जाता हैं.
जिसे शेयर मार्केट का ज्ञान नहीं होता और जिसे बैंक से ज्यादा रिटर्न्स चाहिते होते हैं या तो शेयर मार्केट में निवेश करने कि ज्यादा रिस्क नहीं देनी होती वह ज्यादातर म्यूचुअल फंड को सही मानते हैं, लेकिन इससे पहले यह सवाल आता है कि 2000+ से भी म्यूचुअल फंड मार्केट में हैं हमे किसमे निवेश करना योग्य होगा तो इसी की विस्तार से हम चर्चा करेंगे चलिये देखते हैं.
सही म्युचूअल चुनने के लिये इन 7 बातों पर जरुर ध्यान दे
1. फंड मैनेजर का ट्रैक रेकॉर्ड पर ध्यान दें ( Fund Manager Track Record)
जब हम कोई म्युचुअल फंड को चुनने कि बात करते हैं तब सबसे पहले हमें जो भी फंड को कोई मैनजर चलाता है तो उसका Track Record को देखना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि फंड में क्या बदलाव करने हैं फंड में से कब किस सेक्टर अथवा शेअर कंपनी को निकालना है या उसमें ऐंड करना है यह सब पुरी तरह फंड मैनेजर के साथ में ही होता है, इसलिये इबसे पहले इसे पुरी तरह जांच ले.
2. डियवरसिफिकेशन से रिस्क कम होता हैं (Diversification Risk Minimise)
इसका मतलब जो भी फंड होता है वह किस अलग-अलग सेक्टर में इसको Include किया गया हैं? मतलब बैंकिंग सेक्टर, फार्मा सेक्टर, रियालीटी प्रोपर्टी सेक्टर ऐसे कितने अलग अलग सैक्टर में फंड द्वारा निवेश किया गया हैं, क्योंकी अगर एक हि सेक्टर पर सारा फंड डिपेंड होता है तो किसी न्युज के कारण या मंदी के कारण इसमें अचानक गिरावट आती है तो आपका निवेश में आपको बहुत छोटा सहन करना पड़ेगा इसलिए अगर एक से अधिक सेक्टर हो तो अगर एक किसी कारण वश नीचे भी जाता है तो बाकी सेक्टर उसे बैलैंन्स कर देंगे और आपको ओवरऑल प्रोफिट हि होगा.
3. फंड के रोलिंग रिटर्न देखना है जरुरी (Mutual Fund Rolling Returns)
ज्यादातर लोग जब म्यूचुअल फंड पर ध्यान देते हैं तो वह सिर्फ 1 या 2 साल कि ही रिटर्न्स देखते हैं और वह अच्छा या बुरा इस नतिजे पे आते हैं लेकिन इससे हम गलत जगह पर इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं क्योंकि आजकल ज्यादातर फंड मैनेजर या कंपनीया अपने फंड का बहुत हि अच्छे तरिके से मार्केटिंग करती हैं,और एक साल में कुछ जुगाड करके अच्छे रिर्टन्स लाते हैं और उसी एक साल के रिटर्न्स को दिखाकर ग्राहकों को लुभाया जाता हैं, आजकल बहुत काॅपिटेशन कि वजह से लोग सिर्फ एक या दो साल के Quarterly Returns Result को देखकर फंड का Good हैं या Bad हैं इस नतिजे पे पोहच जाते हैं, लेकिन हमें इसके बदले Rolling Returns Observed करना चाहियें मतलब इसमें हम साल या दोसाल कि बजह आजतक के रिटर्न्स को 5 -5 सालो में डिवाइड करतें हैं. इससे हि हम कंपनी के रिकाॅर्ड को अच्छी तरह से जान सकते हैं.
