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मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली

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जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय | Jaishankar Prasad Biography In Hindi

Biography Of Jaishankar Prasad In Hindi जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय : प्रसाद एक युग प्रवर्तक रचनाकार मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली थे. जिन्होंने एक साथ कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में हिंदी को गौरवान्वित करने वाली रचनाएं लिखी. आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में प्रसाद का गौरव अक्षुण्ण है. काशी के प्रसिद्ध सुंघनी साहू परिवार में जन्म, आरम्भिक शिक्षा और जीवन समर्द्धता से प्रारम्भ हुआ, किन्तु 17 वर्ष की आयु में प्रसाद पर आपदाओं मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली का कहर टूट पड़ा. जयशंकर प्रसाद ने धीरता और गंभीरता से विषम परिस्थतियों का सामना किया.

जयशंकर प्रसाद जीवन परिचय Jaishankar Prasad Biography In Hindi

Jaishankar Prasad Biography In Hindi

Jaishankar Prasad Biography In Hindi -प्रसाद के सा हित्य में प्रकृति की चेतना के सचेतन रूप के साथ साथ मानव के लौकिक और परलौकिक जीवन की जैसी विविधतापूर्ण झाँकी प्रस्तुत की गई है, वैसी आधुनिक युग के किसी अन्य कवि में नही मिलती है.

कवि के रूप में जयशंकर प्रसाद निराला, पंत, महादेवी के साथ छायावाद के चौथे स्तम्भ के रूप में प्रतिष्ठित हुए. नाट्य लेखन में स्वर्णिम इतिहास को आधार बनाकर गौरवशाली भारतवर्ष का रेखांकन कर उस समय के जनमानस में आत्म चेतना का संचार किया. कहानी और उपन्यास के माध्यम से मानवीय करुना मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली और भारतीय मनीषा के अनेकानेक अनावृत पक्षों का उद्घाटन किया है.

Jaishankar Prasad Ka Jeevan Parichay

Jaishankar Prasad Biography

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बनारस के सुंघनी साहु घराने के जयशंकर प्रसाद का जन्म 1890 ई में हुआ. प्रसाद जी की प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा घर पर ही हुई थी.

प्रसाद ने भाषाज्ञान उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, हिंदी आदि का अध्ययन सूक्ष्मता से किया. इनके पिता देवी प्रसाद भी साहित्यिक अभिरुचि के थे.

इन्हें काफी समय बाद स्कूली शिक्षा प्राप्ति का अवसर मिला. किन्तु आठवी तक पढ़ने के बाद इनका नियमित अध्ययन छूट गया,

अतः इतिहास, संस्कृति, व्याकरण आदि का इन्होने घर पर ही अध्ययन किया. अपनी किशोरावस्था से ही प्रसाद जी काव्य गोष्ठियों में जाने से साहित्यकारों से मिलने का अवसर मिला.

इनके पिता और भ्राता चाहते थे कि सुंघनी के व्यापार में रूचि ले, किन्तु बेमन से दूकान पर बैठते थे. लेखन की ओर इनकी अभि रूचि तेरह वर्ष की अवस्था में ही हो चुकी थी, उम्रः और अनुभव बढ़ने के साथ ही ये कहानियाँ और कविताएँ लिखने लगे.

प्रसाद जी दानी स्वभाव के थे, इसलिए भाई व पिता की मृत्यु के बाद जब व्यापार सम्भाला था तो आर्थिक स्थिति सुद्रढ़ होते ही उन्हें संकटों का सामना करना पड़ा.

आपने 1910 में इंदु पत्रिका का प्रकाशन कराया, बाद में हंस पत्रिका में भी कहानियाँ प्रकाशित हुई. श्रीशिवपूजन सहाय के सम्पादकत्व में आपने जागरण पत्र का प्रकाशन कराया, जिसे बाद में उसे अर्थाभाव के कारण बंद करना पड़ा.

जयशंकर प्रसाद मृदुभाषी, स्पष्टवक्ता, साहसी एवं उद्धार ह्रदय के थे. नागरी प्रचारिणी सभा और हिंदुस्तान अकादमी से इन्हें साहित्य लेखन के लिए पुरस्कृत किया गया.

जयशंकर प्रसाद प्रेमी ह्रदय थे, उन्हें अपनी प्रेमिकाओं से निराशा ही हाथ लगी, जिसे उन्होंने आत्मकथ्य नामक कविता में व्यक्त भी किया हैं.

