मौजूदा रुझान

जीईएम पोर्टल से सार्वजनिक खरीद एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हुई
नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) सरकारी खरीद पोर्टल जीईएम से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद चालू वित्त वर्ष में अब तक एक लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गई है। इसकी वजह विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की खरीद गतिविधियों में हुई वृद्धि है।
केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद के मौजूदा रुझान लिए नौ अगस्त, 2016 को गवर्नमेंट ई-मार्केट (जीईएम) पोर्टल शुरू किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मौजूदा रुझान कहा कि जीईएम पोर्टल देश के लिए उद्यमिता उत्साह दर्शाने और पारदर्शिता की दृष्टि से ‘पासा पलटने’ वाला है।
मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘बहुत अच्छी खबर। भारत के उद्यमिता उत्साह और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए जीईएम पासा पलटने वाला है। इस मंच पर अपने उत्पाद प्रदर्शित करने वालों की मैं सराहना करता हूं और दूसरों से भी ऐसा करने को कहता हूं।’’
इससे पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जीईएम मंच से खरीद के आंकड़े साझा किए।
जीईएम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पी के सिंह ने कहा कि मौजूदा रुझान को देखते हुए इस वित्त वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 1.80 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज हमने एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लिया। चालू वित्त वर्ष के लिए हमारा लक्ष्य 1.5 लाख करोड़ रुपये का था लेकिन मौजूदा रुख को देखते हुए हम 1.80 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकते हैं।’’
इस पोर्टल से खरीदारी करने वाले शीर्ष पांच राज्यों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पेट्रोल की बढ़ी कीमतों में आंशिक कटौती के दिए संकेत
नई दिल्ली: पेट्रोल की बढ़ी कीमतें कम हो सकती है। सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि कल यानी शुक्रवार को होनेवाली मंत्रिसमूह की बैठक में पेट्रोल की बढी कीमतों में कटौती का फैसला लिया जा सकता है। सरकार ने भी तेल कीमतों में कमी किए जाने के संकेत दिए हैं। माना जा रहा है कि 2.50 रुपये प्रति लीटर की कमी की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को डीजल और रसोई गैस की कीमतों पर ईजीओएम की बैठक होने वाली है।
उधर, पेट्रोल के दाम में अब तक की सबसे उंची वृद्धि करने के एक दिन बाद तेल कंपनियों ने गुरुवार को संकेत दिया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट के रुझान को देखते हुये अगले महीने पेट्रोल के दाम 1.मौजूदा रुझान 50 से 1.80 रुपये लीटर तक कम हो सकते हैं।
दाम बढ़ने के बाद चौतरफा राजनीतिक दबाव को देखते हुये सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से पेट्रोल के दाम में एक झटके में 7.54 रुपये लीटर की वृद्धि के पीछे उनकी मजबूरी का ब्यौरा देने को कहा है। पिछले सात महीनों में कंपनियों ने पहली बार दाम बढ़ाए हैं।
इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन आरएस बुटोला ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल मूल्य के मौजूदा रुझान को देखते हुये लगता है कि पेट्रोल के दाम नीचे आयेंगे। तेल कंपनियों हर महीने की पहली और 16 तारीख को अंतरराष्ट्रीय तेल मूल्य और विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार की दरों के हिसाब से पेट्रोलियम पदार्थों के दाम की समीक्षा करती हैं। इस दौरान गैसोलिन के दाम जिसके आधार पर पेट्रोल के दाम तय होते हैं अंतरराष्ट्रीय बाजार में 124 डालर से घटकर 117 डालर प्रति बैरल पर आ गये हैं।
सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि डीजल के दाम 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए जाएं। एलपीजी सिलेंडरों में तो 400 रुपये तक का इजाफा करने का दबाव है।
