क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर

Rupee Fall Impact: एक डॉलर के मुकाबले 85 के लेवल तक रुपये के गिरने के आसार, जानें क्या होगा असर
Rupee - Dollar Update: इस साल के शुरुआत में भारत के पास 640 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था. जिसमें 100 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ गई है. और अब 532 अरब डॉलर रह गया है.
By: ABP Live | Updated at : 11 Oct 2022 02:18 PM (IST)
Edited By: manishkumar
Rupee Fall Impact: डॉलर के मुकाबले रुपया हर दिन गिरावट का नया रिकॉर्ड बना रहा है. मंगलवार 11 अक्टूबर, 2022 को एक डॉलर के मुकाबले 82.42 के स्तर पर रुपया जा लुढ़का. पर भारत की मुश्किलें यही खत्म नहीं होने वाली. क्योंकि माना जा रहा है कि रुपया 84 से 85 के लेवल तक गिर सकता है. एलारा ग्लोबल रिसर्च ( Elara Global Reserach) के रिपोर्ट के मुताबिक कच्चे तेल के दामों में उछाल, बढ़ता व्यापार घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के चलते रुपये में और कमी आ सकती है.
सोमवार को पहली बार रुपया 82.68 तक जा गिरा था जिसके बाद एलारा ग्लोबल रिसर्च ने ये रिपोर्ट जारी किया. एलारा की इकोनॉमिस्ट गरिमा कपूर ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मॉनिटरी पॉलिसी और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का खामियाजा रुपये को उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि व्यापार घाटे में बढ़ोतरी और कच्चे तेल के दामों में उछाल मुश्किलें बढ़ा रहा है. साथ ही उन्होंने आशंका जाहिर किया कि दिसंबर के आखिर तक रुपया एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 83.50 रुपये और मार्च 2023 तक 83 से 85 के लेवल तक आ सकता है. अमेरिका के जॉब डाटा के सामने आने के बाद रुपया एक डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर 82.68 के स्तर तक जा गिरा था.
अब सवाल उठता है कि गिरते रुपये का देश के विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापार घाटा, चालू खाते का घाटा, तेल के इंपोर्ट बिल पर क्या असर पड़ेगा.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट - देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखी जा रही है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 532.66 अरब डॉलर पर आ गया है. जो पिछले 2 सालों में सबसे कम है. दरअसल रुपये में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई को बार बार डॉलर बेचना पड़ रहा है जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है.
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Current Account Deficit - वैश्विक कारणों के चलते कमोडिटी प्राइसेज में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी के चलते इंपोर्ट महंगा हो चला है जिसका असर चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) के आंकड़े पर पड़ा है. मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून में चालू खाते का घाटा बढ़कर 23.9 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है जो कि जीडीपी का 2.8 फीसदी है. जबकि जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान चालू खाते का घाटा 13.4 अरब डॉलर था जो कि जीडीपी का 1.5 फीसदी है. जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट सरप्लस में 6.6 अरब डॉलर रहा था.
आरबीआई का मानना है कि 2022-23 में करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3 फीसदी रहने का अनुमान है जो इसके पहले वित्त वर्ष में जीडीपी का 1.2 फीसदी रहा था. सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि करंट अकाउंट डेफिसिट किसी भी हाल में 3 फीसदी के ऊपर ना जाए.
महंगे कच्चे तेल से बढ़ी मुश्किलें - रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही कच्चा तेल के दामों में उबाल है. कच्चा तेल 129 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा जो फिलहाल 97 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है. कच्चे तेल के दामों में उछाल और साथ में रुपये की कमजोरी और डॉलर की मजबूती के चलते भारत की तेल कंपनियों के इंपोर्ट करने के लिए ज्यादा कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है. भारत अपने खपत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. कच्चे तेल के दामों में उबाल से चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है. इससे ना केवल महंगाई बढ़ेगी बल्कि ज्यादा कीमत चुकाने के चलते विदेशी मुद्रा भंडार घटेगा.
आपको बता दें इस साल के शुरुआत में भारत के पास 640 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था. जिसमें 100 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ गई है. और अब 532 अरब डॉलर रह गया है. कई जानकारों का मानना है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 500 अरब डॉलर तक आ सकता है.