बिमारी के कारण इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि, कहानीकार, नाटककार, उपन्यासकार की वर्ष 1937 में मृत्यु हो गई.

जयशंकर प्रसाद की रचनाएं

प्रसाद जी ने साहित्य की प्रत्येक विधा पर जमकर लिखा. उनका गम्भीर चिंतन अध्ययन एवं लोकानुभव विस्तृत था, जिसका प्रभाव उनके साहित्य में मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली झलकता हैं. उनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं.

क्रमांकविधारचना
1.मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली उपन्यासकंकाल, तितली, इरावती (अधुरा)
2.कहानी संग्रहछाया, प्रतिध्वनी, आकाशदीप, आंधी, इंद्रजाल
3.नाटकराज्यश्री, विशाख, अजातशत्रु, स्कंदगुप्त, चन्द्र गुप्त, धुर्वस्वामिनी, सज्जन, प्रायश्चित, जनमेजय जा नागयज्ञ, कामना, एक घूंट
4.निबंधकाव्य और कला
5.काव्य रचनाएंकामायनी, चित्राधार, कानन कुसुम, करुणालय, महाराणा का महत्व, झरना, आंसू, लहर, प्रेम पथिक आदि.
6.श्रेष्ठ कहानियाँममता, आंधी, पुरस्कार, गुंडा, छोटा जादूगर

जयशंकर प्रसाद की कहानी कला

बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रसाद जी ने हिंदी कहानी को प्रौढ़ता प्रदान की हैं. प्रेमचंद की सरल भाषा मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली से अलग तत्सम प्रधान हिंदी का प्रयोग कर कहानी में साहित्यिक गौरव की अभिवृद्धि की हैं. ये इतिहास, दर्शन, पुरातत्व तथा विविध भाषाओं के प्रकांड पंडित थे.

संस्कृति के गहन अध्येता जयशंकर प्रसाद की कहानियों में भारतीय आदर्श की स्थापना हुई हैं. आदर्शवाद से ओत प्रेत उनकी कहानियों में कोमल भाव, आवेग, अंतर्द्वंद्व, गीतात्मकता तथा व्यक्ति दृष्टि की प्रधानता हैं.

प्रेम त्याग बलिदान एवं कर्तव्य मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली भावना के रंग में सराबोर उनकी कहानियों के पात्र पाठक के मन में अमिट छाप छोड़ जाते हैं. जैसे पुरस्कार की मधूलिका,ममता की ममता, आकाशदीप की नायिका एवं देवरथ की सुजाता हिंदी कहानी के अमर पात्र हैं.

जिनमें उक्त गुण भरे पड़े हैं. प्रसाद के नाटकों और कहानियों के नारी पात्र पुरुषपात्रों की तुलना में भव्य, प्रभावशील और गरिमा वान हैं. वातावरण चित्रण में भी जयशंकर प्रसाद अद्वितीय हैं.

इन्होने अतीत के पट पर वर्तमान के चलचित्र प्रस्तुत किये हैं. राष्ट्रीयता एवं देशप्रेम, सांस्कृतिक वातावरण तथा मानवीय उच्च आदर्शों का चित्रण करना इनका प्रमुख उद्देश्य हैं.

काव्यमय भाषा शैली के मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली कारण उनकी कहानियाँ नाटक और कविता के अधिक निकट हैं. तत्सम प्रधान शब्दावली से ओत प्रेत प्रसाद की भाषा पाठक के ह्रदय में बिम्ब उपस्थित कर देती है. मानों सारी घटनाएँ आँखों के सामने घटित हो रही हैं.

ओजस्वी शैली व विवेचनात्मक पद्धति, सूत्रशैली के कारण प्रसाद का भाषा सौष्ठव प्रौढ़ प्रांजल एवं सहज प्रतीत होता हैं. प्रसाद की छाया वादी प्रवृत्ति इनकी कहानियों में मुद्रा व्यापार में अलग शब्दावली परिलक्षित होती हैं. प्रकृति चित्रण एवं पात्रों की भावुकता, मानसिक उथल पुथल इसका प्रमाण हैं.

प्रमुख छायावादी साहित्यकार और उनकी रचनाएँ – जय शंकर प्रसाद

नमस्कार दोस्तों उम्मीद करता हूँ आपकों Jaishankar Prasad Biography In Hindi का यह लेख पसंद आया होगा. यहाँ हमने जयशंकर प्रसाद के जीवन परिचय, जीवनी, इतिहास, निबंध, स्पीच के बारें में जानकारी दी हैं. यदि आपकों यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.

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