संगीत दलाल

धीरू भाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल सेलिब्रिटीज के बच्चों का स्कूल कहा जाता है, क्योंकि यहां पढ़ने वाले ज्यादतर बच्चे बॉलीवुड या ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़े अन्य सेलेब्स के होते हैं । बड़े उद्योगपति भी अपने बच्चों को इसी स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं संगीत दलाल । एक इंटरव्यू में ममता दलाल ने बताया था कि वह शाहरुख खान और सचिन तेंडुलकर के बच्चों को पढ़ा चुकी हैं। उन्होने कहा था – ‘मैंने शाहरुख खान और सचिन के बच्चों को पढ़ाया है, लेकिन मेरे लिए सभी स्टूडेंट्स एक समान हैं। मैं सिर्फ पढ़ाती ही नहीं बल्कि वर्कशॉप और फिजिकल ऐक्टिविटीज भी कराती हूं।’
कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामला: आरोपी का खुलासा, 2019 में अपनी जगह बैठाया था सॉल्वर, इस बार बना दलाल
पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में शाहपुर के 39 मील से पकड़ा गया आरोपी वर्ष 2019 में हुए पुलिस भर्ती फर्जीवाड़े में पुलिस के निशाने पर था। वर्ष 2019 के दौरान आरोपी अभिषेक ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा देने के लिए अपने स्थान पर एक सॉल्वर को बैठाया था। इसके चलते उसे पुलिस ने पकड़ा था।
हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में शाहपुर के 39 मील से पकड़ा गया आरोपी वर्ष 2019 में भी पुलिस भर्ती फर्जीवाड़े में गिरफ्तार हुआ था। उस दौरान आरोपी अभिषेक ने लिखित परीक्षा देने के लिए अपने स्थान पर एक सॉल्वर को बैठाया था। अब उसे वर्ष 2022 में हुए पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में फिर से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी अभिषेक ने पुलिस के समक्ष कई संगीत दलाल खुलासे किए हैं। सूत्रों के अनुसार एसआईटी की ओर से पकड़ा गया शाहपुर का अभिषेक वर्ष 2019 में हुए भर्ती फर्जीवाड़े में भी आरोपी था।
अभिषेक ने अपने स्थान पर एक सॉल्वर को लिखित परीक्षा में बैठाया था। इसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मामला न्यायालय में चला था। बताया जा रहा है कि इस दौरान अभिषेक की जान-पहचान हरियाणा समेत अन्य दलालों से हुई थी। फोन नंबरों को भी साझा किया गया था। वर्ष 2022 में हुई पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा के लिए दलाल अभिषेक के भी संपर्क में थे। अभिषेक ने भी जवाली के कुछ अभ्यर्थियों से पेपर के लिए संपर्क किया था, जिन्हें बाद में जांच पड़ताल कर रही पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया था। उनकी पूछताछ और फोन कॉल डिटेल के बाद एसआईटी ने अभिषेक को भी गिरफ्तार किया था।
वरुण धवन और नताशा दलाल की शादी का वेन्यू हुआ Reveal, जानें सारी डिटेल्स
कई सालों तक एक संगीत दलाल दूसरे को डेट करने के बाद, एक्टर वरुण धवन 24 जनवरी को अलीबाग में एक स्पेशल वेन्यू गर्लफ्रेंड नताशा दलाल के साथ शादी के बंधन में बंधने वाले हैं। साल 2020 में, यह कपल वियतनाम में डेस्टिनेशन वेडिंग करने की प्लानिंग बना रहा था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण शादी की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया।
Etimes की खबर के अनुसार, कपल अब महाराष्ट्र के अलीबाग में स्थित एक शानदार मैंशन हाउस में वेडिंग सेरेमनी करने वाले हैं। यह एक 25-रूम वाला रिसॉर्ट है जो अलीबाग जेट्टी से 10 मिनट ड्राइव की दूरी पर है। अभिनेता और उनका परिवार 22 जनवरी को शादी के लिए रोड ट्रैवल से वेन्यू पर पहुंचेंगे। वेडिंग फेस्टिविटीज 23 जनवरी की शाम से संगीत सेरेमनी के साथ शुरू होंगी, जबकि शादी 24 जनवरी को होगी।
