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बैंक बाजार से पूंजी जुटाएं, बही-खाता मजबूत करें: वित्तीय सेवा सचिव

नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से कहा कि वे बाजार से पूंजी जुटाकर अपने बही-खाते को मजबूत करें। पूंजी बढ़ने से बैंकों को अपने कारोबार का विस्तार करने और उत्पादक क्षेत्रों को अधिक ऋण देने में मदद मिलेगी। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) सचिव संजय मल्होत्रा ने मंथन 2022 में पीएसबी के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लाभ सहित सभी मानकों पर बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी बैंकों से पूंजी जुटाकर उधार देने की क्षमता बढ़ाने को

पूंजी बढ़ने से बैंकों को अपने कारोबार का विस्तार करने और उत्पादक क्षेत्रों को अधिक ऋण देने में मदद मिलेगी।

वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) सचिव संजय मल्होत्रा ने मंथन 2022 में पीएसबी के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लाभ सहित सभी मानकों पर बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी बैंकों से पूंजी जुटाकर उधार देने की क्षमता बढ़ाने को कहा था।

मल्होत्रा ने बैंकों से बही-खाते को और मजबूत करने तथा बाजारों से पूंजी जुटाने का आग्रह किया।

उन्होंने सुझाव दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आपस में अधिक सहयोग करना चाहिए और बड़े बैंकों को छोटे बैंकों का मार्गदर्शन करना चाहिए।

भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने एक बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श तथा अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने को लेकर मंथन 2022 का आयोजन किया गया।

इससे पहले, इसका आयोजन 2019 में हुआ था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पहला मंथन कार्यक्रम 2014 में हुआ था।

मल्होत्रा ने सुझाव दिया कि बैंकों को दीर्घकालीन लाभ और ग्राहक केंद्रित रुख को लेकर रणनीतियों पर गौर करना चाहिए।

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Q. With respect to the capital adequacy requirements as mandated by the Reserve Bank of India, consider the following statements:

Which of the statements given above are incorrect?

Q. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनिवार्य पूंजी पर्याप्तता आवश्यकताओं के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

पूंजी: बैंकों को जल्द मिलेगी राहत की डोज, बैलेंस शीट सुधारने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये देगी सरकार

सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे।

money

बैंकों की बैलेंस शीट सुधारने और नियामकीय जरूरतों पूरी करने के लिए सरकार अगली तिमाही में 20 हजार करोड़ की पूंजी डालेगी। 2021-22 के बजट में सरकारी बैंकों के लिए इस पूंजी का प्रावधान किया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में जरूरत के हिसाब से 12 सरकारी बैंकों को राशि दी जाएगी।

वित्त मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सभी बैंकों की समीक्षा के आधार पर राशि का आवंटन किया जाएगा। महामारी के दबाव में भी इस साल सभी सरकारी बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में एक बार फिर से मजबूती आ रही है।

हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।

11 साल में 3.15 लाख करोड़ डाले
सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे। पिछले 11 साल में सरकारी बैंकों में 3.15 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है। इसमें से 70 हजार करोड़ महज दो वित्तवर्ष (2018-19 व 2019-20) में दिए गए हैं। सरकार अर्थव्यवस्था और कर्ज बांटने की दर मजबूत बनाने के लिए बार-बार बैंकों को वित्तीय मदद देती है।

10.5 फीसदी से ज्यादा रहेगी विकास दर : नीति आयोग
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चालू वित्तवर्ष में दहाई अंकों से ज्यादा की विकास दर का अनुमान लगाया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि 2021-22 में भारत 10.5 फीसदी से भी ज्यादा की दर से विकास करेगा। उन्होंने कहा, देश का सेवा और विनिर्माण पीएमआई पिछले महीने काफी मजबूत रहा। पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फीसदी की विकास हासिल भी की है। इससे पहले आरबीआई ने भी इस साल 9.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था।

विस्तार

बैंकों की बैलेंस शीट सुधारने और नियामकीय जरूरतों पूरी करने के लिए सरकार अगली तिमाही में 20 हजार करोड़ की पूंजी डालेगी। 2021-22 के बजट में सरकारी बैंकों के लिए इस पूंजी का प्रावधान किया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में जरूरत के हिसाब से 12 सरकारी बैंकों को राशि दी जाएगी।

वित्त मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सभी बैंकों की समीक्षा के आधार पर राशि का आवंटन किया जाएगा। महामारी के दबाव में भी इस साल सभी सरकारी बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में एक बार फिर से मजबूती आ रही है।

हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत बैंक पूंजी पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।

11 साल में 3.15 लाख करोड़ डाले
सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे। पिछले 11 साल में बैंक पूंजी सरकारी बैंकों में 3.15 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है। इसमें से 70 हजार करोड़ महज दो वित्तवर्ष (2018-19 व 2019-20) में दिए गए हैं। सरकार अर्थव्यवस्था और कर्ज बांटने की दर मजबूत बनाने के लिए बार-बार बैंकों को वित्तीय मदद देती है।


10.5 फीसदी से ज्यादा रहेगी विकास दर : नीति आयोग
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चालू वित्तवर्ष में दहाई अंकों से ज्यादा की विकास दर का अनुमान लगाया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि 2021-22 में भारत 10.5 फीसदी से भी ज्यादा की दर से विकास करेगा। उन्होंने कहा, देश का सेवा और विनिर्माण पीएमआई पिछले महीने काफी मजबूत रहा। पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फीसदी की विकास हासिल भी की है। इससे पहले आरबीआई ने भी इस साल 9.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था।

पूंजी: बैंकों को जल्द मिलेगी राहत की डोज, बैलेंस शीट सुधारने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये देगी सरकार

सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे।

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बैंकों की बैलेंस शीट सुधारने और नियामकीय बैंक पूंजी जरूरतों पूरी करने के लिए सरकार अगली तिमाही में 20 हजार करोड़ की पूंजी डालेगी। 2021-22 के बजट में बैंक पूंजी सरकारी बैंकों के लिए इस पूंजी का प्रावधान किया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में जरूरत के हिसाब से 12 सरकारी बैंकों को राशि दी जाएगी।

वित्त मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सभी बैंकों की समीक्षा के आधार पर राशि का आवंटन किया जाएगा। महामारी के दबाव में भी इस साल सभी सरकारी बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में एक बार फिर से मजबूती आ रही है।

हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।

11 साल में 3.15 लाख करोड़ डाले
सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे। पिछले 11 साल में सरकारी बैंकों में 3.15 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है। इसमें से 70 हजार करोड़ महज दो वित्तवर्ष (2018-19 व 2019-20) में दिए गए हैं। सरकार अर्थव्यवस्था और कर्ज बांटने की दर मजबूत बनाने के लिए बार-बार बैंकों को वित्तीय मदद देती है।

10.5 फीसदी से ज्यादा रहेगी विकास दर : नीति आयोग
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चालू वित्तवर्ष में दहाई अंकों से ज्यादा की विकास दर का अनुमान लगाया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि 2021-22 में भारत 10.5 फीसदी से भी ज्यादा की दर से विकास करेगा। उन्होंने कहा, देश का सेवा और विनिर्माण पीएमआई पिछले महीने काफी मजबूत रहा। पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फीसदी की विकास हासिल भी की है। इससे पहले आरबीआई ने भी इस साल 9.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था।

विस्तार

बैंकों की बैलेंस शीट सुधारने और नियामकीय जरूरतों पूरी करने के लिए सरकार अगली तिमाही में 20 हजार करोड़ की पूंजी डालेगी। 2021-22 के बजट में सरकारी बैंकों के लिए इस पूंजी का प्रावधान किया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में जरूरत के हिसाब से 12 सरकारी बैंकों को राशि दी जाएगी।

वित्त मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सभी बैंकों की समीक्षा के आधार पर राशि का आवंटन किया जाएगा। महामारी के दबाव में भी इस साल सभी सरकारी बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में एक बार फिर से मजबूती आ रही है।

हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।

11 साल में 3.15 लाख करोड़ डाले
सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे। पिछले 11 साल में सरकारी बैंकों में 3.15 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है। इसमें से 70 हजार करोड़ महज दो वित्तवर्ष (2018-19 व 2019-20) में दिए गए हैं। सरकार अर्थव्यवस्था और कर्ज बांटने की दर मजबूत बनाने के लिए बार-बार बैंकों को वित्तीय मदद देती है।


10.5 फीसदी से ज्यादा रहेगी विकास दर : नीति आयोग
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चालू वित्तवर्ष में दहाई अंकों से ज्यादा की विकास दर का अनुमान लगाया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि 2021-22 में भारत 10.5 फीसदी से भी ज्यादा की दर से विकास करेगा। उन्होंने कहा, देश का सेवा और विनिर्माण पीएमआई पिछले महीने काफी मजबूत रहा। पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फीसदी की विकास हासिल भी की है। इससे पहले आरबीआई ने भी इस साल 9.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था।

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