क्या है ट्रेंड ट्रेडिंग

क्या शेयर बाजार में ट्रेडिंग बंद करने से बच जाएंगे रोज डूब रहे पैसे?
कोरोना का सीधा असर दुनिया भर के शेयर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है. 18 मार्च को जब भारत का शेयर बाजार करीब 30,000 के नीचे आ गया तो ट्रीटर पर ट्रेंड करने लगा #bandkarobazar.
By: अविनाश राय, एबीपी न्यूज़ | Updated at : 18 Mar 2020 09:19 PM (IST)
पूरी दुनिया इस वक्त खौफजदा है. और इसकी वजह है एक वायरस कोविड 19. दुनिया भर में करीब 2 लाख लोग इस वायरस की चपेट में हैं. 8,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसका सीधा असर दिख रहा है दुनिया के बाजार पर, जो लगातार गिरता जा रहा है. क्या अमेरिका, क्या चीन और क्या जापान, हर जगह मार्केट धराशायी होता जा रहा है. हम भी इससे अछूते नहीं हैं. 18 मार्च को अपने देश के शेयर बाजार का सेंसेक्स 30,000 से नीचे चला गया. और फिर ट्वीटर पर ट्रेंड करने लगा बंद करो बाजार. तो क्या सरकार बाजार को बंद कर सकती है और क्या बाजार के बंद होने से लगातार डूब रहे पैसे बच पाएंगे? करीब 40 लाख करोड़ रुपये का हुआ नुकसान भारत का शेयर बाजार हर रोज लगातार नीचे ही गिरता जा रहा है. पिछले एक महीने में बाजार में करीब 26 फीसदी की गिरावट हुई है, जिसकी वजह से निवेशकों को 40 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ है. और ये नुकसान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हर रोज हजारों करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है. हर रोज अखबारों, टीवी चैनलों और वेबसाइट्स की सुर्खियां बन रही हैं कि शेयर बाजार गिरने से कभी चार लाख करोड़ रुपये डूब गए तो कभी पांच लाख करोड़ और कभी 9 लाख करोड़. ये अलग-अलग दिनों के आंकड़े हैं. और अलग-अलग दिनों पर शेयर बाजार में ये पैसे डूबे हैं. इसी को देखते हुए जब 18 मार्च को शेयर बाजार 1300 पॉइंट से ज्यादा गिरा तो फिर लोगों ने #bandkarobazaar ट्वीट करना शुरू कर दिया और ये इंडिया का टॉप ट्रेंड बन गया. लेकिन क्या बाजार को बंद करना इतना आसान है, इसे समझने की कोशिश करते हैं. सर्किट ब्रेकर लगाकर संभाला गया था कामकाज
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शेयर बाजार में हफ्ते में पांच दिन काम होता है और दो दिन की छुट्टी होती है. शनिवार और रविवार. इसके अलावा बाजार बंद नहीं होता. हां अगर शेयर मार्केट में कुछ ज्यादा ही उथल-पुथल होती है तो पैसे को डूबने से रोकने के लिए कुछ तरीके अपनाए जाते हैं. इसे कहते हैं सर्किट ब्रेकर. जब ये लगता है कि कोई भी ब्रोकर शेयर बाजार को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है और उसकी वजह से अचानक से शेयरों की बिकवाली या खरीदारी तय सीमा से ज्यादा होने लगती है, तो इसे रोकने के लिए सर्किट ब्रेकर का इस्तेमाल किया जाता है. अभी हाल ही में जब 13 मार्च को बाजार अचानक से ओपनिंग के बाद 2534 अंक गिर गया तो सर्किट ब्रेकर लगाकर बाजार को 45 मिनट के लिए बंद कर दिया गया. ये सर्किट ब्रेकर भी दो तरह का होता है. अपर सर्किट और लोवर सर्किट. जब बाजार में पैसे ज्यादा हो जाते हैं तो अपर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग कुछ देर के लिए रोक दी जाती है, वहीं जब बाजार में पैसे तय सीमा से कम हो जाते हैं तो लोअर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग बंद की जाती है. 13 मार्च को लोअर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग बंद की गई थी.
