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Banks News: बैंक ऑफ महाराष्ट्र इस मामले में सरकारी बैंकों में सबसे आगे निकला, जानें SBI को मिला कौनसा स्थान
Banks News: तिमाही आंकड़ों के आधार पर इस सेगमेंट की ग्रोथ के मामले में कौनसा बैंक सबसे आगे है, उसका नाम जानकर आप चौंक सकते हैं. देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई इस लिस्ट में पहले स्थान पर नहीं है.
By: ABP Live | Updated at : 14 Nov 2022 08:51 AM (IST)
बैंक ऑफ महाराष्ट्र (फाइल फोटो)
Banks News: लोन ग्रोथ के मामले में देश में कौनसा सरकारी बैंक या PSU Banks सबसे आगे हैं इसपर तिमाही आंकड़ा आया है. इसके तहत कई तरह के मानकों पर बैंकों के प्रदर्शन को रखा गया है और इस मामले में जिस बैंक का स्थान पहला रहा है वो आपको चौंका सकता है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में प्रतिशत ऋण वृद्धि के मामले में सबसे आगे रहा है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के तिमाही आंकड़ों के मुताबिक, बीओएम का जुलाई-सितंबर 2022 की तिमाही में सकल अग्रिम 28.62 फीसदी बढ़कर 1,48,216 करोड़ रुपये हो गया.
जानें दूसरे और तीसरे स्थान पर कौनसा बैंक है
उसके बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की फीसदी वृद्धि दर 21.54 फीसदी रही और इसने तिमाही में 7,52,469 करोड़ रुपये के कर्ज आवंटित किए. तीसरे स्थान पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) रहा जिसकी ऋण वृद्धि दर 18.15 फीसदी रही और उसने कुल 25,47,390 करोड़ रुपये के कर्ज दिए.
रिटेल, एग्रीकल्चर और MSME लोन के मामले में भी BoM रहा नंबर वन
दूसरी तिमाही में खुदरा, कृषि और एमएसएमई (आरएएम) कर्जों के संदर्भ में भी बीओएम ने सर्वाधिक 22.31 फीसदी की वृद्धि दर हासिल की जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा 19.53 फीसदी और एसबीआई 16.51 फीसदी की दर से बढ़े.
कम लागत वाली करेंट अकाउंट सेविंग स्कीम्स
जहां तक कम लागत वाली चालू खाता बचत खाता जमाओं का सवाल है तो बीओएम ने 56.27 फीसदी की सबसे ज्यादा वृद्धि दर हासिल की. उसके बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 50.99 फीसदी वृद्धि के साथ दूसरे स्थान पर रहा.
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शुद्ध ब्याज मार्जिन के मामले में भी बैंक ऑफ महाराष्ट्र का जलवा
लाभ कमाने के प्रमुख संकेतक माने जाने वाले शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) के मामले में बीओएम और एसबीआई दोनों ने 3.55 फीसदी की दर हासिल की. उनके बाद बैंक ऑफ इंडिया 3.49 फीसदी के साथ दूसरे और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 3.44 फीसदी एनआईएम के साथ तीसरे स्थान पर रहा.
NPA के आंकड़ों पर डालें नजर
तिमाही आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के मोर्चे पर बीओएम का प्रदर्शन कुल अग्रिम का 3.40 फीसदी रहा है जबकि एसबीआई का सकल एनपीए उसके कुल अग्रिम का 3.52 फीसदी रहा. इन दोनों बैंकों का शुद्ध एनपीए इस तिमाही में क्रमशः 0.68 फीसदी और 0.80 फीसदी रहा है.
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Published at : 14 Nov 2022 08:51 AM (IST) Tags: Bank loan Central Bank of India credit growth Bank of Maharashtra Loan Growth SBI State Bank of India हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा क्या हैं-What is Quality Education in Hindi
गुणवत्तापूर्ण संकेतक मानक शिक्षा (Quality Education) आधुनिक समाज की मांग हैं और चाहे कोई भी क्षेत्र हो गुणवत्ता की मांग हर जगह होती हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से आशय शिक्षा में गुणों का विकास करना या गुणों का समावेश करना हैं जिससे छात्रों एवं शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति भली-भांति हो सकें।
जब किसी कार्य में उस कार्य से सम्बंधित सभी गुणों का (व्यावहारिक एवं सैद्धान्तिक) समावेश होता हैं तो उसे उस कार्य की गुणवत्ता के रूप में देखा व समझा जाता हैं और यही पहलू शिक्षा में भी होता हैं। हम शिक्षा में गुणवत्ता की बात जब करते हैं तो हम ऐसी शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण मानेंगें जो छात्रों को उस शिक्षा का लाभ पहुचाए।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) किसे कहते हैं?