खबर के अनुसार, विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के वेडिंग प्लानर इस बिग बॉलीवुड वेडिंग के इन-चार्ज हैं। आपको बता दें कि प्रोफेशनल फैशन संगीत दलाल डिज़ाइनर ब्राइड-टू-बी नताशा ने अपने डी-डे के लिए अपने ब्राइडल आउटफिट को खुद ही डिज़ाइन किया है।
Instagram/PeopleofBollywood
वरुण और नताशा बचपन से अच्छे दोस्त हैं। दोनों की मुलाकात स्कूल में हुई थी, और उनके परिवार कई सालों से दोस्त हैं। जहां नताशा ने कई सालों तक खुद को सुर्खियों से बाहर ही रखा, वहीं हाल के दिनों में वह वरुण के परिवार के साथ कई बार आउटिंग्स में साथ दिखीं। नवंबर 2020 में, उन्होंने वरुण की मां लाली धवन और भाभी जानवी के साथ सुनीता कपूर के घर पर करवाचौथ समारोह में भी भाग लिया।
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परख : दलाल की बीवी (रवि बुले) : राकेश बिहारी
दलाल की बीवी युवा कथाकार रवि बुले का पहला उपन्यास है. उनके दो कहानी संग्रह प्रकाशित और चर्चित रहे हैं. इसे \’मंदी के दिनों में लव, सेक्स और धोखे की कहानी\’ कहा गया है. हार्परकालिंस पब्लिशर्स इण्डिया से १५६ पृष्ठों में प्रकाशित १९९ रूपये का यह उपन्यास हिंदी में \’लिटरेचर और पापुलर के बीच की […]
दलाल की बीवी युवा कथाकार रवि बुले का पहला उपन्यास है. उनके दो कहानी संग्रह प्रकाशित और चर्चित रहे हैं. इसे \’ मंदी के दिनों में लव , सेक्स और धोखे की कहानी \’ कहा गया है. हार्परकालिंस पब्लिशर्स इण्डिया से १५६ पृष्ठों में प्रकाशित १९९ रूपये का यह उपन्यास हिंदी में \’ लिटरेचर और पापुलर के बीच की रेखा को मिटाता है \’. इसे कथाकार मंटों की परम्परा में रख कर देखने की वकालत की गयी है. इसकी समीक्षा की है राकेश बिहारी ने.
र वि बुले का उपन्यास दलाल की बीवी सबसे पहले अपने शीर्षक के कारण हमारा ध्यान खींचता है. कुछ वर्जित और अभेद्य को देखे जाने का सुख और रोमान्च कुछ लोगों के लिये तब और बढ जाता है जब नज़र इस शीर्षक के साथ लगे कैप्शन पर जाती है- ’मन्दी के दिनों में लव सेक्स और धोखे की कहानी.’ लेकिन इस कैप्शन में प्रयुक्त शब्द-त्रिकोण तक में ही उपन्यास को रिड्यूस कर दिया जाना इस उपन्यास के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा, कारण संगीत दलाल कि यह उपन्यास हमारे समय के एक ऐसे सच को सम्बोधित करता है, जिस पर खुले मन से बात करने के अभ्यस्त हम नहीं रहे हैं. लेकिन इन चिन्ताओं की जड़ें कितनी गहरी हैं उसे समझने के लिये उपन्यास की एक जरूरी पात्र बिल्ली की चिन्ताओं से रूबरू होना बहुत जरूरी है – \” बिल्ली सिर से पूंछ तक कांप गई…! बच्चे के मुंह से यह कहानी सुनकर उसकी नींद उड गयी. उसका मन बेचैन हो गया. वह कल स्कूल जा कर ज़रूर प्रिंसिपल से मिलेगी और शिकायत करेगी… क्लास में कैसी अश्लील और हिंसक बातें सीख रहे हैं बच्चे! फ़िर कुछ पल बाद वह सोचने लगी कि उसे जिस कहानी का पता था, वह सच है या जो बच्चे ने सुनाई वह? क्या योगानन्द की कहानी समय के साथ बदल गयी या हमारे समय में अश्लीलता और हिंसा हर तत्व में घुस चुकी है. बच्चों की कहानी तक में! वह उलझन में पड़ गयी.\” उपन्यास का यह आखिरी हिस्सा हमें कई प्रश्नों से घेर देता है. यथार्थ का जो स्वरूप हमें नंगी आंखों से दिखता है और जो दिखने से रह जाता है उनके बीच का फ़ासला कितना लम्बा है? अश्लील और हिंसक व्यवहारों से भरे इस समय में हम अपने भविष्य और अपनी संततियों के लिये कैसी दुनिया सिरज रहे हैं? यह और इन जैसे कई और प्रश्न इस उपन्यास की चिन्ता के केन्द्र में हैं.
