इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड

भारतीय बैंकिंग सेक्टर विगत वर्षों में कई चुनौतियों को झेलने के बाद अब काफी मजबूत बनकर उभरा है। अधिकांश बैंकों के रिजल्ट अच्छे आए हैं, विशेषकर सरकारी बैंकों के रिजल्ट तो उत्साहवर्धक हैं और वैल्यूएशन की दृष्टि से देखा जाए तो इनके शेयर अभी भी आकर्षक वैल्यूएशन पर मिल रहे हैं। बैंकिंग सेक्टर की ग्रोथ आने वाले वर्षों में भी काफी अच्छी रहने की संभावना हैं और निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलने के आसार हैं।
इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड
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करदाता के विचार #ITDindia
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1. संशोधित विवरणी फ़ाइल करने की तिथि अधिनियम की धारा 170A के तहत निर्दिष्ट मामलों में 31 मार्च , 2023 तक बढ़ा दी गई है ।नवीनतम अपडेट अनुभाग में विवरण देखें। 2. कर लेखा परीक्षा रिपोर्ट फ़ॉर्म 3CA-CD/3CB-CD फ़ाइलिंग संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड प्रश्न पोर्टल पर अपलोड कर दिए गए हैं। कृपया त्रुटि मुक्त फ़ाइलिंग के लिए इसे देखें। 3. फ़ॉर्म 3CA-3D/फॉर्म 3CB-3CD अपलोड करने से पहले, जमा इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड करने के दौरान किसी भी समस्या से बचने के लिए कृपया सुनिश्चित करें कि सी.ए. और करदाता प्रोफ़ाइल पूरी और अपडेट हो 4. फ़ॉर्म नं.10-IJ और फॉर्म नं.10-IL पोर्टल पर फ़ाइल करने के लिए उपलब्ध हैं। 5. अब से करों के भुगतान के लिए ई-फाइलिंग पोर्टल पर बैंक ऑफ़ इंडिया को एन.एस.डी.एल. में ओल्टास कर का ई-भुगतान से ई-पे कर सुविधा में बदल दिया गया है। 6. फ़ॉर्म 10B, 10BB, 29B और 29C फ़ाइल करने के लिए ऑफ़लाइन उपयोगिताएँ पोर्टल पर उपलब्ध हैं। कृपया डाउनलोड अनुभाग देखें।
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अगर आप भी लेना चाहते हैं Shares और Mutual Funds पर लोन, इन बातों का रखें ध्यान
शेयरों, म्यूचुअल फंड एवं बांड में किए अपने निवेश के बदले में लोन लेने का विचार भी कर रहे हैं। वैसे इस तरह से लोन काफी आसानी से मिल जाता है। कई बैंक और एनबीएफसी तो इसपर डॉक्यूमेंट्स भी नहीं मांगते हैं।
नई दिल्ली। कोविड 19 की वजह से कई लोगों की नौकरियां जा चुकी है। जिसकी वजह से वो लोग अपना काम शुरू करने का मन बना रहे हैं। जिसके लिए उन्हें रुपयों की जरुरत है। ऐसे में वो कंपनियों के शेयरों, म्यूचुअल फंड एवं बांड में किए अपने निवेश के बदले में लोन लेने का विचार भी कर रहे हैं। वैसे इस तरह से लोन काफी आसानी से मिल जाता है। कई बैंक और एनबीएफसी तो इसपर डॉक्यूमेंट्स भी नहीं मांगते हैं। लेकिन इस तरह के लोन में कई जरूरी शर्तें हैं। ब्याज दरों को भी देखना जरूरी है । आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आपको किन बातों का ध्यान रखने की जरुरत है।
आखिर कितना मिल सकता है कर्ज
अगर आप किसी निवेश जैसे शेयर, म्यूचुअल फंड, बांड या बीमा पॉलिसी के बदले लोन लेने का मन बना रहे हैं तो आपको निवेश राशि के बदले 50 से 60 फीसदी तक लोन मिल सकता है। वहीं डेट म्यूचुअल फंड के बदले बैंक ज्यादा राशि का लोन दे सकते हैं, क्योंकि उसके रिटर्न में ज्यादा फ्लकचुएशन देखने को नहीं मिलता है। वहीं शेयरों में जोखिम ज्यादा देखने को मिलता है। जिसकी वजह से जिनके बदले में लोन कम मिलता है।
कितना लगता है ब्याज
शेयर और पॉलिसी के बदले बैंक होम लोन की ब्याज दरों से दो से तीन फीसदी ऊंची दर पर लोन देता है। यह ब्याज दर पर्सनल लोन के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। मौजूदा समय में विभिन्न बैंक और एनबीएफसी 9.25 फीसदी से लेकर 18 फीसदी दर पर शेयरों के बदले कर्ज दे रही हैं।
शेयर बाजार में गिरावट का पड़ता है असर