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Published at : 11 Oct 2022 02:18 PM (IST) Tags: Indian Economy trade deficit Crude oil Price foreign exchange reserves Current account deficit RBI Rupee - Dollar Update India Forex Reserves Rupee Fall Impact हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर
बिज़नेस न्यूज डेस्क - देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है और दो साल के निचले स्तर पर आ गया है। 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी आंकड़ों से मिली है। इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। देश के मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार की मदद ले रहा है। अक्टूबर 2021 से अब तक, रुपये के मूल्यह्रास के कारण, आरबीआई ने घरेलू मुद्रा के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए $ 100 बिलियन से अधिक का निवेश किया है।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई। आंकड़ों के मुताबिक देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के लिहाज से 247 मिलियन डॉलर घटकर 37,206 बिलियन डॉलर हो गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार की मदद से कोई भी देश जरूरत पड़ने पर अपनी मुद्रा में गिरावट को रोकने के लिए उचित कदम उठा सकता है। आयात पर निर्भर देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। वास्तव में, मुद्रा में गिरावट से आयात महंगा हो जाता है और माल के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। भुगतान करने की क्षमता पर प्रभाव के कारण आयात रुक जाता है और देश में माल की कमी हो सकती है।
सिकुड़ता विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल खतरे की घंटी नहीं, मगर RBI को संभलकर चलना होगा
अमेरिकी फेडरल बैंक दरें बढ़ा रहा है, तो रिजर्व बैंक को भी रुपये में गिरावट और विदेशी मुद्रा के भंडार को सिकुड़ने से रोकने के लिए दरें बढ़ानी पड़ेंगी लेकिन इससे आर्थिक वृद्धि की रफ्तार थम सकती है.
ग्राफिक्स: प्रज्ञा क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर घोष/ दिप्रिंट
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई और 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह गिरकर 45.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. यह 2 अक्तूबर 2020 के बाद का न्यूनतम स्तर है. इसका बड़ा कारण यह है कि रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा बाजार में बढ़चढ़कर दखल दी. कुछ दिनों पहले तक तो रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत को 80 डॉलर की सीमा पर रोके रखा.
डॉलर की कीमत में निरंतर उछाल के कारण रिजर्व बैंक को रुपये को बाजार के फंडामेंटल्स से जुड़ने की छूट देनी पड़ेगी और उसे संभालने के लिए दूसरे उपाय अपनाने पड़ेंगे. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि रिजर्व चालू खाते में सरप्लस की वजह से नहीं बना है बल्कि पूंजी की आवक के कारण बना है, और इस पूंजी में हाल के महीनों में काफी उथल पुथल मची है.
डॉलर में तेजी
कैलेंडर वर्ष के शुरू से, अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में वृद्धि की घोषणाएं कर रहा है. फेडरल फंड रेट अब 3 से 2.25 प्रतिशत के बीच है. फेडरल ओपेन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) के सदस्यों का कहना है कि फेडरल फंड रेट 2022 के अंत तक 4.4 फीसदी और 2023 में 4.6 फीसदी होगी. इसका अर्थ हुआ कि अभी दरों में और वृद्धि होगी.
इससे डॉलर ज्यादा आकर्षक बन जाता है. दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी दरों में वृद्धि कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी फेड की तुलना में धीमी गति से.
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उदाहरण के लिए, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दरों में 1.5 फीसदी की वृद्धि की, ऑस्ट्रेलियन सेंट्रल बैंक ने 2.25 फीसदी की वृद्धि की, यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने 1.25 फीसदी की वृद्धि की. नतीजतन, कई मुद्राओं के बीच डॉलर की ताकत का अंदाजा देने वाले डॉलर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर इंडेक्स में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई. अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में हाल में 75 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की तो डॉलर इंडेक्स दो दशक में सबसे ऊंचे स्तर, 111.8 पर पहुंच गया.
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
रुपये में गिरावट
डॉलर इंडेक्स में उछाल से रुपये में गिरावट का दबाव बनता है. यूक्रेन युद्ध के बाद से रुपये की कीमत में 8.9 फीसदी की गिरावट आई है. वैसे, समकक्ष देशों की मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर हाल में है. लेकिन यह स्थिति उसकी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री के कारण है.
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 86 अरब डॉलर की कमी आई है. जुलाई में रिजर्व बैंक ने 19 अरब डॉलर बेची. डॉलर की वास्तविक बिक्री के अलावा, डॉलर के तुलना में यूरो और येन जैसी मुद्राओं में गिरावट से भी रिजर्व पर असर पड़ता है.