सर्किट ब्रेकर के लिए सेबी ने बनाई गाइडलाइंस सेबी की गाइडलाइन्स के मुताबिक अपर या लोअर सर्किट के लिए तीन ट्रिगर लिमिट्स हैं. 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी. जब दोपहर 1 बजे से पहले शेयर बाजार 10 फीसदी तक गिरे या चढ़े तो ट्रेडिंग 45 मिनट के लिए रोक दी जाती है. अगर 1 बजे से 2.30 बजे तक बाजार में 10 फीसदी का उतार-चढ़ाव होता है तो ट्रेडिंग को 15 मिनट के लिए रोक दिया जाता है. वहीं अगर बाजार में दोपहर 1 बजे से पहले 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो ट्रेडिंग 1 घंटे 45 मिनट के लिए रोकी जाती है. अगर एक बजे से दो बजे तक के बीच 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो मार्केट में 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक दी जाती है. अगर 2 बजे के बाद मार्केट में 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो मार्केट को बंद कर दिया जाता है. अगर ट्रेडिंग के दौरान किसी भी वक्त शेयर बाजार में 20 फीसदी का उतार-चढ़ाव आता है तो बचे हुए पूरे दिन के लिए ट्रेडिंग बंद कर दी जाती है. सोशल मीडिया पर उठ रही बाजार बंद की मांग लेकिन कोई भी निवेशक ये नहीं चाहता कि सर्किट ब्रेकर लगाकर ट्रेडिंग बंद की जाए. और जब निवेशक सर्किट ब्रेकर नहीं चाहते तो वो पूरे बाजार की ट्रेडिंग ही रोकने के लिए कैसे राजी होंगे. हालांकि बाजार के कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले कुछ दिनों में पूरा मार्केट कैप 26 फीसदी तक कम हो गया है. ऐसे में और नुकसान न हो, इसके लिए ट्रेडिंग क्या है ट्रेंड ट्रेडिंग को रोकना ही सबसे बेहतर तरीका है. सेबी एक आदेश के जरिए अगले कुछ दिनों के लिए ट्रेडिंग बंद कर दे, तो मार्केट संभल सकता है. वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ट्रेडिंग कुछ दिनों के लिए बंद कर दी जाएगी तो बाजार जब भी खुलेगा क्रैश हो जाएगा. कुछ लोग इस बात के लिए भी तैयार हैं कि हर रोज पैसे डुबोने से तो बेहतर है कि एक ही दिन नुकसान उठाना पड़े. क्योंकि निवेशक शेयर का प्राइस कम होने पर शेयर खरीद ले रहे हैं. अगले दिन पता चलता है कि वो शेयर और भी ज्यादा गिर गया. ऐसे में उसे खासा नुकसान हो जा रहा है. वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो ये कह रहे हैं कि बाजार बंद करने की बात वो लोग कर रहे हैं, जिन्होंने कभी भी शेयर बाजार से पैसे नहीं बनाए हैं. शेयर बाजार को बंद करवाने की वकालत करने वाले लोगों का ये भी कहना है कि अगर लोग कोरोना के कहर से बचेंगे, तो पैसे भी बना लेंगे. इसलिए सेबी को या तो बाजार बंद कर देना चाहिए या फिर ट्रेडिंग के घंटे कम कर देने चाहिए. हालांकि सोशल मीडिया के इस रिएक्शन पर सेबी का अभी तक कोई बयान नहीं आया है. बाकी शेयर बाजार बंद करने की वकालत करने वालों से एक सवाल है कि आप शेयर मार्केट में रोज का तो लेन-देन बंद कर सकते हैं, लेकिन वायदा कारोबार का क्या होगा. हालांकि क्या है ट्रेंड ट्रेडिंग हमारे सामने फिलिपिंस का उदाहरण भी है, जिसने अपने शेयर बाजार को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है. अमेरिकी सरकार अभी शेयर बाजार बंद करने पर राजी नहीं है और हमारे यहां तो इसपर सरकार की तरफ से कोई बात भी नहीं हो रही है.
Published at : 18 Mar 2020 09:06 PM (IST) हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Explainer News in Hindi
Swing Trading क्या है? | स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?
दोस्तों आप में से बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर्स को खरीदने और बेचने में इन्वेस्टमेंट करते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि स्विंग ट्रेडिंग क्या होती है और स्विंग ट्रेडिंग कैसे की जाती है अगर नही, तो आइये आज हम आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी लेते है तो जो कैंडिडेट स्विंग ट्रेडिंग बारे में पूरी जानकारी चाहते है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.