अगर म्युचुअल फंड सही में अच्छा है तो Long Term Rolling Returns भी अच्छे होंगे, तब आप उसमे Investment कर सकते हों. अगर आप इन्वेस्टमेंट के ऊपर अधिक जानकारी चाहते है तो हमारा इन्वेस्टमेंट कहा करनी चाहिये यह ब्लाॅग अवश्य पढ़ सकते हैं.
4. एएमसी ट्रॅक रेकाॅर्ड को जानें ( Company AMC Track Record)
म्युचुअल फंड चुनते समय में AMC Track Record का चेक करना भी बहुत जरुरी होता हैं, अगर एक कंपनी हैं और वह 10 फंड चलाती है तो हमें एक कि बजह वो 10 Fund कैसे चल रहे हैं सारे फंड ने हर साल कितने रिटर्न्स दिये हैं यह सब जानना होगा, क्योंकी कईबार क्या होता हैं कि किसी कंपनी का एक ही फंड ने Quarterly Returns ज्यादा दिये होते हैं तो वह उसे ही फोकस करती है ना कि बाकी फंड पे और हम मार्केटिंग से प्रभावित होकार ऐसी कंपनीयों में निवेश करते हैं बिना जादा सोचे हुयें तो हमें ऐसा नहीं करना हैं.
किसी एक फंड को देखने कि बजह हम अगर पुरी AMC Track Record Analysis करें तो हमें Long term Investment Profit या Money Returns मिल सकते हैं.
5. म्युचुअल फंड कि हिस्ट्री देखना जरुरी (Mutual Fund History)
अगर आप कोई भी में Mutual Fund Investment करने कि सोचते हो तो कम से कम उसकी 6 या 7 साल कि रेकाॅर्ड उपलब्ध होनी चाहिये तभी उसमें इन्वेस्टमेंट करें.
कई बार लक कि वजह से या तो किसी अन्य कारणों से एक साल के रिटर्न्स ज्यादा आते हैं तो हम उसी साल के Returns को देखकर उससे प्रभावित होते हैं ऐसा हमें नहीं करना चाहिये बहुत बार कंपनीया मर्ज होती है की बार नाम Mutual Fund Name Change किया जाता है, या तो नया नया फंड Launch हुआ होता हैं तो ऐसे में इससे प्रभावित ना हों कम से कम 6-7 सारे के रेकाॅर्ड होनेवाले फंड का विचार करना बेहतर होगा.
6. कम एक्सपेंन्स रेशों वाले फंड चुने ( Low Expense Ratio)
एक बात ध्यान रखें कि जितना कम फंड रेशों होगा उतना हि कम राशी आपकी आपके निवेश से Fund Manager या Mutual Fund म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? Company को जायेंगी और उतना ही ज्यादा निवेश आपका फंड में लगेगा तो जितना Low Expense Ratio होगा उतना आपके लिये अच्छा होगा.
7. पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशों भी जांच लें ( Portfolio Turn Over)
कई बार अचानक से Portfolio Turn Over Increase हो जाता है यह अक्सर तभी होता है जब फंड मॅनेजर या Filund manager Team Change कर दि जाती है तो वह अपने तरिके से स्टाॅक या सेक्टर में बदलाव करते हैं तभी ऐसा होता या , की बार किसी और फंड को या Scheme को Merge किया जाता है या Mutual Fund Reclassification हो जाता हैं, ऐसे में Mutual Fund Portfolio TurnOver अचानक से बढ़ रहा है तो आपको अलर्ट हो जाना होगा कि कुछ तो हो रहा है फंड में ऐसे में आपको इसका भी बखुबी से ध्यान रखना होगा जब आप म्युचुअल फंड को चुनने जाते हों तो.
तो अगर आप इन 7 बातों को ध्यान रखते हो तो तो आपको बेस्ट म्युचुअल फंड 2021 चुनने के लिये कोई भी परेशानी नहीं रहेगीं.
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किस प्रकार के इक्विटी फंड में सबसे कम और किसमें सबसे ज़्यादा जोखिम होता है?
