बाजार का लगातार अध्ययन

इस अध्ययन में, चीनी वैज्ञानिकों की तरफ से इकट्ठा किए गए डेटा को शामिल किया गया, एरिज़ोना विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी माइकल वोरोबे और उनके सहयोगियों ने दिसंबर 2019 में सबसे पहले रिपोर्ट किए गए कोविड बाजार का लगातार अध्ययन -19 मामलों में से 150 से ज्यादा जगहों का अंदाजा लगाने के लिए मैपिंग टूल का इस्तेमाल किया. फिर 2020 में जनवरी और फरवरी महीने में सोशल मीडिया ऐप के डेटा का इस्तेमाल करते हुए कोविड -19 के शिकार लोगों का एक चैनल बनाया. सोशल मीडिया ऐप के डेटा ने इस बात की पुष्ठी की कि कोरोना की शुरूआती मामले हुआनान सी-फूड बाजार से ही आए थे. रिसर्च इस बात की तरफ भी इशारा करती है कि हुआनान सी-फूड बाजार के बाद कोरोना वायरस स्थानीय समुदाय में फैलना शुरू हो गया था.
यूपी-बिहार में क्यों बढ़ रहा गालब्लाडर कैंसर, होगा अध्ययन- एम्स ने तैयार किया तीन सौ मरीजों का डाटा
Gallbladder Cancer in UP-Bihar पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी बिहार से गालब्लाडर कैंसर के ज्यादा मामले आ रहे हैं। एम्स ने तीन सौ मरीजों का डाटा एकत्र बाजार का लगातार अध्ययन किया है। इन पर शोध कर यह देखा जाएगा क्यों हो रहा है।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। अन्य राज्यों की अपेक्षा पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी बिहार में गालब्लाडर कैंसर के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? एम्स, इसका कारण जानने के लिए अध्ययन करेगा, ताकि इस रोग की रोकथाम के उपाय खोजे जा सकें। आंकोलाजी विभाग ने इसके लिए एम्स में उपचार करा रहे 300 रोगियों का डाटा एकत्रित किया गया है। इनकी उम्र 40 से 60 वर्ष के बीच है। इसमें दो सौ महिलाएं व एक सौ पुरुष रोगी हैं। सबसे ज्यादा रोगी उत्तर प्रदेश -बिहार सीमा से से सटे जिलों- सिवान, गोपालगंज, छपरा, रक्सौल, नरकटियागंज के हैं। इनके खान-पान, रहन-सहन, पारिवारिक, सामाजिक व आर्थिक माहौल को केंद्र में रखकर अध्ययन किया जाएगा। यह भी अध्ययन का हिस्सा होगा कि महिलाओं में इसके मामले ज्यादा क्यों हैं ?
एम्स में लगातार पहुंच रहे हैं मरीज
पूर्वी उत्तर प्रदेश व बाजार का लगातार अध्ययन पश्चिमी बिहार में अभी तक कैंसर के सबसे ज्यादा मामले मुंह व गले के कैंसर के आ रहे थे। एम्स पहुंचने वाले रोगियों ने अब गंभीर संकेत देने शुरू कर दिए हैं। कैंसर को लेकर नई धारणा तैयार होने लगी है। पिछले दो साल में लगभग एक हजार कैंसर रोगी एम्स पहुंचे। इसमें से तीन-तीन सौ रोगी मुंह-गले, सर्वाइकल (बच्चेदानी के मुंह) व गालब्लाडर कैंसर हैं। इन तीनों अंगों के कैंसर के मामले 30-30 प्रतिशत अर्थात बराबर आए। कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. शशांक शेखर के मुताबिक गालब्लाडर कैंसर के मामले दिल्ली व आसपास तथा अन्य राज्यों में बहुत कम मिलते हैं, इनकी संख्या एक-दो प्रतिशत होती है। लेकिन यहां 30 प्रतिशत मिलना, हैरत में डालने वाला है। इसका कारण पता करना जरूरी है। इसलिए अध्ययन का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