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Table of Contents
स्विंग ट्रेडिंग क्या है (What is Swing Trading in Hindi)
स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जहाँ पर ट्रेडर्स शेयर्स को खरीदने के कुछ दिन के बाद बेचते हैं मतलब कि एक दिन से ज्यादा के लिए शेयर्स खरीदते हैं और थोड़े समय तक होल्ड करने के बाद दाम बढ़ने पर शेयर्स को बेच देते है जिससे उन्हें कुछ न कुछ फायदा हो जाता है.
एक अच्छी स्विंग ट्रेडर की ओप्पोर्चुनिटी को ढूंढने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का और कभी-कभी फंडामेंटल एनालिसिस का भी उपयोग करता है साथ ही चार्ट के माध्यम से मार्केट ट्रेंड और पैटर्न्स का विश्लेषण करता है. स्विंग ट्रेडिंग को मंथली ट्रेडिंग भी कहा जाता है क्योंकि एक महीने के अंदर ही शेयर्स को खरीदना और बेचना होता है स्विंग ट्रेडिंग से महीने का 5% से 10% तक रिटर्न कमाया जा सकता है स्विंग ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग किया जाता है.
स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?
स्विंग ट्रेडिंग शुरू करने के लिए किसी भी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अमाउंट और डीमैट अकाउंट होना जरूरी होता है क्युकी ट्रेडिंग अकाउंट शेयर को खरीदने के लिए और डीमैट अकाउंट ख़रीदे हुए शेयर्स को रखने के लिए जरूरी है.
Swing Trading काम कैसे करती है?
स्विंग ट्रेडर का काम किसी भी स्टॉक को खरीदने से पहले मार्केट का ट्रेंड शेयर्स की कीमत में उतार-चढ़ाव ट्रेडिंग चार्ट में बनने वाले पैटर्न का विश्लेषण करना होता है. सिम्पल तौर पर एक स्विंग ट्रेडर उन शेयर्स पर विश्लेषण करता है जिसमें ट्रेडिंग अधिक होती है. अन्य तरह की ट्रेडिंग की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में ज्यादा रिस्क होता है क्युकी इसमें गैप रिस्क शामिल होता है, अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई अच्छी खबर आती हैं तो स्टॉक के प्राइस मार्केट खुलने के बाद अचानक से ही बढ़ जाते हैं लेकिन अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई बुरी खबर आती हैं तो मार्केट खुलने के बाद स्टॉक के प्राइस में भारी गैप डाउन भी देखने को मिलती हैं इस तरह के रिस्क को ओवरनाईट रिस्क’ कहा जाता है.
स्विंग ट्रेडिंग करने के फायदे क्या है?
स्विंग ट्रेडिंग करने के निम्नलिखित फायदे है-
- स्विंग ट्रेडिंग में शेयर्स को कुछ दिनों या कुछ हफ्तों के लिए होल्ड करके रखा जाता है इसलिएइंट्राडे की तुलना में लाइव मार्केट में ज्यादा समय रहने की जरूरत नहीं होती है.
- स्विंग ट्रेडिंग मेंट्रेडर्स को बाजार के साइडवेज़ होने पर एक अच्छा रिटर्न मिलता है.
- स्विंग ट्रेडिंग जॉब या बिज़नेस करने वाले लोगो के लिए सबसे अच्छा होता हैं.
- स्विंग ट्रेडिंग में छोटे-छोटे रिटर्न्स साल में एक अच्छा रिटर्न भी बन जाता है.
- इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग करना आसान होता हैं क्युकी इसमें सिर्फ आपको सिर्फ टेक्निकल एनालिसिस आना चाहिए.
- इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में स्ट्रेस लेवेल कम कुछ होता है.
स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है?
स्विंग ट्रेडिंग करने के कुछ नुकसान भी है-
- स्विंग ट्रेडिंग में ओवरनाईट और वीकेंड रिस्क भी रहता है.
- स्विंग ट्रेडिंग में गैप रिस्क भी शामिल होता है
- अगर किसी तरह से मार्केट का अचानक ट्रेंड बदल जाता है तो यहां काफी देय भी नुकसान हो सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग कैसे करे?
सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस: स्विंग ट्रेडिंग में सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस बहुत जरूरी होता है तो इसीलिये आप भी यही कोशिश यही करना कि सपोर्ट पर ब्रेकआउट के बाद शेयर्स ख़रीदे और रेजिस्टेंस पर ब्रेकडाउन पर बेच दे.
न्यूज़ बेस्ड स्टॉक: एक स्विंग ट्रेडर ऐसे शेयर्स को चुनता है जिसमें बाजार की किसी खबर का असर हो और उस खबर के कारण वह स्टॉक किसी एक दिशा में ब्रेकआउट देने की तैयारी में हो या ब्रेकआउट दे चुका हो, वह खबर बुरी या अच्छी किसी भी प्रकार की हो सकती है खबर अच्छी हुई तो ऊपर की तरफ ब्रेक आउट होगा, नहीं तो नीचे की तरफ ब्रेडडाउन होगा.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निक्स: स्विंग ट्रेडिंग के लिए आपको हमेशा हाई Liquidity शेयर्स को चुनना होता है इसके अलावा शेयर में एंट्री और एग्जिट के लिए MACD, ADX और Fast Moving Average का यूज किया जा सकता है.
इसे भी पढ़े?
आज आपने क्या सीखा?
हमे उम्मीद है कि हमारा ये (swing trading kya hai) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे हमने आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.
हमारी ये (swing trading kya hai) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.
Trading और Investment क्या हैं, दोनों क्या है ट्रेंड ट्रेडिंग में क्या अंतर है
जब भी नए लोग शेयर मार्केट में आते है। उसके मन में ये सवाल जरूर आता ही हैं। Trading और Investing क्या है इन दोनों में क्या अंतर होते हैं। ये सवाल मन में आना जायज भी हैं। जब तब नए लोगो को ये समझ नहीं आते उसे कैसे पता लगेगा उसका जोखिम क्षमता और लक्ष्य के हिसाब से, Trading और Investing में उसके लिए किया बेहतर होगा। आज हम जानेंगे Trading और Investing होता क्या है, दोनों में क्या अंतर हैं, Trading कितने तरह की होते हैं। साथ ही साथ जानेंगे कि ट्रेडिंग से हर रोज कमाई कर सकते है या नहीं।
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Trading क्या होता है:-
जब भी आप शेयर को खरीदते हो और उस दिन ही बेच देते हो। तब इसे Trading कहते हैं। मतलब आप Stock Trading में ज्यादा समय तक शेयर को अपने पास नहीं रख सकते हो। मान लीजिए आप एक शेयर खरीदा 200 रुपये में प्रॉफिट होने पर आपने उस दिन ही 220 रुपये में बेच दिया। इसी प्रोसेस को कहते है ट्रेडिंग। Trading करते वक्त Trader हमेशा Technical Analysis के साथ चलते हैं। जिससे उस कंपनी के शेयर प्राइस को कुछ समय आगे का शेयर प्राइस अंदाजा हो जाता हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कंपनी क्या काम करती है, भविष्य की योजना क्या हैं। सिर्फ ये देखा जाएगा शेयर प्राइस किस तरफ जा रही है। Trading करते समय न्यूज़ पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता हैं. क्युकी कोई अच्छी खबर किसी भी शेयर को ऊपर ले जा सकती हैं। और बुरी खबर एकदम से नीचे भी ला सकती हैं।
Trading के प्रकार (Types of Trading):-
बहुत सारे Types of Trading होते है मुख्य रूप से 5 तरह का होता है। जिससे ट्रेडर ट्रेडिंग करके पैसा कमाई कर सके।
- Day Trading:- इसमें ट्रेडर को जिस दिन खरीदा उस दिन ही शेयर को बेचना पड़ता हैं। उस स्टॉक को कुछ समय के लिए होल्ड कर सकता है। मार्केट बंद होने से पहले ही ट्रेडर को शेयर बेचना ही पड़ता हैं। इसमें छोटे छोटे पल स्टॉक में होने वाले ऊपर नीचे से Traders अपना प्रॉफिट कर सकते हैं।