रवि बुले की एक बड़ी खासियत यह है कि समय के सच और उसकी भयावहता को प्रकट करने के लिये ये किसी दुरूह और अबूझ रूपक का सहारा नहीं लेते न ही शिल्प के चौंकाऊ प्रयोग में उलझते हैं. उनके पास एक ऐसा पठनीय और रोचक गद्य है जो सीधे पाठक की उंगली थाम कर एक सहज कथानक के सहारे उसे अपने समय के सबसे खतरनाक सच तक पहुंचा देता है. एक ऐसा सच जहां जीवन-व्यापार को चलाये रखने के लिये देह-व्यापार एक खास तरह की मजबूरी हो कर रह गई है. आर्थिक मन्दी के बाद का यह एक ऐसा सच है जिसने हर व्यवसाय को देह तक रिड्यूस कर दिया है या यूं कहें कि देह को ही हर व्यवसाय की सफलता का प्रस्थान बना दिया है. गोकि उपनयास के आवरण पर हबीब कैफी का यह कथन भी चस्पा है कि ’मन्टो अगर आज होते तो निश्चित रूप से कुछ ऐसा ही लिखते’ लेकिन सच पूछिये तो रवि बुले के इस उपन्यास पर किसी अन्य नये-पुराने लेखक की कीई कोई छाया नहीं है. इस उपन्यास पर सिर्फ और सिर्फ जिस एक चीज का प्रभाव है, वह है- आज का समय. जिन लोगों को समकालीन कथा-साहित्य से आज के समय के गायब होने की शिकायत रहती है उन्हें यह उपन्यास जरूर पढ़ना चाहिये.
मुंबई जैसे महानगर में जहां जाने कितने लोग अपनी आंखों के कोर में रोज अनगिन सपनों की दुनिया सजाये आते हैं और कैसे एक दिन उनके वे सपने त्रासदी का रूप लेकर उनके जीवन को एक खास तरह की करुणास्पद विडम्बनाओं का रूपक बना डालते हैं का मर्मस्पर्शी आख्यान है यह उपन्यास. बीवी की हत्या, लडकियों की तस्करी, दैहिक शोषण, उत्पीड़न आदि जैसी क्रूरतम सच्चाइयां कैसे एक शहर के रेशे-रेशे में घुलते हुये आनेवाली पीढ़ियों को स्वप्नविहीन बना रही है या उनके लिये स्वप्न शब्द का अर्थ संकुचन कर रही है, उसे इस उपन्यास को पढते हुये बहुत आसानी से समझा जा सकता है.
