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ADR क्या है?

ADR क्या है?
समाजवादी पार्टी को मिले चंदे का 94 फीसदी और अकाली दल को मिले चंदे की 86 फीसदी आय अघोषित स्रोतों से जमा हुई है. रिपोर्ट में घोषित स्रोतों से जमा राजनीतिक दलों की कुल घोषित आय 1,835.63 करोड़ रही जो उनकी कुल कमाई का महज 16 फीसदी है.

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ADR रिपोर्ट में खुलासा- 2020-21 में सात चुनावी ट्रस्टों को दान में मिले 258 करोड़, BJP के खाते में आई 82 फीसदी राशि

नेशनल डेस्क: सात चुनावी न्यासों (इलेक्टरल ट्रस्ट) को कुल 258.49 करोड़ रुपये की राशि कॉरपोरेट जगत और व्यक्तियों से बतौर दान में मिली जिनमें से 82 प्रतिशत से अधिक राशि अकेले भारतीय जनता पार्टी को दी गई। यह जानकारी चुनाव अधिकार निकाय एडीआर ने दी है। चुनावी न्यास गैर लाभकारी संगठन हैं जिनकी स्थापना भारत में राजनीतिक दलों के लिए उद्योगों और व्यक्तियों से व्यस्थित तरीके से चंदा (योगदान) प्राप्त करने के लिए की गई है। इसका उद्देश्य चुनाव संबंधी खर्चो के लिए राशि के इस्तेमाल में पारदर्शिता लाना है। द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि 23 में से 16 चुनावी न्यासों ने वित्त वर्ष 2020-21 में अपने योगदान की विस्तृत जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंप दी है जिनमें से केवल सात ने ही राशि मिलने की घोषणा की है।

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राजनीतिक दलों की कमाई का 70% हिस्सा अघोषित, ADR की रिपोर्ट से खुलासा

कुल 45 क्षेत्रीय दलों ने नहीं दिया चंदे का ब्यौरा

  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2017,
  • (अपडेटेड 25 जनवरी 2017, 12:55 AM IST)

राजनीतिक पार्टियों के चंदे पर छिड़ी बहस के बीच सामने आई एडीआर की रिपोर्ट ने सनसनीखेज खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक देश के राजनीतिक दलों की कमाई का 69 फीसदी हिस्सा अघोषित स्रोतों से आता हैं जिसकी जानकारी राजनीतिक ADR क्या है? दल चुनाव आयोग और आयकर विभाग को नहीं देते हैं. कानून के मुताबिक राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में 20 हजार से कम के चंदे को घोषित करने से छूट मिली हुई है. चुनाव के जानकार भी मानते हैं कि राजनीतिक दलों के चंदे के खेल में इसी छूट के जरिए भारी गड़बड़ी की जाती है.

बीएसपी को लगातार 15वें साल किसी ने नहीं दिया 20 हजार से ज्यादा का चंदा, ADR की रिपोर्ट से खुलासा

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कोरोना काल के बाद भी बीजेपी समेत कई राजनीतिक दलों को भर-भरकर चंदा मिला है लेकिन कुछ पार्टियां ऐसी हैं जिनका सूखा बरकार है। एडीआर ADR क्या है? ने राजनीतिक चंदे की रिपोर्ट जारी की है जिसके मुताबिक बहुजन समाज पार्टी को किसी ने 20 हजार रुपये से ज्यादा चंदा नहीं दिया है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 सालों से लगातार बहुजन समाज पार्टी को किसी ने 20 हजार से ज्यादा चंदा नहीं दिया है। हालांकि बीजेपी समेत कई पार्टियों को कई गुना चंदा मिला है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020-21 में राष्ट्रीय पार्टियों को 3753 लोगों ने 20 हजार या उससे अधिक पैसा चंदे के तौर पर दिया है।

नेताजी ने मिलकर रिकॉर्ड बनाया है! गोवा में 5 साल में 60% नेताओं ने बदली पार्टी, ऐसा अब तक किसी राज्य में नहीं हुआ: ADR रिपोर्ट

गोवा में बीजेपी और कांग्रेस ही मुख्य पार्टी हैं

गोवा में बीजेपी और कांग्रेस ही मुख्य पार्टी हैं

gnttv.com

  • पणजी,
  • 22 जनवरी 2022,
  • (Updated 28 जनवरी 2022, 12:39 PM IST)

एडीआर की रिपोर्ट कहती है कि नेताओं ने जनादेश का अपमान किया

गोवा में नेताओं ने मिलकर एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है जो अब तक किसी राज्य में नहीं हुआ है. ऐसा हम नहीं एडीआर की रिपोर्ट कह रही है. पिछले 5 सालों में 60% नेताओं ने पार्टी बदल ली है. 40 विधानसभा सीटों वाले राज्य गोवा में पिछले 5 सालों में 24 विधायकों ने पाला बदला है. एडीआर की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि ऐसा अब तक पहले किसी राज्य में नहीं हुआ. यह भारतीय लोकतंत्र में अपने आप में एक इतिहास है. बता दें कि इस बार गोवा में 14 फरवरी को मतदान होना है.

नेताओं ने किया जनादेश का अपमान
एडीआर की ADR क्या है? रिपोर्ट कहती है कि वर्तमान विधानसभा(2017-2022) में 24 विधायकों ने पार्टी बदली है जो कि कुल विधायकों की संख्या का 60 प्रतिशत है. देश में अब तक ऐसा नहीं हुआ है. ये दिखाता है कि ये जनादेश का सीधा अपमान है. अपने स्वार्थ में नेताओं ने नैतिकता और अनुशासन को ताक पर रख दिया है.

Mediation Bill: क्या है मध्यस्थता कानून? कम हो जाएगा कोर्ट कचहरी का चक्कर

Mediation Bill: क्या है मध्यस्थता कानून? कम हो जाएगा कोर्ट कचहरी का चक्कर

राज्यसभा में 20 दिसंबर, 2021 को मध्यस्थता बिल, 2021 (Mediation Bill, 2021) पेश किया गया. मध्यस्थता एक किस्म का ऑल्टर्नेटिव डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन (ADR) होता है यानी वैकल्पिक विवाद समाधान जिसमें एक स्वतंत्रत व्यक्ति (मध्यस्थ) की मदद से अलग-अलग पक्ष अपने विवादों को निपटा सकते हैं. भारत में पहले से ही आर्बिट्रेशन और कंसीलिएशन एक्ट, 1996 लागू है लेकिन अब ये बिल मीडिएशन यानी मध्यस्थता के नाम से होगा.

मध्यस्थता की सारी प्रक्रिया अदालत के बाहर होती है. इस बिल में ऑनलाइन मध्यस्थता को ADR क्या है? बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं.

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