- Scalping Trading:- Day Trading और Scalping दोनों एक ही तरह का होता हैं। इस ट्रेडिंग में खरीद बेच होते है लेकिन दिन में कही बार ये ट्रेंड किया जा सकता हैं। आपको प्रॉफिट भी हो सकता है और नुकसान भी, इस पर निर्भर करता है कि आपने किस प्रकार का ट्रेंड किया हैं।
- Swing Trading:- इस ट्रेडिंग में आप खरीद और बेच तो सकते हो। अगर आपको खरीदा हुआ दिन नुकसान हो रहा है तो आप उस दिन शेयर को ना बेचकर कुछ दिनों तक होल्ड भी कर सकते हो। फिर जब प्रॉफिट आ जाता है तब बेचकर मुनाफा कमाई कर सकते हैं।
- Momentum Trading:- इस Trading को ट्रेंडर तब प्रयोग करता है जब कोई शेयर ऊपर जाता दिखता हैं। तब खरीदारी कर लेता है जैसे ही कोई उस शेयर का खराब न्यूज़ आता है तब तुरंत बेच देते हैं। जिससे Trader कुछ समय में ही अच्छी मुनाफा कमाई कर लेते हैं। लेकिन इसके लिए न्यूज़ के साथ अपडेट रहना बहुत जरुरी हैं। अगर सही समय पर शेयर को नहीं बेचा तो बहुत ज्यादा नुकसान भी हो सकता हैं।
- Position Trading:- इस तरह का ट्रेडिंग में आप कुछ दिनों के लिए ट्रेडिंग कर सकते हैं। ये Trading उन लोगों के लिए है जो लोग नियमित रूप से मार्केट में नहीं आते। खरीद कर कुछ दिनों के बाद मुनाफा आते ही बेच कर निकल जाते। इसी तरह का ट्रेडर को कहते हैं Position Trading।
Investing क्या होता है:-
जब कोई शेयर आज खरीद के बहुत साल बाद बेच देते है तब इसे Investing कहते हैं। इन्वेस्टिंग में आप बहुत लंबे समय के शेयर को अपने Demat Account में रखते हो। कंपनी के वित्तीय विवरण, पिछले प्रदर्शन, भविष्य में होने वाले ग्रोथ को देखते हुए ही किसी भी शेयर में इन्वेस्ट करता हैं। Investing में Fundamental Analysis करना बहुत जरुरी हैं। जिससे आपको कंपनी के बारे अच्छी नॉलेज होगा और भविष्य में अच्छा रितर्न कमाके देगा।
Investing के प्रकार (Types of Investing):-
मुख्य रूप से इन्वेस्टिंग दो तरह का होता हैं। जिससे आपको लंबे समय में जबरदस्त मुनाफा कमाई करके देगा।
- Value Investing:- इस तरह का इन्वेस्टिंग में आप अच्छी कंपनी का शेयर प्राइस जब नीचे आता है। तब आपको उसमे इन्वेस्ट करना चाहिए। Value Investing में इन्वेस्टर शेयर का विश्लेषण करके देखता है कि कौन सा शेयर कम दाम में मिल रहा हैं। फिर उसमे लंबे समय तक निवेश करता हैं।
- Growth Investment:- जो कंपनी भविष्य में ग्रोथ की संभावना देखता है उसी शेयर में इन्वेस्टर लंबे समय के लिए निवेश करता है। इसी को Growth Investment कहते हैं। इससे Investor उस कंपनी में ज्यादा इन्वेस्ट करता है जो कंपनी Fundamentally बहुत मजबूत हैं।
Trading और Investing में अंतर क्या है (Difference between Trading and Investing):-
- Trading कम समय के लिए होता हैं।
- Investing लंबे समय के लिए होता हैं।
- इसमें Technical Analysis का इस्तेमाल करते हैं।
- Investing में Fundamental Analysis का इस्तेमाल करते हैं।
- Trading में कम समय में बहुत ज्यादा पैसा कमाई कर सकते हैं।
- इसमें आपका कमाई करने के लिए बहुत ज्यादा समय लगता हैं।
- ट्रेडिंग करने से ब्रोकर का शुल्क बहुत ज्यादा होता हैं।
- इन्वेस्टिंग में ब्रोकर का शुल्क ना के बराबर होता हैं।
- Trading जुआ की तरह होता हैं सोचने समझने के लिए समय नहीं मिलता।
- Investing में आप सोच समझकर निवेश कर सकते हैं।
क्या Trading से रोज पैसा कमाई कर सकते है:-