शेयर के बदले लोन लेने पर बाजार में गिरावट का असर साफ देखने को मिलता है। कारण है कि आपके शेयरों की वैल्यू कम हो जाती है। जिसकी वजह से बैंक लोन पीरीश्ड के बीच में आपसे उतनी ही राशि के शेयरों को गिरवी रखने या राशि चुकाने को कहते हैं। उदाहरण से समझने का प्रयास करें तो अगर आपने 10 लाख रुपए के शेयर गिरवी रखे जिसके बदले में 60 फीसदी यानी छह लाख रुपए लोन मिला। बाजार में 10 फीसदी गिरावट पर आपके शेयर 9 लाख रुप, के हो जाएंगे। ऐसे में आप केवल 5.40 लाख कर्ज के हकदार हैं। इस स्थिति में बैंक 60 हजार रुप, की भरपाई की मांग करते हैं।
कितना होता है प्रोसेसिंग शुल्क
मोजूदा समय में कई बैंक 0.10 फीसदी से 2 फीसदी तक प्रोसेसिंग शुल्क लेते हैं। यूको बैंक 250 रुपए की तय राशि शुल्क के रूप में लेता है। जबकि कुछ बैंकों कर्ज सस्ता और शुल्क ज्यादा लेते हैं। जिसकी लिए आपको पूरी जांच करने की जरुरत है। इंडियन बैंक 9.05 फीसदी के शुरुआती ब्याज पर कर्ज दे रहा है। जबकि 0.30 फीसदी के करीब प्रोसेसिंग शुल्क ले रहा है। वहीं निजी क्षेत्र का कोटक महिन्द्रा बैंक दो फीसदी तक प्रोसेसिंग शुल्क ले रहा है।
Investment सरकारी बैंकों की ऊंची उड़ान, शेयरों में निवेशकों को मिल रहा जोरदार फायदा
मुंबई: इस साल रिकॉर्ड महंगाई (High Inflation) और बढ़ती ब्याज दरों (Rising Interest Rates) के कारण शेयर बाजार (Stock Market) में भारी उतार-चढ़ाव के माहौल में खास तेजी नहीं आई है। हालांकि अन्य बड़े देशों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की तेज प्रगति को देख विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारत के प्रति फिर पॉजिटिव हो गए हैं। इस वजह से पिछले माह से बाजार में अवश्य तेजी देखी जा रही है, लेकिन विगत 12 महीनों का विश्लेषण करें तो दोनों मुख्य बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स (Sensex) और एनएसई निफ्टी (Nifty) में 2% का मामूली रिटर्न ही मिला है, परंतु बैंकिंग सेक्टर के शेयर चमक रहे हैं, इनमें भी सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) के शेयरों (Stocks) में सबसे ज्यादा तेजी आई है और विगत 12 महीनों के दौरान सरकारी बैंक शेयरों में निवेशकों को कम जोखिम के साथ 9% से लेकर 110% तक का अच्छा फायदा प्राप्त हुआ है।सरकारी बैंकों में आम निवेशक तो मालामाल हुए ही हैं। साथ ही केंद्र सरकार को भी इनमें अच्छा-खासा फायदा हुआ है क्योंकि विगत वर्षों में सरकारी बैंकों को संकट से उबारने के लिए सरकार ने इनमें कम भाव पर इक्विटी निवेश किया था। देश के सबसे बड़े बैंक, एसबीआई (SBI) का शेयर तो पहली बार 600 रुपए की ऊंचाई इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड पर पहुंच गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), केनरा बैंक (Canara Bank), इंडियन बैंक (Indian Bank), यूनियन बैंक (UBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के शेयर भी विगत 3 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंच गए है।
सरकारी बैंक शेयरों में तेजी का अनुमान enavabharat.com ने पिछले साल ही व्यक्त किया था, जो एकदम सही साबित हुआ है। enavabharat.com ने 27 सितंबर 2021 को प्रकाशित अपने विश्लेषण ‘सरकारी बैंकों के आए अच्छे दिन’ और 22 नवबंर 2021 को प्रकाशित विश्लेषण ‘लगातार मजबूत होते सरकारी बैंक’ में प्रमुख सरकारी बैंक शेयरों को निवेश की दृष्टि से उत्तम बताया था। तभी से इनमें तेजी का रूख बना हुआ है और इस दौरान 110% तक का उछाल दर्ज हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि बैंकों का एनपीए घटने के साथ ग्रोथ भी तेज हो रही है, जिससे आगे भी तेजी जारी रहने के आसार हैं। हालांकि अब बड़ी तेजी के बाद कुछ मुनाफावसूली भी संभव है।
दूर हुआ ‘एनपीए’ इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड का बड़ा संकट
