मोमबत्ती योजना

समाज कल्याण विभाग उत्तराखण्ड सरकार
1. शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को कृत्रिम अंग एवं श्रवण सहायक यंत्र क्रय हेतु अनुदान योजना:
योजना के मानक व दरें :
• अभ्यर्थी को कृत्रिम अंग अथवा श्रवण सहायक यन्त्र लगाने की संस्तुति चिकित्साधिकारी द्वारा की गई हो।
• अभ्यर्थी(नाबालिग होने की स्थिति में माता-पिता की) की मासिक आय रुपये 4000.00 तक हो।
• अनुदान की राशि अधिकतम रुपये 3500.00 तक है।
2.दिव्यांग छात्र/छात्राओं को छात्रवृति योजना :
दिव्यांग छात्र आर्थिक विशमताओं के कारण शिक्षण/प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाते हैं और उनका जीवन यापन स्वावलम्बी नहीं बन पाता है. अतः इच्छुक छात्रों को इस योजना के अन्तर्गत छात्रवृति देकर शिक्षा के माध्यम से स्वावलम्बी बनाया जाता है. ताकि वे शिक्षा तथा व्ययावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करके समाज में सम्मानपूर्ण जीवन यापन कर सकें।
• दिव्यांग छात्र/छात्रों के लिए कक्षा 1 से 9 शिक्षा तक निम्न दरों एंव मानकों के अनुसार छात्रवृति प्रदान की जाती है !
• दिव्यांग छात्र/छात्रा मोमबत्ती योजना कम से कम 40 प्रतिषत दिव्यांगता प्रमाण-पत्र मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा दिया गया हो।
• छात्र/छात्रा किसी शैक्षणिक संस्था में नियमित अध्ययनरत हो।
• छात्र/छात्रा के माता-पिता/अभिभावक की वार्षिक आय रु.24000/- तक हो।
• छात्र/छात्रा द्वारा छात्रवृति हेतु निर्धारित प्रार्थना-पत्र मय प्रमाण-पत्रों के अपनी शिक्षण संस्था में प्रस्तुत करना होगा।
• संबंधित संस्था छात्रवृति प्रार्थना-पत्र का परीक्षण कर दिनांक 31. जुलाई तक जिला समाज कल्याण अधिकारी, को प्रेषित करेंगे।
• जिला समाज कल्याण अधिकारी छात्र/छात्रा के आवेदन-पत्र का परीक्षण कर छात्रवृति हेतु पात्र पाये जाने पर छात्रवृति की धनराशि संस्था/छात्र/छात्रा के खातों में स्थानान्तरित करेगें।
• छात्रवृति की दरें निम्नानुसार है। ( वर्ष 2005-06 से प्रभावी )
अधिकतम रु. 2000/- प्रतिमाह
अधिकतम रु. 2000/- प्रतिमाह
3 दिव्यांग भरण पोषण अनुदान
प्रदेश में दृष्टिबाधित, मूक बधिर तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग निराश्रित ऐसे व्यक्तियों को जिनका जीवन यापन के लिए स्वयं का न तो कोई साधन है और न ही वे किसी प्रकार का ऐसा परिश्रम कर सकते हैं, जिससे उनका भरण पोषण हो सके, इस उद्देष्य से निराश्रित दिव्यांगजनों को सामाजिक सुरक्षा के अर्न्तगत जीवन-यापन हेतु सरकार की कल्याणकारी योजना के अर्न्तगत निराश्रित दिव्यांग भरण-पोषण अनुदान दिये जाने की योजना लागू की गयी जिसे सामान्यतया दिव्यांग पेंशन के नाम से भी जाना जाता है।
विभिन्न श्रेणी के निराश्रित दिव्यांग व्यक्तियों को निम्न मानकों एवं दरों के अनुसार भरण पोषण अनुदान दिया जाता है :-
iv. दिव्यांग भरण पोषण अनुदान (दिव्यांग पेंशन) रुपये 1200/- प्रतिमाह।
v. कुष्ठ रोग से मुक्त दिव्यांग को रुपये 1200/- प्रतिमाह।
इन्दिरा गॉधी राष्ट्रीय दिव्यांगता पेंशन योजनार्न्तगत गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 18 वर्ष से 65 वर्ष तक आयु के 80% दिव्यांग अथवा बहु दिव्यांगता वाले अभ्यर्थी को कुल रु 1200.00 जिसमें रु 900.00 राज्य सरकार तथा रुपये 300.00 भारत सरकार द्वारा अनुदान दिया जायेगा।
4 . दक्ष दिव्यांगजनों एवं उनके सेवायोजकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार :
दिव्यांग कर्मचारियों को अधिकाधिक रोजगार के अवसर सुलभ कराने के उद्देश्य से राज्यस्तरीय पुरस्कार की योजना चलाई जा रही है. सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणी के दिव्यांग कर्मचारियों एवं उनके सेवायोजकों को राज्यस्तरीय पुरस्कार के रूप में रू0 5000/- की धनराशि नकद प्रदान की जाती है।
5. दिव्यांग जनों हेतु शिविरों/सेमिनारों का आयोजन :
दिव्यांगजनों को उनकी सुविधानुसार उनके नजदीकी क्षेत्रों में वार्षिक सत्यापन एवं पेंशन स्वीकृत किये जाने हेतु शिविरों एवं सेमिनारों का आयोजन किये जाने की व्यवस्था की जाती है.