डॉलर में उछाल डॉलर के सिवा दूसरी मुद्राओं के डॉलर मूल्य को गिराता है.
इसके उलट, अप्रैल 2013 से सितंबर 2013 के बीच हुए ‘टेपर टैंट्रम’ प्रकरण के दौरान रुपये की कीमत करीब 16 फीसदी कम हो गई. उस दौरान रिजर्व में मामूली, 21.5 अरब डॉलर की कमी आई.
कितना रिजर्व पर्याप्त है
अधिकतर देश विदेशी मुद्रा भंडार को अपनी अर्थनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं. बाजार में उथलपुथल का सामना करने, मुद्रा में भरोसा कायम करने, विनिमय दर को प्रभावित करने जैसे कई कारणों से उन्हें रोक कर रखा जाता है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश (आइएमएफ) ने कई शोधपत्रों के जरिए बताया है कि रिजर्व की पर्याप्तता को मापने के तीन पारंपरिक पैमाने हैं. जिन देशों में कैपिटल एकाउंट्स पर नियंत्रण रखा जाता है उनमें आयात को प्रासंगिक पैमाना माना जाता है. यह बताता है कि झटके के मद्देनजर आयात के लिए कितने समय तक वित्त उपलब्ध कराया जा सकता है. विकासशील देशों में तीन महीने तक आयात करने लायक रिजर्व को पर्याप्त मानने का नियम चलता है. लेकिन वित्तीय समेकीकरण में वृद्धि के कारण इस पैमाने को अब कम उपयोगी माना जाता है.
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा पैमाना बकाया अल्पकालिक बाहरी कर्ज की 100 फीसदी कवरेज है. यह खासकर उन देशों के लिए लागू है जो दूसरे देशों के साथ बड़े अल्पकालिक लेन-देन करते हैं. तीसरा पैमाना है व्यापक धन में रिजर्व के अनुपात का. इसका उपयोग पूंजी के बाहर जाने से उभरे संकट में रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन करने के लिए किया जाता है. हाल के संकट के साथ स्थानीय डिपॉजिट के भी बाहर जाने से संकट पैदा हुआ. इस जोखिम से बचने के लिए रिजर्व व्यापक धन (जनता के पास और डिपॉजिट में मुद्रा) के 20 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.
भारत के पास पर्याप्त रिजर्व
भारत में रिजर्व अब तक 3 महीने से ज्यादा के आयात बिल भरने लायक रहता आया है. अक्तूबर 2021 में रिजर्व 642 अरब डॉलर के शिखर पर था और 16 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता था. अब यह 545.6 अरब डॉलर पर आ गया है और 9 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता है. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के के बीच आयात में वृद्धि ने आयात कवर को घटा दिया है. हालांकि फिलहाल रिजर्व तीन महीने के आयात कवर की सीमा से ज्यादा है, लेकिन रिजर्व की क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर पर्याप्तता का आकलन उथलपुथल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक की पहल से किया जाएगा.
उपरोक्त दूसरे पैमाने के हिसाब से भारत का रिजर्व अल्पकालिक बाहरी कर्ज से ज्यादा है. हाल के अनुमानों के मुताबिक, अल्पकालिक बाहरी कर्ज उसके रिजर्व के अनुपात में आधे से भी कम के बराबर है. रिजर्व व्यापक धन के 20 प्रतिशत की सीमा से ठीक ऊपर है. रिजर्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे भी समय आए जब रिजर्व इस सीमा से नीचे था.
नीति का हासिल और चुनौतियां
डॉलर में तेज उछाल ने न केवल रुपये को बल्कि पाउंड, यूरो, येन जैसी मुद्राओं को भी कमजोर किया है. चालू खाते के घाटे के बीच पूंजी की विस्फोटक आवक ने रिजर्व में वृद्धि की गति को धीमा किया. जुलाई में, रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा की आवक को बढ़ाने और रुपये में गिरावट को रोकने के उपायों की घोषणा की थी. इन उपायों में, सरकारी तथा कॉर्पोरेट बॉन्डों में विदेशी निवेश की शर्तों को ढीला करना, विदेशी मुद्रा में उधार की सीमा में छूट देना, और बैंक आप्रवासियों से बड़े डिपॉजिट ले सकें इसकी छूट देना शामिल है. लेकिन डॉलर में तेजी के कारण इन उपायों का विदेशी मुद्रा की आवक पर फर्क नहीं पड़ा.