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से आशय ऐसी शिक्षा से हैं जो अपने निर्माण के उद्देश्यों के भली-भांति निर्वहन करें। अगर हम आधुनिक युग की बात करें तो किसी भी देश की शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण कहना गलत होगा। वर्तमान की शिक्षा अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करने में असफल रही हैं। गुणवत्तापूर्ण (Quality Education) शिक्षा में प्रायः उसी शिक्षा का समावेश होता हैं। जो शिक्षा शिक्षण-अधिगम में छात्रों की रुचि एवं क्षमताओं को समझे एवं समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करें और छात्रों को जीविकोपार्जन योग्य बनाये। भारत की बात हम करें तो भारत मे आपको कई ऐसे पढ़े-लिखें मिल जाएंगे जो शिक्षा प्राप्ति के बाद भी बेरोजगार हैं। औसतन देखा जाए तो शिक्षित लोग ही बेरोजगार हैं और ये हमारी शिक्षा व्यवस्था के लिए शर्म की बात हैं।
1993 में हुए यूनेस्को (UNESCO) सम्मेलन में शिक्षण-अधिगम के 4 उद्देश्य निर्धारित किये गए जो इस प्रकार हैं-
#बनना सीखना (Learning to Be) – अर्थात व्यक्तियों के व्यक्तित्व का निर्माण करना,उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक,सांस्कृतिक गुणों का विकास करना। छात्रों को इस तरह तैयार करना कि वह देश काल परिस्थितियों के अनुसार समाज के साथ समन्वय स्थापित कर सकें। छात्र अपने सामाजिक कर्त्तव्यों का भली-भांति निर्वहन कर सकें।
#करना सीखना (Learning to Do) – यूनेस्को के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ छात्रों का ज्ञानात्मक विकास करना नहीं बल्कि छात्रों के क्रियात्मक विकास पर भी बल देना हैं। यह छात्रों को करके सीखने को स्थायी शिक्षा मानते हैं और वही शिक्षा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) मानी जाती हैं जो स्थायी हो और जिसका प्रयोग छात्र जरूरत पड़ने पर कर सकें।
#जानना सीखना (Learning to Know) – इसका अर्थ हैं ज्ञान को जानना अर्थात जो ज्ञान छात्र प्राप्त करते हैं उन्हें उस ज्ञान के बारे में पता होना चाहिए कि उसका उपयोग कब और कैसे करना हैं। यह सच भी हैं किसी शिक्षा को हम गुणवत्तापूर्ण तभी कह सकते हैं जब वह शिक्षा छात्र को कुछ भी जानने में उसका सहयोग करें।
#एक साथ रहना सीखना (Learning to Live Together) – हम उसी शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सकते हैं जो शिक्षा व्यक्तियों को समाज में एक साथ रहना सिखाती हैं। जो शिक्षा समाज के समस्त कार्यों में सहयोग कर रहना सिखाती हो उसी शिक्षा को गुनवत्तापरख शिक्षा (Quality Education) कहा जा सकता हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) के निर्धारक तत्व
पाठ्यक्रम (Curriculum)
पाठ्यक्रम शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रमुख कारक माना जाता हैं समस्त विद्यालय एवं शिक्षा का संचालन पाठ्यक्रम द्वारा ही होता हैं। इसीलिए शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए जरूरी हैं कि पाठ्यक्रम का निर्माण छात्रों के स्तर के अनुसार एवं समाज की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाए।
पर्यावरण (Environment)
शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए जरूरी हैं कि शिक्षा के उद्देश्यों के निर्माण भौतिक , सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक पर्यावरण के आधार पर किया जाए। सीखने के लिए उचित पर्यावरण का होना बहुत आवश्यक हैं और उसके लिए छात्रों के आस-पास का वातावरण अधिगम एवं शिक्षा के लिए अनुकूल बनाने अति आवश्यक हैं।
शिक्षक (Teacher)
शिक्षक समाज के नागरिकों को तैयार करता हैं इन सभी शिक्षा के क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व एक शिक्षक का होता हैं। शिक्षक की भूमिका शिक्षा में सबसे अहम मानी जाती हैं क्योंकि एक शिक्षक ही होता हैं जो ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्तानन्तरण करता हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने का कार्य एक शिक्षक ही कर सकता हैं।
छात्र (Students)