इन वजहों से होता है गालब्लाडर कैंसर
गालब्लाडर बाजार का लगातार अध्ययन कैंसर का मुख्य कारण पथरी है। कुछ रोगियों में शुरुआत में इसका पता नहीं चलता है, कुछ रोगियों को दर्द होता है लेकिन से इसे नजरअंदाज कर देते हैं। बाद में यह कैंसर का रूप धारण कर लेती है। पथरी होने के कारणों में उच्च वसायुक्त आहार, तेल-मसालों का उपयोग, कोलेस्ट्राल आदि हैं। आनुवांशिक कारणों से भी पथरी होती है। - डा. शशांक बाजार का लगातार अध्ययन शेखर, कैंसर रोग विशेषज्ञ, एम्स।
गालब्लाडर के कैंसर रोगियों की संख्या चौंकाने वाली है। इसके मामले बहुत कम आते हैं। लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में इनका 30 प्रतिशत मिलना आश्चर्यजनक है। इसलिए गालब्लाडर कैंसर के कारणों बाजार का लगातार अध्ययन को पता करना बेहद जरूरी है। इसके लिए अध्ययन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 300 रोगी अभी हमारे पास हैं। इन्हीं पर अध्ययन होगा। - डा. सुरेखा किशोर, कार्यकारी निदेशक, एम्स।
चीनी लैब या जानवरों के बाजार से निकला था कोरोनावायरस? जानिए असलियत
coronavirus
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 27 जुलाई 2022,
- (Updated 27 जुलाई बाजार का लगातार अध्ययन 2022, 4:55 PM IST)
कोरोना महामारी ने आज लगभग 6.4 मिलियन लोगों की जान ले ली है.
कोरोना वायरस अभी भी हम सब के बीच है और इससे बचने के लिए सरकार लगातार वैक्सीनेशन पर ज़ोर दे रही है. लोगों के बीच भी वैक्सीन और कोरोना वायरस को लेकर जागरुकता बढ़ रही है. लेकिन एक सवाल जो अभी भी बना हुआ है वो ये है कि क्या कोरोना वायरस की शुरूआत सच में चीन के हुआनान सी-फूड बाजार से हुई थी या इसकी शुरूआत चीन के वुहान लैब से हुई थी. आपको बता दें कि दो नए रिसर्च ने चीन के वुहान लैब से कोरोना की उत्पत्ति को लेकर किए जा रहे सवाल को लेकर जवाब दे दिया है. ये दोनों ही रिसर्च ये साबित करते हैं कि कोरोनोवायरस महामारी की उत्पत्ति चीन के हुआनान सी-फूड बाजार से हुई थी जहाँ जिंदा जानवरों को बेचा जाता है.
साइंस जर्नल के ऑनलाइन प्रकाशन में छपे शोध से ये पता चलता है कि हुआनन सीफूड होलसेल मार्केट से ही कोरोना महामारी की शुरूआत हुई थी, बता दें कि इस कोरोना महामारी ने आज लगभग 6.4 मिलियन लोगों की जान ले बाजार का लगातार अध्ययन ली है.
भारत में गिर रही है शार्क मछलियों की संख्या, अध्ययन में हुए चौंकाने वाले खुलासे
वास्को-द-गामा (गोवा), आइएसडब्ल्यू। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शार्क मछली पालने वाला देश माना जाता है। लेकिन मछुआरे और मछली व्यापारी शार्क संरक्षण के नियमों से अनजान हैं। इसके बाजार का लगातार अध्ययन कारण पिछले कई वर्षो से यहां शार्क मछलियों की संख्या लगातार कम हो रही है।
एंबिओ जर्नल में हुआ खुलासा
एंबिओ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, भारतीय मछुआरे प्राय: बड़ी शार्क मछलियां नहीं पकड़ते हैं, बल्कि दूसरी मछलियों को पकड़ने के लिए डाले गए जाल में बड़ी शार्क भी फंस जाती है। ज्यादातर मछुआरे और व्यापारी जानते हैं कि व्हेल शॉर्क को पकड़ना गैर- कानूनी है।