समकालीन युवा रचनाकारों की भाषा-शैली में अमूमन तीन वरिष्ठ रचनाकारों- निर्मल वर्मा, विनोद कुमार शुक्ल और उदय प्रकाश का एक अजीब-सा कौक्टेल देखने को मिलता है. रवि बुले के इस उपन्यास को पढना इन अर्थों में भी सुखकर है कि इनकी भाषा-शैली इस तरह के हर प्रभावों से मुक्त है. रवि की भाषा में एक खास तरह की मौलिकता है, जो आपको कहीं और नहीं मिल सकती. भाषा और कथ्य के बीच एक ऐसी जुगलबन्दी जो पाठक और समय के बीच की सारी चौहद्दियां कब हटा कर रख देती हैं हमें पता ही नहीं चलता. समकाल और भाषा की इस जुगलबन्दी का एक नमूना आप भी देखिये – \” विश्व भर के बाज़ारों में मन्दी किसी जहरीली गैस की तरह फैली हुई थी. लोग नौकरियों को अपने प्राणों की तरह बचाने में जुटे थे. अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार के विशेषज्ञ अपनी-अपनी भाषा में चिल्ला-चिल्ला कर चेता रहे थे… ’लिसन प्लीज… दिस इज फाइनेंशियल हरिकेन. सावधान… यह फ़ाइनेंशियल सुनामी है.’ इस सुनामी में लोगों के आय के स्रोत उजड़े जा रहे थे. चारों दिशाओं में डर था. शंका-आशंका थी. हड़कम्प था. बाज़ार में हर किसी की ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे अटकी थी. इन अटकी सांसों में एक ही शब्द लटक रहा था… पैसा!! अर्थ की नब्ज पढ़ने वाले शास्त्री घबराये हुये लोगों को समझा रहे थे कि धन की तरलता नष्ट हो रही है.\” आर्थिक मन्दी के बाद के भयावह यथार्थ क्को दिखाने वाली उपन्यास की ये शुरुआती पंक्तियां धन की तरलता नष्ट होने की मुनादी से शुरु होकर धीरे धीरे हमारे भीतर की तरलता के नष्ट होने की बात करते हुये हमारे समय का एक शोकगीत बन कर उभरती है. जब हमारे समय और समाज का लगभग हर आदमी इसी तरह अर्थ की नब्ज पढने वाले शास्त्री में बदल जाये तो फिर समय और सम्बन्धों की तरल उष्मा को बचाये रखने की चिन्ता को प्रकट करने के लिये मनुष्येतर प्राणियों की तरफ़ देखने की जरूरत पडती है. यही कारण है कि उपन्यास के सूत्रधार के रूप में बिल्लियों के एक परिवार की उपस्थिति सिर्फ कथानक को आगे बढ़ाने संगीत दलाल का उपकरण भर न होकर इस करुण यथार्थ पर एक मारक टिप्पणी भी है.
यह रवि बुले की पारदर्शी भाषा-शैली और परिपक्व कथा-कौशल का नतीजा है कि अवान्तर प्रसंगों में उलझ कर कहीं और बहक जाने की सारी आशंकाओं को झुठलाते हुये हुये वे न सिर्फ कथानक की गम्भीरता को आद्योपान्त बनाये रखते हैं बल्कि एक सार्थक और रचनात्मक हस्तक्षेप के साथ समय से सम्वाद करने में भी सफल होते हैं. प्रोपर्टी की दलाली के देह की दलाली में बदल जाने की त्रासदी का वर्णन करती यह कथाकृति समय-सत्य की कई परतों को उघाडकर देखती-दिखाती है. यहां कुण्डली पढने वाले सुग्गा-पोषकों से लेकर लेकर अकूत ऐश्वर्य के सन्धान में साधनारत बाबाओं तक की कहानियां मौजूद हैं. जब देश और दुनिया के सारे रोजगार मन्डी में बिकने वाले माल की नियति को प्राप्त होने को मजबूर हो चुके हों दलाली का एक सर्वव्यापी पेशे के रूप में नज़र आना कितना सहज हो गया है इसे इस उपन्यास में आसानी से समझा जा सकता है.