म्युचुअल फंड्स में कैटिगराइजेशन और उनमें मौजूद पोर्टफोलियो के आधार पर कई तरह के जोखिमों की आशंका रहती है। इक्विटी म्युचुअल फंड्स में कई जोखिमों की आशंका रहती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है बाजार जोखिम। एक कैटेगरी के तौर पर इक्विटी म्युचुअल फंड्स को 'उच्च जोखिम' निवेश उत्पाद माना जाता है। जबकि सारे इक्विटी फंड्स को बाजार जोखिमों का खतरा रहता है, जोखिम की डिग्री अलग-अलग फंड में अलग-अलग होती है और इक्विटी फंड के प्रकार पर निर्भर करती है।
लार्जकैप फंड्स जो लार्जकैप कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं यानी अच्छी आर्थिक स्थिति वाली जानी-मानी कंपनियों के शेयरों को सबसे कम जोखिम भरा माना जाता है क्योंकि इन शेयरों को मिड कैप और छोटी कंपनियों के शेयरों की तुलना में सुरक्षित माना जाता है। कम जोखिम वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में आमतौर पर एक अच्छा डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है जो लार्ज-कैप कैटेगरी के सारे सेक्टरों में फैला होता है। व्यापक-आधारित बाजार सूचकांक पर आधारित इंडेक्स फंड्स और ETF जो निष्क्रिय रणनीति रखते हैं, उन्हें भी कम जोखिम वाला माना जाता है क्योंकि म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? वे डाइवर्सिफाइड बाजार सूचकांकों की नकल करते हैं।
फोकस्ड फंड्स, सेक्टोरल फंड्स और थीमैटिक फंड्स जोखिम स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर होते हैं क्योंकि उनके पास केंद्रित पोर्टफोलियो होता है। उच्च जोखिम वाले इक्विटी फंड्स आमतौर पर एक या दो सेक्टरों तक सीमित अपनी होल्डिंग्स के कारण केंद्रित जोखिम से गुजरते हैं। भले ही फोकस्ड फंड्स जाने-माने लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करते हैं, लेकिन उनके पास आमतौर पर सिर्फ 25-30 शेयर होते हैं जो केंद्रित जोखिम को बढ़ाते हैं। अगर फंड मैनेजर का अनुमान सही हो जाता है, तो वह डाइवर्सिफाइड लार्ज-कैप फंड की तुलना में ज़्यादा रिटर्न दे सकता है लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है।
सेक्टोरल फंड्स ऑटो, FMCG या IT जैसे सिंगल सेक्टर के शेयरों में निवेश करते हैं और इसलिए काफ़ी जोखिम उठाते हैं क्योंकि इंडस्ट्री को प्रभावित करने वाली कोई भी अनचाही घटना पोर्टफोलियो के सभी शेयरों पर बुरा प्रभाव डालेगी। थीमैटिक फंड्स कुछ संबंधित इंडस्ट्री के शेयरों में निवेश करते हैं जो फिलहाल मांग में हैं लेकिन लंबी अवधि में आकर्षण खो सकते हैं।
निवेशक आमतौर पर एक आम धारणा रखते हैं कि इक्विटी फंड्स दूसरे फंडों की तुलना में ज़्यादा रिटर्न देते हैं, लेकिन उन्हें यह बात पता होनी चाहिए कि सभी इक्विटी फंड्स एक समान नहीं होते हैं। रिटर्न की संभावनाएं उनके इक्विटी फंड के रिस्क प्रोफाइल के अनुरूप होती हैं। इसलिए इसमें निवेश करने का फैसला लेने से पहले किसी भी केंद्रित जोखिम के लिए सारे सेक्टरों और टॉप होल्डिंग्स में फंड की विविधता की डिग्री देखें। सबसे कम जोखिम वाले या सबसे ज़्यादा रिटर्न वाले फंड्स देखने के बजाय, आपको ऐसा फंड देखना चाहिए जिसका जोखिम स्तर आप उठा सकते हैं।
म्यूचुअल फंड की ये 9 शर्तें जो आपको निवेश करते समय पता होनी चाहिए
Mutual Fund: म्यूचुअल फंड कैटेगरी की विभिन्न श्रेणियां हैं जैसे कि इक्विटी फंड, डेट फंड, हाइब्रिड फंड, समाधान-उन्मुख फंड आदि.