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) का विकास तभी सम्भव हैं जब छात्रों के व्यक्तित्व में भी गुणवत्ता का समावेश हो। छात्रों में अगर सीखने की जिज्ञासा हो एवं उनका चरित्र अध्ययनशील हो तो शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होने निश्चित हैं।
निष्कर्ष –
दोस्तों, शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करना होता हैं और यह तभी संभव हैं जब छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education in Hindi) प्रदान की जाए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा वह नहीं जो सिर्फ ज्ञान पर आधारित हो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तो वो हैं जो व्यावहारिक हो। जो छात्रों को समाज मे संघर्ष करने योग्य बना सकें। तो दोस्तों मुझे लगता हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको पता चल गया होगा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा क्या हैं? हमारी पोस्ट के माध्यम से आपको लाभ हुआ हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि वह भी इसे ज्ञान प्राप्त कर सकें। अपने इस पोस्ट के लिए सकारात्मक एवं नकारात्मक सुझावों के लिए हमें संदेश बॉक्स से संदेश भेजें ताकि हम अपने पोस्ट में सुधार कर सकें।
प्रधानमंत्री ने विशाखापत्तनम में विकास परियोजनाओं का किया शुभारंभ
शेयर बाजार 12 नवंबर 2022 ,13:15
© Reuters. प्रधानमंत्री ने विशाखापत्तनम में विकास परियोजनाओं का किया शुभारंभ
में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:
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विशाखापत्तनम, 12 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 10,742 करोड़ रुपये की सात विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया।विशाखापत्तनम में आंध्र विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित एक सार्वजनिक बैठक में उन्होंने दो परियोजनाओं का उद्घाटन किया और रिमोट दबाकर पांच अन्य की आधारशिला रखी।
इस मौके पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और अन्य उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री ने 2,917 करोड़ रुपये की लागत से विकसित तेल और प्राकृतिक गैस आयोग (ओएनजीसी (NS: ONGC )) की यू-फील्ड ऑनशोर डीप वाटर ब्लॉक परियोजना राष्ट्र को समर्पित की। अधिकारियों के अनुसार यह लगभग 30 लाख मीट्रिक मानक घन मीटर प्रति दिन (एमएमएससीएमडी) की गैस उत्पादन क्षमता वाली परियोजना की सबसे बड़ी गैस खोज है।
उन्होंने लगभग 6.65 एमएमएससीएमडी की क्षमता वाली गेल (NS: GAIL ) की श्रीकाकुलम अंगुल प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना की आधारशिला रखी। 745 किलोमीटर लंबी यह पाइपलाइन कुल 2,658 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनेगी।
प्राकृतिक गैस ग्रिड (एनजीजी) का एक हिस्सा होने के नाते, पाइपलाइन आंध्र प्रदेश और ओडिशा के विभिन्न जिलों में घरेलू घरों, उद्योगों, वाणिज्यिक इकाइयों और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगी। पाइपलाइन आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम और विजयनगरम जिलों में सिटी गैस वितरण नेटवर्क को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करेगी।
मोदी ने छह लेन के ग्रीनफील्ड रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारे के आंध्र प्रदेश खंड की आधारशिला रखी। इसे 3,778 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा।
आर्थिक गलियारे से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के औद्योगिक नोड्स के बीच विशाखापत्तनम बंदरगाह और चेन्नई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच तेजी से संपर्क प्रदान करने की उम्मीद है। यह आंध्र प्रदेश और ओडिशा के आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में भी सुधार करेगा।
उन्होंने लगभग 460 करोड़ रुपये की लागत से किए जाने वाले विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखी। पुनर्विकसित स्टेशन प्रति दिन 75,000 यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके यात्रियों के अनुभव में सुधार करेगा।
