दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर

9. स्विस फ्रैंक (Swiss Franc) : स्विस फ़्रैंक (CHF) स्विट्जरलैंड और लिकटेंस्टीन दोनों दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर की नेशनल करेंसी है. डॉलर Swiss Franc के मुकाबले मजबूती में थोड़ा कमजोर है. एक यूएस डॉलर बदले आपको लगभग 0.98 स्विस फ़्रैंक ही मिलेंगे. स्विट्जरलैंड दुनिया के सबसे स्थिर और धनी देशों में से एक है. कई यूरोपीय देशों में स्विस फ्रैंक से कारोबार होता है. इसके अलावा इस करेंसी के लिए स्विटजरलैंड ने कई नियम बनाए हैं, जो इसे मजबूत और स्थिर बनाता है. मसलन, स्विस फ्रैंक (Swiss Franc) की नकदी रखने की लिमिट तय है. एक सीमा के बाद यह बैंकों में रखना होता है. दुनिया भर के लोग स्विस बैंकों में अपना पैसा जमा करते हैं. यह ग्लोबल दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर भरोसा स्विस फ्रैंक को डॉलर से मजबूत बनाए रखता है.
ये हैं दुनिया की 9 दमदार करेंसी, जिसके सामने अमेरिकी डॉलर भी है 'छोटू '
ग्लोबल मार्केट में डॉलर की हैसियत काफी बड़ी है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट (foreign exchange market) में अमेरिकी डॉलर की डिमांड बनी रहती है. मगर दुनिया की 9 ऐसी करेंसी है, जिसके सामने यूएस डॉलर भी बौना हो जाता है. मिडिल ईस्ट और यूरोप के कई देशों मे प्रचलित करेंसी अमेरिकी डॉलर पर भारी पड़ती है. जानिए ताकतवर विदेशी मुद्राओं के बारे में
नई दिल्ली : घरेलू शेयर बाजार में पॉजिटिव ट्रेडिंग के बीच मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 75.49 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. सोमवार को विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की तुलना में रुपया 75.68 था. इंडियन करेंसी यानी भारतीय मुद्रा रुपया की मजबूती से यह उम्मीद जताई जा रही है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार आया है. 25 मार्च, 2022 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.03 बिलियन डॉलर की कमी के साथ 617.648 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.
डॉलर की मजबूती के आगे फीके पड़े बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार, अमेरिका और जापान के मुकाबले कहां है भारत
Foreign Reserve डॉलर की मजबूती के कारण पिछले कुछ महीनों में यूरो ब्रिटिश पाउंड और येन की कीमत में तेजी के गिरावट हुई है जिससे दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों का विदेशी मुद्रा भंडार बड़ी मात्रा में गिरा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। डॉलर के लगातार मजबूत रहने के कारण वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। भारत ही नहीं, यूरोप के बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे गिरे हैं। इसके पीछे का कारण इन देशों की ओर से अपनी मुद्रा को सहारा देने के लिए डॉलर को बड़ी संख्या में खर्च करना है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की शुरुआत से दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर अब तक दुनिया के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की कमी आ चुकी है और यह घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर रह गया है। ब्लूमबर्ग की ओर से 2003 से आंकड़े एकत्रित किए जाने के बाद से अब तक की यह सबसे बड़ी गिरावट है।
डॉलर दो साल की ऊंचाई पर
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेड की ओर से ब्याज दर लगातार तीसरी बार 0.75 प्रतिशत बढ़ाने के एलान के बाद से डॉलर पूरी दुनिया की मुद्राओं के मुकाबले लगातार मजबूत हो रहा है। डॉलर, यूरो और दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर येन जैसी मजबूती मुद्राओं के सामने 20 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण
डॉलर की मजबूती के कारण दुनिया के विभिन्न देशों के पास दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर विदेशी मुद्रा भंडारों में मौजूद अन्य विदेशी मुद्राओं जैसे यूरो और पाउंड की कीमत में तेजी से गिरावट हुई हैं। इसके कारण दुनिया के विदेशी मुद्रा भंडारों का मूल्यांकन गिरा है। वहीं, दुनिया के सभी देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का एक अन्य बड़ा कारण डॉलर के सामने अपने देश की मुद्रा के अवमूल्यन में कमी लाने के लिए बड़ी मात्रा में डॉलर को बेचना है।
उदाहरण के लिए, भारत का विदेश मुद्रा भंडार इस साल की शुरुआत से अब तक 96 बिलियन डॉलर गिरकर 538 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इसमें 67 प्रतिशत गिरावट दुनिया की अन्य मुद्राओं में कमी के कारण है, जबकि बाकी की गिरावट भारतीय रुपये में गिरावट रोकने के लिए डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर खर्च करने के कारण हुई है। इस साल की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 10 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।
रुपये ने बनाया गिरने का नया रिकॉर्ड, पहली बार 82 के पार, आपके ऊपर होगा ये असर
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 07 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 07 अक्टूबर 2022, 2:21 PM IST)
भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. बीते दिनों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 81 के स्तर तक फिसल गया था, तो अब नए निचले स्तर (Rupee Record Low) को छूते हुए 82 के पार निकल गया है. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में यह कमजोर होकर 82.33 के स्तर पर आ गया. यहां बता दें रुपये में ये गिरावट कई तरह से आप पर असर (impact) डालने वाली है.