इस बीच पेट्रोल के दामों में वृद्धि और बढ़ती महंगाई के खिलाफ एनडीए ने 31 मई को देशव्यापी बंद का आह्वान किया है। सरकार की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि पेट्रोल के दाम में इतनी भारी बढ़ोतरी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
गौरतलब है कि पेट्रोल की कीमतों में प्रति लीटर साढे सात रुपए की वृद्धि की गई है।
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अंजीर की कीमत 1kg ग्रेड A और बिलकुल ताज़ा
हालांकि ताजा अंजीर का परिवहन और भंडारण समस्याग्रस्त है, निर्माताओं ने ताजा अंजीर मुरब्बा बनाकर एक समाधान ढूंढ लिया है और ध्यान केंद्रित किया है कि लंबे समय तक शेल्फ जीवन है और परिवहन के लिए आसान और कम खर्चीला है।
ताजा अंजीर भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अधिक आम हैं, जो दुनिया में ताजा अंजीर की सबसे बड़ी मात्रा का उत्पादन करता है।
भूमध्य सागर में ताजे उगाए गए अंजीर विटामिन, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सिडेंट की उच्च संख्या के कारण भी उच्च मांग में हैं।
ताजा जैविक रूप से उगाए गए अंजीर अभी भी उच्च मांग में हैं
दुनिया भर में जैविक खाद्य उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ी है।
ताजे अंजीर का विकास पैटर्न सूखे अंजीर के समान होता है।
चूंकि उत्तरी अमेरिका और यूरोप में जैविक ताजा अंजीर की उच्च मांग है, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रीस सहित विभिन्न देशों में ताजा अंजीर उत्पादकों ने जैविक उत्पादों में मौजूदा प्रवृत्ति का लाभ उठाने के लिए जैविक अंजीर के विकास मौजूदा रुझान में वृद्धि की है।
इसके अलावा, पारंपरिक ताजे अंजीर की तुलना में, जैविक ताजे अंजीर का बाजार मूल्य अधिक होता है।
दूसरी ओर, सूखे जैविक अंजीर के उत्पादकों की संख्या ताजा जैविक अंजीर की तुलना में अधिक है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि ताजा अंजीर का शेल्फ जीवन कम होता है और इसके शेल्फ जीवन को बढ़ाने के लिए परिरक्षकों को जोड़ने की आवश्यकता होती है।
इसलिए, अंजीर की जैविक गुणवत्ता खो जाती है।
पूरे मध्य पूर्व में, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात में, जहां लोग जैविक उत्पादों के लाभों के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं, ताजा जैविक अंजीर भी उच्च मांग में हैं।
जलवायु में उतार-चढ़ाव का ताजा अंजीर के उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आपूर्ति और मांग के बीच की खाई को चौड़ा करता है।
पूरी मौजूदा रुझान दुनिया में जलवायु परिवर्तन हुआ है और इसका कृषि उत्पादकता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
भूमध्यसागरीय देशों में इस क्षेत्र की जलवायु भी काफी भिन्न है।
चूंकि ताजे अंजीर साल में केवल एक बार किसी विशेष मौसम में उगते हैं, इसलिए किसी भी खराब मौसम की स्थिति फल के उत्पादन और गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
ताजा अंजीर रोग के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।
अतः अंजीर उत्पादन पर मौसम का प्रभाव इसकी उपलब्धता को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है।
भूमध्यसागरीय क्षेत्र में स्थित तुर्की दुनिया में अंजीर के मुख्य उत्पादकों में से एक है।
इस क्षेत्र में परिवर्तनशील मौसम की स्थिति ने उत्पादन क्षमता को गंभीर रूप से सीमित कर दिया है और ताजा और सूखे अंजीर में बाजार में अस्थिरता पैदा कर दी है।
तुर्की में ताजा अंजीर का उत्पादन मूल्य इस देश के पर्यावरणीय परिवर्तनों से प्रभावित हुआ है, जिससे ताजा अंजीर के उत्पादन में बड़ी कमी आई है।
दूसरी ओर, कई अन्य स्थानों ने अंजीर के पेड़ का उत्पादन शुरू कर दिया है, जो मांग और आपूर्ति के बीच समग्र अंतर को कम करने में मदद कर सकता है।
Soybean Price: सोयबीन की कीमतों में तेजी के आसार कम, मांग घटने और सप्लाई बढ़ने से 750 रुपये लुढ़क सकता है भाव
Soybean Price: सोयाबीन की पर्याप्त सप्लाई और सीपीओ की कीमतों में कमजोरी को देखते हुए वैश्विक बाजार में सोयाबीन की कीमतों में ज्यादा तेजी के आसार कम हैं.