6. दिव्यांग युवक/युवती विवाह प्रोत्साहन अनुदानः-
सामान्य युवक, युवतियों द्वारा दिव्यांग युवक/युवती से विवाह करने पर प्रोत्साहन अनुदान योजना के अन्तर्गत दिव्यांग युवक अथवा युवती से शादी करने पर दम्पत्ति को क्रमशः रूपये 25,000 का प्रोत्साहन अनुदान दिया जाता है.
योजना के मानक व दरें :
• दम्पति भारत का नागरिक हो।
• दम्पति उत्तराखण्ड का स्थायी निवासी हो या कम से कम पॉच वर्ष से उसका अधिवासी हो ।
• दम्पति में से कोई सदस्य किसी आपराधिक मामले में दंडित न किया गया हो।
• शादी के समय युवक कम से कम 21 वर्ष तथा 45 से मोमबत्ती योजना अधिक न हो तथा युवती कम से कम 18 वर्ष तथा 45 वर्ष से अधिक न हो।
• दम्पति का विवाह प्रचलित सामाजिक रीति-रिवाज से हुआ हो अथवा सक्षम न्यायालय द्वारा कानूनी विवाह किया गया हो ।
• दम्पति में से कोई सदस्य आयकरदाता की श्रेणी में न हो।
• जिसके पास पूर्व से कोई जीवित पत्नी न हो और उनके ऊपर महिला उत्पीड़न या अन्य आपराधिक मुकदमा न चल रहा हो।
• सामान्य युवक द्वारा दिव्यांग युवती से विवाह करने पर अनुदान की राशि रुपये 25,000/- होगी ।
7. दिव्यांग जनों हेतु आश्रित कर्मशालायें :-
शारीरिक रूप से दिव्यांगजनों के लिए राजकीय प्रशिक्षण केन्द्र एवं आश्रित कर्मशालायें टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़ एवं नैनीताल में संचालित हैं. इन कर्मशालाओं में दिव्यांग व्यक्तियों को मोमबत्ती, साबुन, हथकरघा, स्वेटर, शाल आदि बनाने/बुनाई का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. वित्तीय वर्ष 2008-09 से कम्पयूटर व्यवसाय संचालित किये जाने का प्रस्ताव किया गया है।
झारखंड: भाजपा सांसद ने मोमबत्ती जलाकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस
झारखंड में सत्ताधारी झामुमो और भाजपा के बीच खींचतान जारी है। भाजपा लगातार सोरेन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप लगाती रही है। इस बीच, भाजपा सांसद संजय सेठ ने राज्य में हो रही बिजली कटौती को लेकर हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ हमला बोला है। उन्होंने बिजली कटौती का अजब तरीके से विरोध करते हुए राजधानी मोमबत्ती योजना रांची में मोमबत्ती जलाकर प्रेस कांफ्रेंस की।
भाजपा सांसद संजय सेठ ने सीएम हेमंत सोरेन और झारखंड की यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य की विद्युत व्यवस्था राम भरोसे है। आलम यह है कि राजधानी रांची में 6-8 घंटे बिजली नहीं रहती है। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि रात में बिजली जाती है और सुबह मोमबत्ती योजना में आती है। यह स्थिति कोई एक या दो दिन की नहीं हैं। पिछले ढ़ाई से तीन महीने से ऐसी ही स्थिति है।