चूंकि रवि बुले पेशे से फिल्म पत्रकार हैं, मुम्बई, फ़िल्म जगत, मीडिया आदि के रेशे से बुने कथानक के साथ वे ज्यादा न्याय कर पाये हैं. हां, कुछेक जगहों पर दृश्यों का अखबारी ब्योरों में बदल जाना जरूर खलता है. पर यह भी सच है कि इस उपन्यास ने मुम्बई के जिस हाशिये से हमारा परिचय कराया है वह अबतक हमारी आंखों के कोरों से अछूता था.
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नीता अंबानी जैसी ही खूबसूरत हैं उनकी बहन ममता दलाल, अंबानी बिजनेस का है बहुत बड़ा हिस्सा
नीता अंबानी की बहन ममता दलाल उनके परिवार संगीत दलाल के बिजनेस का अहम हिस्सा हैं । पूरी खबर पढ़ें और जानें कि वो क्या करती हैं, और किस बिजनेस से जुड़ी हैं ।
New Delhi, Aug 28: अंबानी परिवार के बारे में देश और दुनिया बड़े अच्छे से वाकिफ हैं । इस परिवार ने अपने बिजनेस की जड़ें अलग-अलग क्षेत्र संगीत दलाल में और दूर-दूर तक फैलाई हुई हैं। इस फैमिली बिजनेस में सिर्फ मुकेश अंबानी ही नहीं बल्कि नीता अंबानी का परिवार भी जुड़ा हुआ है संगीत दलाल । ऐसा ही एक नाम है ममता दलाल का, ममता नीता अंबानी की बहन हैं और उन्हीं की तरह खूबसूरत भी । ममता दलाल के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं कि वो अंबानी परिवार के एक अहम वेंचर का हिस्सा हैं ।
पेश से टीचर हैं
बहुत ही लो प्रोफाइल रहने वालीं ममता दलाल अंबानीज की कुछ पार्टीज में स्पॉट की गई हैं । वो भी नीता जितनी ही खूबसूरत लगती है । ममता पेशे से टीचर हैं । कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वह धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल का मैनेजमेंट संभालती हैं। दरअसल इस स्कूल की चेयरपर्सन खुद नीता अंबानी हैं। नीता ममता से बड़ी हैं, और वह खुद भी स्कूल में बच्चों को पढ़ाती हैं।
सेलिब्रिटीज के बच्चों का स्कूल
धीरू भाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल सेलिब्रिटीज के बच्चों का स्कूल कहा जाता है, क्योंकि यहां पढ़ने वाले ज्यादतर बच्चे बॉलीवुड या ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़े अन्य सेलेब्स के होते हैं । बड़े उद्योगपति भी अपने बच्चों को इसी स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं । एक इंटरव्यू में ममता दलाल ने बताया था कि वह शाहरुख खान और सचिन तेंडुलकर के बच्चों को पढ़ा चुकी हैं। उन्होने कहा था – ‘मैंने शाहरुख खान और सचिन के बच्चों को पढ़ाया है, लेकिन मेरे लिए सभी स्टूडेंट्स एक समान हैं। मैं सिर्फ पढ़ाती ही नहीं बल्कि वर्कशॉप और फिजिकल ऐक्टिविटीज भी कराती हूं।’
पढ़ाने का रहा शौक
ममता दलाल और नीता अंबानी, दोनों ही पेशेवर टीचर रही हैं । नीता ने शादी के बाद भी कुछ सालों तक टीचिंग की थी । परिवार में पढ़ाई की ओर झुकाव सभी का था । 11 बहनों के बीच पली-पढ़ीं नीता और ममता मिडिल क्लास भारतीय संस्कारों में रची बसीं थीं । आपको जानकर हैरानी होगी कि ममता दलाल ने एक जमाने में मनीष मल्होत्रा के लिए रैंप वॉक किया था । वो को अकसर अंबानी परिवार की पार्टियों में देखी जाती रही हैं । ईशा अंबानी की शादी के संगीत सेरेमनी में उन्होने अनिल अंबानी और टीना अंबानी के साथ परफॉर्मेंस भी दी थी।