सरकारी बैंक शेयरों में आ रही तेजी का मुख्य कारण तो भारी ‘एनपीए’ का संकट दूर होकर बैलेंस शीट मजबूत होना है। सरकारी बैंकों की प्रगति में भारी डूबत कर्ज (NPA) सबसे बड़ी बाधा बन गए थे। इस कारण करीब 5 साल तक अधिकांश सरकारी बैंक घाटे से जूझते रहे। इस संकट को मोदी सरकार ने IBC कानून लाकर खत्म किया। बहरहाल अब खतरे के बादल छंट गए हैं और इनके ‘अच्छे दिन’ फिर लौट आए हैं। सभी सरकारी बैंक फिर से लाभप्रद बन गए हैं और ‘एनपीए’ कम करने के साथ व्यवसाय और मुनाफे में लगातार अच्छी वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। इसी कारण देश-विदेश के निवेशक सरकारी बैंकों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं और इनके शेयरों में तेजी आ रही है। बैंकों के बढ़ते एनपीए की समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 6 साल पहले इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) कानून लागू किया था। इस नए कानून के आने के बाद अनेक दिवालिया हुई कई कंपनियां डिफाल्टर प्रमोटरों के हाथ से निकल गयी हैं। इससे प्रमोटरों में यह डर पैदा हो गया कि इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड बैंक से लोन लिया है तो चुकाना ही पड़ेगा और यदि डिफाल्ट किया तो पूरी कंपनी हाथ से निकल जाएगी। नतीजन कंपनी प्रमोटर नया लोन लेने की बजाय अपना पुराना बैंक लोन चुकाने पर जोर देने लगे। इसी कारण कोविड संकट के बावजूद एनपीए नहीं बढ़ा और आईबीसी कानून के कारण पुराने डूबत कर्जों की रिकवरी भी तेजी से बढ़ी। उसी का नतीजा है कि सभी 12 सरकारी बैंकों का सम्मिलित शुद्ध ‘एनपीए’ कम होकर अब करीब 2% के काफी अच्छे स्तर पर आ गया है, जो तीन साल पहले 9% के जोखिमपूर्ण स्तर पर पहुंच गया था।
देशी-विदेशी निवेशकों ने बढ़ाया निवेश
सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत होने के अन्य मुख्य कारण छोटे कमजोर बैंकों का बड़े बैंकों में सफलतापूर्वक विलय (मर्जर), डिजिटल टेक्नोलॉजी पर फोकस, देश भर में विशाल शाखा नेटवर्क और करोड़ों ग्राहकों का मजबूत आधार है। जिसकी वजह से सरकारी बैंक कोरोना महामारी में भी अपना बिजनेस और मुनाफा बढ़ाने में सफल हुए। बढ़ते मुनाफे के कारण सरकारी बैंकों के शेयर निजी बैंकों की तुलना में काफी आकर्षक मूल्यांकन (Valuation) पर आ गए। नतीजन संस्थागत निवेशक सरकारी बैंकों के प्रति आकर्षित हुए हैं। एसबीआई में एफआईआई की इक्विटी हिस्सेदारी सितंबर 2022 की तिमाही में बढ़कर 9।95% हो गयी, जो पिछले साल जून में 7.9% थी। जबकि भारतीय संस्थागत निवेशकों (DII) की हिस्सेदारी 24.7% से बढ़कर 25.40% हो गयी। केनरा बैंक में भी एफआईआई की हिस्सेदारी 2.6% से बढ़कर 8.4% और डीआईआई की 9.4% से बढ़कर 15.30% तक पहुंच गयी है। इसी तरह अन्य बड़े सरकारी बैंकों में भी इन्होंने अपना निवेश बढ़ाया है।
अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित वित्त मंत्री
सरकारी बैंकों के अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ‘एनपीए’ को कम करने और पीएसबी (सरकारी बैंक) की वित्तीय स्थिति मजबूत बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयास अब ठोस परिणाम दिखा रहे हैं। सभी 12 सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बढ़कर 25,685 करोड़ रुपए और पहली छमाही में बढ़कर 40,991 करोड़ रुपए पर इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड पहुंच गया। इसमें सालाना आधार पर क्रमश: 50% और 32% का उछाल दर्ज हुआ है।
भारतीय बैंकिंग सेक्टर विगत वर्षों में कई चुनौतियों को झेलने के बाद अब काफी मजबूत बनकर उभरा है। अधिकांश बैंकों के रिजल्ट अच्छे आए हैं, विशेषकर सरकारी बैंकों के रिजल्ट तो उत्साहवर्धक हैं और वैल्यूएशन की दृष्टि से देखा जाए तो इनके शेयर अभी भी आकर्षक वैल्यूएशन पर मिल रहे हैं। बैंकिंग सेक्टर की ग्रोथ आने वाले वर्षों में भी काफी अच्छी रहने की संभावना हैं और निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलने के आसार हैं।
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