नौसिखिया निवेशक के लिए एक गाइड

किस समय सीमा को चुनना है?

किस समय सीमा को चुनना है?
दिन में एक बार ही योग का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है बशर्ते कि योग गुरू का निर्देश हो। अगर आप सही तरह से योग का अभ्यास करेंगे तो जोड़ों का दर्द, गठिया, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, श्वास रोगों और यहां तक ​​कि कुछ मानसिक बीमारियों से भी राहत पा सकते है। अतः नियम से योग अभ्यास करें और निरोग रहें।

आदिकाल की समय सीमा क्या है?

Explanation : आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार हिंदी साहित्य के आदि काल की समय सीमा वि. सं. 1050 से वि. सं. 1375 तक है। जब कि भक्तिकाल की समय सीमा उन्होंने वि. सं. 1375 से 700 तक, रीतिकाल की समय सीमा वि. सं. 1700 से 1900 तक तथा आधुनिक काल की समय सीमा वि. सं. 1900 से आज तक स्वीकार किया है। शुक्ल ने वीर गाथा काल से पूर्व 'अपभ्रंश काल' का अस्तित्व स्वीकार नहीं किया है जिसमें सिद्धों, नाथों और जैन धर्मों की रचनाओं को सम्मिलित किया गया है।. अगला सवाल पढ़े

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वह समय सीमा क्या कहलाती है जिसमें कोई अध्ययन किसी स्थिति या समस्य

वह समय सीमा क्या कहलाती है जिसमें कोई अध्ययन किसी स्थिति या समस्य

एक अध्ययन के उद्देश्यों के साथ संयुक्त प्रत्येक प्रतिमान में अंतर, फोकस, दृष्टिकोण और जांच के मोड को निर्धारित करता है, जो बदले में, अध्ययन डिजाइन के संरचनात्मक पहलुओं को निर्धारित करता है। अध्ययन के डिजाइन मुख्य रूप से उन लोगों के चयन को आकर्षित करते हैं जिनसे जानकारी का पता लगाया जाता है और उन्हें इकट्ठा किया जाता है।

संदर्भ अवधि: यह उस समय-सीमा को संदर्भित करता है जिसमें एक अध्ययन किसी घटना, स्थिति, घटना या समस्या का पता लगा रहा होता है। प्रतिभागियों को गतिविधियों या अनुभवों को याद करने के लिए कहा जाता है, जैसे कि, आपने पिछले दो महीनों के दौरान इस कोर्स को करने में कितने घंटे लगाए?

क्या सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है ?

यौगिक क्युर फॉर कॉमन डिजीजेज पुस्तक के लेखक डॉ. फूलगेंदा सिन्हा लिखते हैं कि "योग करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है. लेकिन नाश्ता करने के पहले योग अभ्यास करना चाहिए. क्योंकि योग करते समय पेट हल्का व खाली होना चाहिए"

अगर आपको सुबह का समय पसंद नहीं है तो आप दूसरे समय को भी चुन सकते हैं. दूसरे समय का चयन करते वक्त पेट खाली हो यह सुनिश्चित करना चाहिए. खाना खाने के 3 घंटे बाद योग का अभ्यास कर सकते हैं.

खाना खाने के कुछ घंटे बाद ही योग अभ्यास करें

सुबह के जगह पर अगर आपने योग करने के लिए दूसरे समय का चुनाव किया है तो खाना खाने के तीन-चार घंटे के बाद ही योग अभ्यास करें। यहाँ तक कि चाय, कॉफी, जूस या दूसरा कुछ भी पीया है तो आधा घंटा के बाद ही योग अभ्यास शुरू करें।

योग के लिए समय का चुनाव करने के बाद योग अभ्यास शुरू करने के पहले सबसे ज़रूरी होता है शरीर को आरामदेह स्थिति में रखना। योग में एकाग्रता और शरीर में लचीलेपन की ज़रूरत होती है इसके लिए खुद को शांत रखना ज़रूरी होता है।