जी बिल्कुल आप ट्रेडिंग से हर रोज पैसा कमाई कर सकते हो। लेकिन जैसा कि हम जानते है Share Market रिस्क भी होता हैं। जिस तरह आप रेगुलर कमाई कर सकते है ठीक उसी तरह नुकसान भी हो सकता हैं। लाभ और नुकसान निर्भर करता है आपके ट्रेडिंग रणनीति के ऊपर। कब आप कौन सा ट्रेड ले रहे हो और आप कितना सही हो। जहा लोग बहुत कम समय में लाखो रूपया कमा लेते है वही कुछ लोग कम समय में लाखों रुपये का नुकसान भी कर लेते हैं।
अगर आप नए निवेशक हो तो आपको सबसे पहले Investing की तरफ जाना चाहिए। क्युकी अच्छा शेयर कम समय में नीचे भी आ सकता हैं। लेकिन लंबे समय में वो शेयर जरूर ऊपर जाएगा ही। आपको एसी शेयर में निवेश करना चाहिए जो शेयर भबिस्य में बढ़ने की पूरी संभावना रहती हैं।
आशा करता हु आपको Trading और Investment क्या हैं, दोनों में क्या अंतर है, कितने Types के होते है आपको अच्छी तरह से समझमे आ गया होगा । इससे जुड़ी कोई सवाल या सुझाब है तो कमेंट में जरुर बताए। शेयर मार्केट के बारे में बिस्तार से जानने के लिए आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।
Bull Market- बुल मार्केट
बुल मार्केट क्या होता है?
बुल मार्केट (Bull Market) किसी फाइनेंशियल मार्केट की वह स्थिति होती है जिसमें किसी एसेट या सिक्योरिटी की कीमतें बढ़ रही होती हैं या बढ़ने की उम्मीद होती है। ‘बुल मार्केट' शब्द का उपयोग अक्सर स्टॉक मार्केट के लिए किया जाता है लेकिन इसे वैसी किसी भी चीज के लिए प्रयोग किया जा सकता है जिसे ट्रेड किया जा सकता है जैसेकि बॉन्ड्स, रियल एस्टेट, करेंसी और कमोडिटीज। चूंकि ट्रेडिंग के दौरान सिक्योरिटीज की कीमत अनिवार्य रूप से घटती और बढ़ती रहती हैं, ‘बुल मार्केट' को विशेष रूप से विस्तारित अवधि के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसमें सिक्योरिटी मूल्यों का बड़ा हिस्सा बढ़ रहा होता है।
बुल मार्केट महीनों तक यहां तक कि वर्षों तक बने रह सकते हैं। आम तौर पर बुल मार्केट तब होता है जब स्टॉक की कीमतें 20-20 प्रतिशत की दो अवधियों की गिरावट के बाद 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। ट्रेडर बुल मार्केट का लाभ उठाने के लिए खरीद में बढ़ोतरी, होल्ड या रिट्रेसमेंट जैसी कई रणनीतियों का सहारा लेते हैं।
बुल मार्केट के लक्षण
बुल मार्केट आशावादिता, निवेशकों के आत्मविश्वास और उम्मीदें कि लंबे समय तक मजबूत परिणाम आते रहेंगे, से प्रेरित होता है। इसका अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि मार्केट में ट्रेंड में कब बदलाव आएगा। इसमें दिक्कत यह होती है कि मनोवैज्ञानिक प्रभावों और स्पेकुलेशन की कभी कभार बाजार में बड़ी भूमिका होती है। हाल के वर्षों में बुल मार्केट 2003 और 2007 की अवधि के दौरान देखा गया था जब एसएंडपी 500 में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई थी। आम तौर पर यह तब होता है जब अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही होती है या पहले से ही मजबूत होती है।
बुल मार्केट का लाभ कैसे उठाएं?
जो निवेशक बुल मार्केट का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें बढ़ती कीमतों का लाभ उठाने के लिए आरंभ में ही खरीद कर लेनी चाहिए और जब वे अपनी पीक पर पहुंच जाएं तो उन्हें बेच डालना चाहिए। हालांकि यह तय करना मुश्किल और कुछ हद तक जोखिम भरा है कि कब गिरावट और कब पीक आएगा, अधिकांश नुकसान कम मात्रा में होते हैं और अस्थायी होते हैं।