- Himali म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? Patel
- Publish Date - November 7, 2021 / 12:40 PM IST
धारणा यह है कि किसी परिसंपत्ति की कोई भी अत्यधिक कीमत अंततः लंबी अवधि में सामान्य हो जाएगी. इसलिए यह कमजोर इच्छा शक्ति वाले निवेशकों के लिए सही विकल्प नहीं है
Mutual Fund: निवेश के रूप में म्युचुअल फंड आज खुदरा निवेशकों के बीच शीर्ष विकल्पों में से एक माना जाता है. म्यूचुअल फंड में आगे निवेश करना निवेशक के उद्देश्यों, लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है. म्यूचुअल फंड वर्गीकरण की विभिन्न श्रेणियां हैं जैसे कि इक्विटी फंड, डेट फंड, हाइब्रिड फंड, सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड आदि. इसलिए निवेश करने से पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि म्यूचुअल फंड से जुड़े विभिन्न शब्द क्या हैं. आइए कुछ ऐसे शब्दों पर एक नज़र डालते हैं जिन्हें समझना महत्वपूर्ण है.
1. नेट एसेट वैल्यू (NAV)
एक म्यूचुअल फंड कंपनी का प्रति शेयर मूल्य है. यह फंड की देनदारियों को उसकी मौजूदा बाजार मूल्य संपत्ति से घटाकर और फिर उसे बकाया शेयरों से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है.
2. एसेट क्लास
एक परिसंपत्ति वर्ग निवेश और प्रतिभूतियों के समूह को संदर्भित करता है जिनकी विशेषताएं समान हैं. उदाहरण के लिए, सबसे आम परिसंपत्ति वर्ग इक्विटी, ऋण, निश्चित आय प्रतिभूतियां और नकद समकक्ष हैं.
म्यूचुअल फंड उद्योग में, व्यय अनुपात से तात्पर्य उस रखरखाव शुल्क से है जो म्यूचुअल फंड कंपनी अपने खर्चों और लागतों के वित्तपोषण के लिए लागू करती है.
इसमें प्रबंधन शुल्क, विज्ञापन लागत, आवंटन शुल्क और फंड की परिचालन लागत से संबंधित लागतें शामिल हैं. इसके अलावा, इसमें प्रवेश शुल्क, निकास शुल्क के साथ-साथ ब्रोकरेज शुल्क भी शामिल है.
बेंचमार्क एक उपकरण है जिसका उपयोग म्यूचुअल फंड कंपनियों, विशेष रूप से फंड मैनेजर द्वारा बेंचमार्क रिटर्न के मुकाबले तुलना करने के लिए किया जाता है कि उनके फंड ने कितना कमाया है.
अगर फंड मैनेजर अपने बेंचमार्क रिटर्न को मात देते हैं, तो यह माना जाता है कि फंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. भारत में, बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी कुछ लार्ज-कैप कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले प्रसिद्ध बेंचमार्क हैं.
जनवरी 2013 में, मार्केट वॉचडॉग सेबी ने फंड हाउस और एसेट मैनेजमेंट फर्मों (एएमसी) को म्युचुअल फंड को दो श्रेणियों में वर्गीकृत करने के लिए अनिवार्य कर दिया, अर्थात् नियमित फंड और डायरेक्ट फंड.