16 पैसे टूटकर छुआ रिकॉर्ड लो स्तर
पहले बात कर लेते हैं Rupee में लगातार जारी गिरावट के बारे में, तो बीते कारोबारी दिन मुद्रा बाजार (Currency Market) में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.88 के स्तर पर बंद हुआ था. बीते कुछ दिनों में इसमें कभी मामूली बढ़त और कभी गिरावट देखने को मिल रही थी. लेकिन कई रिपोर्ट्स में इसके 82 तक गिरने की आशंका जताई जा दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर रही थी.
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रुपये में गिरावट के बड़े कारण दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर
भारतीय मुद्रा रुपये में लगातार आ रही गिरावट के एक नहीं बल्कि कई कारण है. हालांकि, इसके टूटने की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है. दरअसल, अमेरिका में महंगाई (US Inflation) चार दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर दशक के उच्च स्तर पर बनी हुई है और इसके चलते वगां ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate Hike) रही हैं. बीते दिनों एक बार फिर से फेड रिजर्व दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर ने इनमें 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की.
दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने के कारण दुनिया भर की करेंसी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. क्योंकि डॉलर के मजबूत होने पर इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इन्वेस्टर्स की इस बिकवाली का असर रुपया समेत दुनिया भर की करेंसियों पर हो रहा है. इसके अलावा जबकि, रूस और यूक्रेन युद्ध और उससे उपजे भू-राजनैतिक हालातों ने भी रुपया पर दबाव बढ़ाने का काम किया है.
Rupee VS Dollar : मजबूत डॉलर से क्या पूरी दुनिया में मंदी लाएगा अमेरिका? क्यों पैदा हो रहा ये डर
डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा अभी 82 रुपये के आसपास है.
भारतीय मुद्रा सहित दुनियाभर की करेंसी इस समय डॉलर के सामने पानी भर रही है. इसका कारण ये नहीं कि किसी देश की मुद्रा कमजोर हो रही है, बल्कि डॉलर में आ रही मजबूती की वजह से उस मुद्रा पर दबाव है. आलम ये है कि अमेरिका डॉलर को मजबूत बनाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है, जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा.
- News18Hindi
- Last Updated : October 19, 2022, 07:40 IST
अमेरिका को डॉलर के अंतरराष्ट्रीय करेंसी होने से जबरदस्त फायदे होते हैं.
अमेरिका अपने इंपोर्ट के गैप को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करता है.
दुनियाभर में होने वाला 40 फीसदी व्यापारिक लेनदेन डॉलर में ही किया जाता है.
नई दिल्ली. डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपये का संकट भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. दुनियाभर के बाजारों में मंदी के बावजूद भारतीय बाजार किसी तरह अपने पैरों पर खड़ा होता नजर आ रहा है, लेकिन कमजोर करेंसी बाजारों को भूत की तरह डरा रही है. अब सवाल उठता है कि क्या अमेरिका जानबूझकर डॉलर को मजबूत कर रहा है या फिर अमेरिका को अपनी मंदी से ज्यादा डॉलर के कमजोर होने का दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर डर है.
डॉलर हुआ मजबूत, रुपए में आई रिकॉर्ड गिरावट, जानिए दुनिया की सबसे शक्तिशाली मुद्राओं के बारे में
राज एक्सप्रेस। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रूपए में गिरावट आने से भारतीय मुद्रा अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। सोमवार को भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 43 पैसे गिरकर 78.28 रूपए पर बंद हुई। इसी के साथ इतिहास में यह पहला मौका है जब भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर 78 रुपए के नीचे जा पहुंची है। रूपए में गिरावट का बड़ा कारण विदेशों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती को माना जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको दुनिया की 5 सबसे मजबूत मुद्राओं के बारे में बता रहे हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें दुनिया की सबसे लोकप्रिय मुद्रा अमेरिकी डॉलर का नाम शामिल नहीं है।