31 जुलाई 2022 तक देशभर में सोयाबीन की बुआई 114.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है. (Pixabay)
Soybean Price: मांग के मुकाबले पर्याप्त सप्लाई और चालू खरीफ सीजन (kharif Season) में बुआई बढ़ने की वजह से आने वाले दिनों में सोयाबीन मौजूदा रुझान की कीमतों में कमजोरी का रुझान बना रह सकता है. आगामी समय में सोयाबीन का भाव लुढ़ककर 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक आ सकता है यानी मौजूदा भाव 6,250 रुपये से कीमतों में 750 रुपये की गिरावट आ सकती है. ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी के मुताबिक आगामी हफ्तों में देश की सोयाबीन की प्रमुख मंडी इंदौर में सोयाबीन का भाव 6,000 रुपये से 6,583 रुपये के दायरे में कारोबार करेगा.
उनका कहना है कि मौजूदा स्तर से सोयाबीन का भाव 6,000 रुपये तक लुढ़कने के बाद 5,500 रुपये के निचले स्तर को भी छू सकता है. हालांकि उनका मानना है कि सोयाबीन की कीमतों में सकारात्मक रुझान तभी आएगा जब भाव ट्रेंड रिवर्सल प्वाइंट यानी टीआरपी- 6,583 रुपये के ऊपर पहुंच जाए. उनका कहना है कि अगर सोयाबीन की आगामी नई फसल के दाम की बात करें तो भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर मौजूदा रुझान खुल सकता है.
मौजूदा हालात में सोयाबीन में ज्यादा तेजी के आसार कम
बता दें कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के द्वारा मौद्रिक नीति में नरम रुख अपनाने और अमेरिका में सोयाबीन उत्पादक राज्यों में सामान्य के मुकाबले मौजूदा रुझान ज्यादा गर्म तापमान की वजह से सकारात्मक रुझान बनने से बीते 7 दिन में वैश्विक मार्केट में रिलीफ रैली देखने को मिली है. हालांकि तरुण का मानना है कि सोयाबीन की पर्याप्त सप्लाई और सीपीओ की कीमतों में कमजोरी को देखते हुए वैश्विक बाजार में सोयाबीन की कीमतों में ज्यादा तेजी के आसार मौजूदा रुझान कम हैं. तरुण कहते हैं कि फसल खराब होने की खबरों से घरेलू बाजार में सोयाबीन को कुछ मौजूदा रुझान सपोर्ट मिला है लेकिन फसल को कितना नुकसान हुआ है अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. वहीं सरकार के ताजा बुआई के आंकड़ों के मुताबिक सोयाबीन की फसल की प्रगति अच्छी है. सोयाबीन की फसल की वास्तविक स्थिति अगस्त के आखिर में स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन अभी चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि किसान क्षतिग्रस्त क्षेत्र में फिर से बुआई शुरू कर चुके हैं.
कमजोर मांग से भी भाव पर दबाव की आशंका
क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क को खत्म करने, इंडोनेशिया और मलेशिया से सीपीओ और पामोलीन की ज्यादा सप्लाई की उम्मीद, मिलर्स और स्टॉकिस्ट की ओर से सोयाबीन और सरसों की कमजोर मांग और सूरजमुखी ऑयल के आयात में बढ़ोतरी अभी भी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के लिए वैध कारण हैं. वहीं नकारात्मक क्रश मार्जिन की वजह से मौजूदा भाव पर सोयाबीन और सरसों की पेराई की गतिविधि तर्क संगत नहीं है.
हफ्ते के आखिर में होने वाली बारिश फसल के लिए अच्छी
सप्ताह के आखिर में भारी बारिश के बजाय न्यूनतम से लेकर छिटपुट साप्ताहिक बारिश होने का अनुमान है. भारी बारिश के बाद होने वाली यह हल्की बारिश सोयाबीन की फसल के लिए अच्छी है क्योंकि खेतों का पानी अवशोषित हो जाएगा.
सोयाबीन की बुआई में इजाफा
31 जुलाई 2022 तक देशभर में सोयाबीन की बुआई 114.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.5 फीसदी और पिछले 5 साल की समान अवधि की सामान्य क्षेत्रफल के औसत से 13.7 फीसदी ज्यादा है.