एक डायरेक्ट म्यूचुअल फंड निवेशकों द्वारा सीधे फंड हाउस या एएमसी से खरीदा जाता है. इस मामले में निवेशकों और फंड हाउस के बीच कोई मध्यस्थ, एजेंट या वितरक नहीं होता है. एक नियमित म्यूचुअल फंड किसी तीसरे पक्ष, एजेंट या वितरक द्वारा वितरित किया जाता है.
जब एजेंट सफलतापूर्वक निवेशकों को ढूंढ लेता है, तो एएमसी एजेंट को कमीशन या ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान करती है. परिणामस्वरूप, नियमित निधियों का व्यय अनुपात प्रत्यक्ष निधियों के व्यय अनुपात से अधिक होगा.
एक फंड मैनेजर वह होता है जो निवेशकों के पैसे को संभालने और उन प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए जिम्मेदार होता है जो निवेशकों के लिए रिटर्न उत्पन्न करती हैं.
आमतौर पर, एक फंड हाउस में, अलग-अलग फंड मैनेजर अपने प्रकार के आधार पर अलग-अलग फंड का प्रबंधन करते हैं. इक्विटी फंड मैनेजर निवेश के उद्देश्यों, लक्ष्यों और फंड फिलॉसफी म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? के मामले में डेट फंड मैनेजर से अलग होगा.
निवेश उद्देश्य दर्शाता है कि फंड का लक्ष्य क्या है और निवेशकों के लिए धन या रिटर्न जुटाने की उसकी रणनीति क्या है. यह किस तरह का फंड है, इसके आधार पर विभिन्न फंडों के अलग-अलग निवेश उद्देश्य होते हैं.
उदाहरण के लिए, इक्विटी म्यूचुअल फंड के लिए, निवेश का उद्देश्य अधिक जोखिम उठाकर अधिक लाभ अर्जित करना होगा. डेट फंडों के लिए, यह निवेशक की वापसी की रक्षा करना और सरकारी प्रतिभूतियों में अधिक सुरक्षित रूप से निवेश करना होगा.
Mutual Funds Investment tips: थीम-आधारित और सेक्टर आधारित फंड क्या होते हैं ? कहां पैसा लगाना सही?
म्यूचुअल फंड में निवेश किसी के कहने या फिर सुनी हुई बातों के आधार पर म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? कतई ना करें.
सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड निवेशकों के लिए उपलब्ध एक तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं. ये वैसी स्कीम हैं जो किसी खा . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : February 16, 2022, 16:55 IST
Mutual Funds Investment tips: Share Market और Mutual Funds में निवेश पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. म्यूचुअल फंड में निवेशक चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिले और जोखिम भी कम हो. कुछ वर्ष पहले की तुलना में निवेश की दुनिया में आजकल सेक्टोरल या थीम आधारित प्रोडक्ट्स काफी लोकप्रिय होते जा रहे हैं. सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड निवेशकों के लिए उपलब्ध एक तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं. ये वैसी स्कीम हैं जो किसी खास थीम या सेक्टर में निवेश करती हैं. ये स्कीम या तो बहुत अच्छे रिटर्न दे सकती हैं या सालों तक नुकसान में रहती हैं. आइए सबसे पहले हम यह समझते हैं कि वे हैं क्या.
क्या होते हैं ये फंड
सेक्टर फंड के मामले में, किसी विशेष उद्योग या क्षेत्र से संबंधित शेयरों में निवेश किया जाता है. थीम-आधारित फंड विभिन्न क्षेत्रों या उद्योगों में निवेश कर सकते हैं लेकिन ऐसे उद्योग अक्सर किसी कॉमन थीम से जुड़े होते हैं.
सेक्टोरल फंड
सेक्टोरल फंड का मतलब ऐसे फंडों से है जो ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जो विशेष उद्योग समूह या सेक्टर (जैसे फार्मा, बैंकिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि) के भाग होते हैं. सेक्टर-आधारित इक्विटी फंड किसी विशेष उद्योग में ग्रोथ का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. सेक्टर-आधारित मार्केट पैटर्न अनूठे होते हैं और सही सेक्टर में निवेश से रिटर्न मिल सकता है जो मार्केट रिटर्न की तुलना में बहुत ज़्यादा होता है.