रिजर्व बैंक को शायद रुपये को सहारा देने के लिए दरों में शायद अतिरिक्त 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि करनी पड़ेगी. यह चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि इससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता पर ऐसे समय में दबाव बढ़ेगा जब क्रेडिट की मांग बढ़ रही है. और ज्यादा विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए बॉन्डों को उभरते बाजार के बॉन्ड सूचकांक में शामिल करना बेहतर होगा.
देश में विदेशी मुद्रा भंडार में इस हफ्ते फिर गिरावट जारी, जानिए क्या है गोल्ड रिजर्व का हाल
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई के खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह से हुई, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
विदेशी मुद्रा भंडार
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 21 मई 2022,
- (Updated 21 मई 2022, 11:17 AM IST)
1.302 अरब डॉलर घटा FCA
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) में एक बार फिर से गिरावट आई है. बीते हफ्ते यह 2.676 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रह गया. शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की ओर से जारी किए आंकड़ों में ये क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर जानकारी दी गई है.
वहीं इससे पहले के सप्ताह में ये 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया था. 29 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर घटकर 597.73 अरब डॉलर रह गया था.
आरबीआई के मई बुलेटिन में ‘स्टेट ऑफ इकोनॉमी’ पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, 6 मई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर था, जो कि वर्ष 2022-23 के लगभग 10 महीने के प्रोजेक्टेड इंपोर्ट के बराबर था.
1.302 अरब डॉलर घटा FCA
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई के खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह से हुई, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रिजर्व बैंक के मुताबिक रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 1.302 अरब डॉलर घटकर 529.554 अरब डॉलर हो गई. गौरतलब है कि डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
रिजर्व बैंक के आंकड़ों की मानें तो रिपोर्टिंग वीक में गोल्ड रिजर्व का मूल्य भी 1.169 अरब डॉलर बढ़कर 40.57 अरब डॉलर रह गया. रिपोर्टिंग वीक में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी एमआईएफ (IMF) में देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट 16.50 करोड़ डॉलर घटकर 18.204 अरब डॉलर रह गया. वहीं IMF में रखा देश का मुद्रा भंडार 3.9 करोड़ डॉलर 4.951 अरब डॉलर रह गया.
रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, दिसंबर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर तक 83 रुपये प्रति डॉलर तक जा सकता है भाव, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
मौजूदा वित्त वर्ष (FY23) के दौरान देश की जीडीपी विकास दर का अनुमान 7.2 फीसदी के स्तर पर बरकरार रहने की उम्मीद है। लेकिन रुपये में आ रही गिरावट की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में काफी कमी आने की आशंका है।
Rupee vs Dollar: भारतीय रुपये में लगातार गिरावट हो रही है। बुधवार को भारतीय रुपया डॉलर की तुलना में कमजोर होकर 81.93 डॉलर पर पहुंच गया, जो उसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। साल 2022 में भारतीय रुपये में 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है, और गिरावट का सिलसिला जारी है। परेशानी की बात ये है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला आने वाले दिनों में और तेज़ होने के आसार हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि दिसंबर तक एक डॉलर का भाव 83 रुपये तक जा सकता है। माना जा रहा है कि ग्लोबल इक्विटी और करेंसी मार्केट में गिरावट का असर भारतीय करेंसी पर भी दिखाई दे रहा है।
क्या होगा इसका असर?
2008 और 2013 में डॉलर के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी के बाद जिस रफ्तार से विदेशी मुद्रा भंडार में तब कमी आई थी उससे भी तेज गति से इस बार विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एक साल पहले आरबीआई के पास 642 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसमें अब 100 अरब डॉलर की कमी आ गई है और ये घटकर 545 अरब डॉलर रह गया है। माना जा रहा है कि दिसंबर तक इसमें और कमी आ सकती है और विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
क्या हैं इसके उपाय?
इस बीच बुधवार को आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की 3 दिवसीय बैठक शुरू हो चुकी है। शुक्रवार को इसमें लिए गए फैसलों का एलान हो सकता है। बाजार के विशेषज्ञों के मुताबिक रुपये की गिरावट पर नियंत्रण के लिए आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने का ऐलान हो सकता है। डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये हर रोज आ रहे रिकॉर्ड गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ( RBI) को दखल देना पड़ सकता है। ऐसे में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserves) में भारी कमी आने की आशंका है।