भाजपा सांसद संजय सेठ ने आगे कहा कि मैंने अपनी राजनीति में बिजली की इतनी गंभीर समस्या नहीं देखी। जब बिहार के समय भी जब हम एक साथ थे, तब झारखंड में बिजली की स्थित इतनी खराब नहीं थी। इस दौरान भाजपा सांसद ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह फेल साबित हुई है। राज्य में सड़कों और बिजली की लचर स्थिति पर नाराजगी जताते हुए संजय सेठ ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दी जानेवाली मुफ्त राशन में बड़े पैमाने पर घोटाला होने का आरोप लगाया।
इससे पहले हाल ही में भाजपा की झारखंड इकाई ने मोमबत्ती योजना राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ रांची से अपनी राज्यव्यापी ‘आक्रोश’ रैली की शुरुआत की थी। इसमें सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता शहर के मोराबादी मैदान से ‘‘हेमंत हटाओ, झारखंड बचाओ’’ का नारे लगाते हुए जिला कलेक्ट्रेट की ओर मार्च किया था।
दक्षिण दिशा में लाल और पीले रंग की मोमबत्ती जलाने से होगी मां लक्ष्मी की कृपा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के मोमबत्ती योजना अनुसार लाल रंग सभी देवताओं को बहुत भाता है। यही कारण है कि पूजा में लाल रंग को प्राथमिकता दी जाती है। वास्तु और ज्योतिष के अनुसार लाल फूलों से देवताओं को जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है। कहा जाता है कि अगर आप अपने बटुए में लाल और पीला रंग रखते हैं तो कुछ ही दिनों में फर्क महसूस होने लगेगा।
अगर आपको लगता है कि कोई आपसे ईर्ष्या कर रहा है, आपके कई दुश्मन हैं या आप हमेशा असुरक्षा और भय के माहौल में जी रहे हैं, तो छत पर लाल झंडा लगा दें, फर्क दिखना शुरू हो जाएगा।
लाल किताब के अनुसार यदि आप लाल मोमबत्ती को आग्नेय कोण में और लाल और पीले रंग की मोमबत्ती को दक्षिण दिशा में प्रतिदिन जलाना शुरू करेंगे तो आप पर मां मोमबत्ती योजना लक्ष्मी की कृपा बरसेगी।
अक्सर ऐसा होता है कि एक व्यक्ति पूरी तरह से गुणी होने के बावजूद बेरोजगार रहता है। वह नौकरी के लिए जितना अधिक प्रयास करता है, उसके प्रयास विफल होते जाते हैं। अगर आप ऐसी नौकरी के लिए इंटरव्यू के लिए जाते हैं तो अपनी जेब में लाल रुमाल या कोई लाल कपड़ा रखें, हो सके तो लाल शर्ट भी पहनें।
मोमबत्ती योजना
राजकीय संप्रेक्षण गृह में किशोर तैयार कर रहे रंगबिरंगी मोमबत्ती
हल्द्वानी, 21 अक्टूबर (हि.स.)। दीपावली पर्व को लेकर राजकीय संप्रेक्षण गृह हल्द्वानी में किशोरों द्वारा मोमबत्ती तथा धूपबत्ती तैयार की जा रही है।
राजकीय संप्रेक्षण गृह में किशोरों को तकनीकी रूप से सक्षम करने और उन्हें बुराइयों से दूर रखने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देने के बाद उनसे मोमबत्ती और धूपबत्ती का निर्माण कराया जा रहा है। इन्हें दीपावली पर लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ खरीदते हैं।
प्रोबेशन अधिकारी व्योमा जैन ने बताया कि राजकीय संप्रेक्षण गृह हल्द्वानी में किशोरों द्वारा निर्मित की जा रही मोमबत्ती व धूपबत्ती को जिला प्रदूषण कार्यालय हल्द्वानी से खरीद सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/अनुपम गुप्ता
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