विशाखापत्तनम फिशिंग हार्बर के आधुनिकीकरण और अपग्रेड के लिए आधारशिला भी रखी गई। परियोजना की कुल लागत लगभग 152 करोड़ रुपये है। फिशिंग हार्बर, इसके अपग्रेड और आधुनिकीकरण के बाद, हैंडलिंग क्षमता 150 टन प्रति दिन से दोगुना होकर लगभग 300 टन प्रति दिन हो जाएगी। जेटी में टर्नअराउंड समय को कम किया जाएगा और मूल्य प्राप्ति में सुधार करने में मदद करेगा।
विशाखापत्तनम में कॉन्वेंट जंक्शन से शीला नगर जंक्शन तक एक समर्पित बंदरगाह सड़क का भी शिलान्यास किया गया। यह स्थानीय और बंदरगाह-बाध्य माल यातायात को अलग करके विशाखापत्तनम शहर में यातायात की भीड़ को कम करेगा।
प्रधानमंत्री ने श्रीकाकुलम-गजपति कॉरिडोर के एक हिस्से के रूप में 200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित एनएच-326 के पथपट्टनम खंड को राष्ट्र को समर्पित किया। यह परियोजना क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
एफटीआईआई पुणे ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के साथ समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर
शेयर बाजार 18 घंटे पहले (14 नवंबर 2022 ,15:15)
© Reuters. एफटीआईआई पुणे ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के साथ समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर
सोनीपत, 14 नवंबर (आईएएनएस)। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने अकादमिक और अभ्यास सहयोग के लिए फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई), पुणे के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है।एफटीआईआई के रजिस्ट्रार, सैय्यद रबीहाशमी (आईआईएस) ने कहा, जेजीयू के साथ साझेदारी से एफटीआईआई की पहुंच अपेक्षाकृत कम उम्र के छात्रों तक बढ़ेगी।
हम जल्द ही जेजीयू में वैकल्पिक पाठ्यक्रम शुरू करेंगे और फिल्म और टेलीविजन प्रस्तुतियों में नियमित शैक्षणिक कार्यक्रम तैयार करेंगे।
जेजीयू का छठा स्कूल, जिंदल स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन (जेएसजेसी), भारत का प्रमुख इंटरडिसिप्लिनरी ग्लोबल जर्नलिज्म स्कूल ने इस साल फिल्म और न्यू मीडिया में एक अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम लॉन्च किया। इसकी स्थापना 2017 में हुई थी।
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति, प्रोफेसर (डॉ) सी. राज कुमार ने कहा, सिनेमा कहानियों को साझा करने की कला है जो दर्शकों की कल्पना को जगा सकती है, सकारात्मक बदलाव के माध्यम के रूप में और आनंद और मनोरंजन के स्रोत के रूप में काम करती है। जिंदल स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन भारत में फिल्म और न्यू मीडिया पर अपनी तरह का अनूठा अंडरग्रेजुएट डिग्री संकेतक मानक प्रोग्राम लाने में सबसे आगे है। फिल्म निर्माण में भारत के स्वर्ण मानक जेजीयू और एफटीआईआई के बीच समझौता ज्ञापन युवाओं के लिए समकालीन फिल्म निर्माण में अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने का एक आकर्षक अवसर है जो सिनेमाई उत्कृष्टता के वैश्विक मानकों के अनुरूप है।
सोनीपत में जेजीयू के परिसर का दौरा करने वाली एफटीआईआई टीम में प्रोफेसर संदीप शहारे, डीन टेलीविजन, प्रोफेसर जीजॉय पी.आर, डीन फिल्म्स और संस्थान के रजिस्ट्रार सैय्यद रबीहशमी शामिल थे।
उन्होंने फिल्म, टेलीविजन, रेडियो के साथ-साथ साउंड और वीडियो एडिटिंग के लिए जेएसजेसी के अत्याधुनिक स्टूडियो का दौरा किया और कई मुद्दों पर फैकल्टी और छात्रों के साथ बातचीत की।
जेजीयू में रजिस्ट्रार, प्रोफेसर डाबीरू श्रीधर पटनायक ने कहा, यह भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान और ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के बीच एक ऐतिहासिक साझेदारी है। ज्ञान साझेदारी जिंदल स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन के विजन के अनुरूप है जो हमें अंत:विषय सेटिंग में फिल्म निर्माण से संबंधित शैक्षणिक और अभ्यास-आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने में सक्षम बनाएगा। इससे जिंदल स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन में हमारे नियमित कार्यक्रमों में वृद्धि होगी और हमारे छात्रों और हमारे समुदाय के सदस्यों को भी बहुत फायदा होगा।