चुने हुए समय पर ही नियम से योग करें

डॉ. फूलगेन्दा के अनुसार जिस समय का चुनाव आपने किया है उसी समय पर रोज़ योग करें। इसलिए समय का चुनाव आप अपने रोज के कामों को ध्यान पर रख कर ही कीजिए ताकि अभ्यास का समय इधर-उधर न हो।

जिस भी योग के सेट का अभ्यास आप कर रहे हैं उसे हफ़्ते में पाँच से छह दिन तक करने के बाद ही आप शरीर में आए बदलाव को देख सकते हैं, जैसे वज़न घटना, तनाव से राहत या दूसरे लक्षण आदि।

आदिकाल की समय अवधि/आदिकाल की समय सीमा क्या है

0 हिन्दी के गुरु फ़रवरी किस समय सीमा को चुनना है? 01, 2021

आदिकाल के सीमा अवधि के प्रश्न पर विद्वानों में मतभेद है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास नामक ग्रंथ में आरंभिक काल का समय संवत् 1050 से संवत् 1375 माना है। आचार्य शुक्ला ने आदिकाल की सीमा निर्धारित करते समय दसवीं शताब्दी से पूर्व के साहित्य अलग कर दिया था। शुक्ला जी मूंज और भोज के समय (संवत् 1050) से ही हिंदी का विकास मानते हैं। ऐसा मानते हुए वे आठवीं से दसवीं शताब्दी तक के सिद्ध जैन आदि कवियों के साहित्य को आदिकाल में सम्मिलित नहीं करते हैं। शुक्ला जी का यह मत पूर्वाग्रह से युक्त है। अतः इसे तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार 10वीं से 14वीं सदी तक के साहित्य को आदिकाल में शामिल करते हैं। द्विवेदी जी आदिकाल और उसकी भाषा का विवेचन करते हुए लिखते हैं कि 10 वीं -14वीं शताब्दी के उपलब्ध लोक भाषा साहित्य को अपभ्रंश से थोड़ा भिन्न भाषा का साहित्य कहा जा सकता है। वस्तुत: वह हिंदी की आधुनिक बोलियों में से किसी के रूप में ही उपलब्ध होता है। यही कारण है कि हिंदी साहित्य इतिहास लेखक 10वीं शताब्दी से इस साहित्य का आरंभ स्वीकार करते हैं। इसी समय से हिंदी भाषा का आदि काल माना जा सकता है मिश्र बंधु, ग्रियर्सन, शिवसिंह सेंगार, आदि विद्वानों का भी यही मानना है।
दूसरी ओर जब हिंदी के प्रथम कवि के रूप में सरहपाद को स्वीकार करते हुए आदिकाल की आरंभिक सीमा का निर्धारण करते हैं तो आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आदि द्वारा निर्धारित आरंभिक सीमा पर प्रश्नचिह्न उपस्थित हो जाता है। वही राहुल सांकृत्यायन में सरहपाद का समय 769 ई. माना गया है और इस आधार पर आदिकाल की पूर्व सीमा 769 ई. के लगभग किया गया है। यह सत्य है कि कोई भी साहित्यिक आंदोलन किसी एक दिन से अथवा तिथि विशेष किस समय सीमा को चुनना है? आरंभ नहीं हो जाता। ऐसी स्थिति में 8वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध को आदिकाल के पूर्व सीमा माना जा सकता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल वीरगाथा काल की अंतिम सीमा संवत् (1050-1375) निर्धारित करते हैं। डॉक्टर ग्रियर्सन ने इस काल की अंतिम सीमा सन् 1400 और मिश्र बंधुओं ने सन् 1387 इसमें निर्धारित की है। ग्रियर्सन तथा मिश्रा बंधुओं द्वारा किया गया यह सीमांकन उचित प्रतीत नहीं होता क्योंकि इस समय तक भक्ति काव्य का सूत्रपात हो चुका था। डॉ रामकुमार वर्मा ने शुक्ला जी के मत से सहमति प्रकट की हैं। जब रामाशंकर शुक्ल रसाल ने सन् 1343 ईस्वी को आदिकाल की आरंभिक सीमा मानी है। इस प्रकार आचार्य शुक्ल के दी हुई थी थी को स्वीकार करते हुए लगभग 2-3 दशक के समय तक आदिकाल के अंतिम सीमा माना जा सकता है क्योंकि जिस प्रकार कोई साहित्यिक विचारधारा अचानक आरंभ नहीं हो जाती उसी प्रकार अचानक लुप्त भी नहीं हो जाती। अतः मोटे रूप में आदिकाल के आरंभिक सीमा 8वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध तथा अंतिम सीमा 14 वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध मानी जानी चाहिए।