अगर निवेशक सही समय पर बाज़ार में एंट्री लेता है तो किसी सेक्टर में निवेश ज़्यादा रिटर्न दे सकता है. सेक्टर-आधारित रिटर्न आम तौर पर साइकिलिकल होते हैं. सेक्टर-आधारित को जोखिम भरा भी माना जाता है क्योंकि रिस्क विभिन्न सेक्टरों में डाइवर्सिफाई नहीं किया जाता है. सही समय पर एंट्री और एग्ज़िट की जानकारी रखने वाले अनुभवी निवेशकों की सलाह के अनुसार इसमें इंवेस्ट करना चाहिए.
थीम-आधारित फंड
थीम-आधारित फंड में सेमी-डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है. ये फंड कई सेक्टरों में निवेश करते हैं जो एक कॉमन थीम से जुड़े होते हैं, जैसे की हाउसिंग, टुरिजम, मेक इन इंडिया इत्यादी. अब हाउसिंग थीमेटिक फंड उन कंपनी में इंवेस्ट करता है जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. इस थीम में सिमेंट कंपनी, पेइंट कंपनी, हाउसिंग फाइनांस कंपनी, स्टील कंपनी और वो सारी कंपनीज आएगी जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. चाहे ये कंपनी अलग अलग सेकटर की क्यों न हो. लेकिन उसकी थीम एक होगी.
थीमेटीक इंवेस्टमेंट एक हाइ रिस्क और हाइ रिवोर्ड इंवेस्टमेंट
हाउसिंग थीमेटिक फंड इस सेकटर की सारी कंपनीज का एनालिसिस करेगा और उसमें से जो कंपनी उसे अच्छी लगती है उसमें इंवेस्ट करेगा. यानी वो हाउसिंग थीमेटीक फंड का कुछ हिस्सा सिमेन्ट कंपनी, कुछ हिस्सा पेइंट कंपनी इंवेस्ट करेंगे. इस प्रकार का इंवेस्टमेंट रिस्की होता है यानी अगर हाउसिंग की थीम चल गई तो आपको फायदा होगा वरना नुकसान. इसलिए थीमेटीक इंवेस्टमेंट एक हाइ रिस्क और हाइ रिवोर्ड इंवेस्टमेंट होता है.
थीम-आधारित म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं. वे बाजार में उभरते रुझानों को पहचान कर उनमें निवेश करने की रणनीति बनाते हैं. इसलिए, जिन निवेशकों को फायदेमंद रुझानों की पहचान करने का अनुभव है, वे दीर्घकालिक निवेश के लिए थीम-आधारित फंड पर भरोसा कर सकते हैं.
हाई रिस्क, हाइ रिटर्न फंड
सर्टिफाइड फाइनांसियल प्लानर बिरजु आाचार्य बताते हैं की ये हाइ रिस्क, हाइ रिटर्न फंड होते हैं. जैसे हम इक्विटी मार्केट के लिए ये कहते हैं की इसमें कमसे कम 3 से 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए जबकी थीमटीक और सेक्टोरियल फंड में 5 से 7 साल के लिए निवेश करना चाहिए. जैसे फार्मा सेक्टर ने 2010 में और 2020 में अच्छा रिटर्न दिया और अब रियल एस्टेट और ओटो सेकटर अच्छे लग रहे हैं. आचार्य आगे बताते हैं की सेक्टोरियल और थीमेटिक फंड इकोनोमी के साथ जुडे हुए फंड हैं. भविष्य में कौन सा सेकटर अच्छा पर्फोर्म करेगा उसका किसी को पता नहीं. क्योंकी हर एक सेकटर की एक सायकल है.
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