यह समझौता जेएसजेसी के फिल्म और न्यू मीडिया कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण है और इसमें रोमांचक संभावनाएं हैं। यह छात्रों को डिजिटल युग में फिल्म शिक्षा के लिए एक अलग ²ष्टिकोण की कल्पना करने के लिए दोनों संस्थानों के लिए एफटीआईआई के अध्यापन और अभ्यास और खुले अवसरों तक पहुंच प्राप्त करने की अनुमति देगा।
जेएसजेसी के डीन, प्रोफेसर किशले भट्टाचार्जी ने कहा, हम कहानीकारों की एक नई पीढ़ी के लिए एक प्रशिक्षण मैदान के रूप में जेएसजेसी की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध संसाधनों की पेशकश करना चाहते हैं जो हमारे आसपास की दुनिया को पकड़ने के लिए चलती इमेजिस और साउंड का उपयोग करते हैं।
प्रदूषण घटते ही दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-3 की पाबंदियां वापस, निर्माण कार्यों पर लगी रोक हटी
वायु प्रदूषण के स्तर में कमी होने से दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों पर रोक हटा ली गई है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता आयोग (सीएक्यूएम) की ग्रैप समिति ने सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया।
वायु प्रदूषण के स्तर में कमी होने से दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों पर रोक हटा ली गई है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता आयोग (सीएक्यूएम) की चरणबद्ध संकेतक मानक कार्रवाई कार्य योजना (ग्रैप) समिति ने सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया।
बैठक में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तीसरे चरण की पाबंदियां वापस लेने का फैसला लिया गया। ग्रैप का तीसरा चरण 29 अक्टूबर को लागू हुआ था। इसमें जरूरी परियोजनाओं को छोड़कर बाकी निर्माण और ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी गई थी। ग्रैप का पहला और दूसरा चरण लागू रहेगा। इसके अंतर्गत खासतौर पर सड़कों की वैक्यूम क्लीनिंग, पानी का छिड़काव, निर्माण-ध्वस्तीकरण स्थलों पर एंटी स्मोग गन की तैनाती, धूल रोधी दिशा-निर्देशों का पालन, होटल-रेस्तरां में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल जैसे तमाम उपाय शामिल हैं।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग उम्मीद जताई है कि दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई में सुधार के बने रहने संकेतक मानक की संभावना, हालांकि 18 नवंबर को स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
सीक्यूएम के अनुसार सोमवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 294 दर्ज किया गया, जो जीआरएपी का तीसरा चरण लागू करने के मानकों से करीब 100 अंक नीचे है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में दर्ज की गई
राजधानी दिल्ली में सोमवार को वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार देखा गया और एक्यूआई 'खराब' श्रेणी में रहा, जबकि अधिकतम तापमान इस मौसम के औसत तापमान से तीन डिग्री अधिक 31.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिल्ली में पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 294 दर्ज किया गया, जो शनिवार की तरह रविवार को भी 303 रहा था।
उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' तथा 401 और 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।
दिन में बारिश की संभावना
मौसम विभाग ने बताया कि राजधानी में सोमवार को न्यूनतम तापमान 14.1 डिग्री सेल्सियस रहा, जो इस मौसम के औसत से एक डिग्री अधिक है। मौसम विज्ञानियों ने मंगलवार को सुबह आसमान साफ रहने और दिन में हल्की बारिश की संभावना जताई है। उन्होंने मंगलवार को अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 30 डिग्री सेल्सियस और 14 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का पूर्वानुमान जताया है।