बदतर होते हालात

यूएन आँकड़ों के अनुसार, क़रीब एक करोड़ 46 लाख सीरियाई लोग, इस समय मानवीय सहायता पर निर्भर हैं, जोकि अभी तक की सबसे बड़ी संख्या है.

पूरे सीरिया में, एक करोड़ 20 लाख लोग, अत्यन्त गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. इस संख्या में 2019 के बाद से 51 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

सीरिया के विपक्ष के नियंत्रण वाले पश्चिमोत्तर इलाक़े में, लगातार लड़ाई व गहराते आर्थिक संकट के कारण, मानवीय परिस्थितियाँ और भी ज़्यादा ख़राब हो रही हैं.

उससे भी ज़्यादा, वहाँ लगभग 41 लाख लोग, अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिये भी, मदद पर निर्भर हैं, और उनमें 80 प्रतिशत महिलाएँ व बच्चे हैं.

नैतिक विडम्बना

यूएन सीरिया आयोग के अध्यक्ष पाउलो पिनहीरो ने कहा है, “यह एक नैतिक विडम्बना है कि सीरिया की सरकार और अन्य पक्षों द्वारा ज़रूरतमन्द लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाने और पहुँचने देने में मदद करने की, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत लगातार अपनी ज़िम्मेदारियों के उल्लंघन के मद्देनज़र, सीमा पार सहायता को सम्भव बनाने के लिये, सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव ज़रूरी समझा गया.”

सुरक्षा परिषद द्वारा स्वीकृत इन सीमा पार अभियानों के ज़रिये, हर महीने 24 लाख लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचती है, जोकि सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में आबादी के लिये किस समय सीमा को चुनना है? जीवनरक्षक साबित हुई है.

आयोग का कामकाज

यूएन सीरिया जाँच आयोग ने, 11 वर्षों की संघर्ष की जाँच के दौरान इस बारे में दस्तावेज़ एकत्र किये हैं कि राहत कर्मियों, परिवहन और बुनियादी ढाँचे को प्रभावित करने वाले हमलों व उससे भी इतर हिंसा व असुरक्षा सहित पूरे संघर्ष ने, किस तरह, पूरे देश में मानवीय सहायता पहुँचाए जाने को प्रभावित किया है.

आयोग ने यह भी पाया है कि सरकार और ग़ैर-सरकारी सशस्त्र गुटों ने, किस तरह देश के भीतर मानवीय सहायता को बार-बार राजनैतिक सौदेबाज़ी के लिये इस्तेमाल किया है.

सीरियाई लोगों को याद रखें

आयोग के अध्यक्ष पाउलो पिनहीरो ने याद दिलाते हुए कहा कि मानवीय सहायता के लिये प्राप्त धनराशि, वहाँ के लोगों की इस समय की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं.

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, सीरियाई लोगों को बेसहारा नहीं छोड़ देने का आग्रह किया, जिन्होंने 11 वर्ष से विनाशकारी और विध्वंसक युद्ध देखा है.

यूक्रेन में हाल के युद्ध ने भी, सीरिया और वहाँ के लोगों के लिये अभूतपूर्व आर्थिक कठिनाइयों में योगदान किया है, जहाँ आवश्यक चीज़ों की आसमान छूती क़ीमतों के साथ-साथ, गेहूँ व अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की क़िल्लत ने भी भारी परेशानियाँ खड़ी कर दी हैं.

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