कैसा है बाजार का वैल्युएशन

इंजिनीयरिंग स्पेस में काफी हलचल हो रही है. इसके साथ अधिक पूंजी वाले कारोबार में भी हलचल बढ़ी है. इस सेक्टर में क्षमता का उपयोग अब तक 60-65 फीसदी तक ही है. इसमें काफी इन्वेंटरी है. यह स्पेस हमारे लिए मजेदार है. यहां तेजी की संभावना है. टेक स्पेस में भी तेजी की उम्मीद बन रही है और छोटी टेक फर्म्स में काफी संभावनाएं हैं.
IPO के वैल्युएशन से जुड़े नियमों को लेकर विचार कर रहा है सेबी, जानिए क्या है पूरा मामला
पिछले कुछ समय में टेक स्टार्टअप्स (Tech Startups) के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. अगर सिर्फ पेटीएम (Paytm) की बात करें तो यह अपने इश्यू प्राइस करीब 68 फीसदी तक गिर चुका है. मतलब यह कि अगर किसी ने इश्यू प्राइस पर 1 लाख रुपये लगाया होगा तो आज वह घटकर करीब 32 हजार रुपये ही रह गया है. पेटीएम की ही तरह जोमैटो, पॉलिसीबाजार और नायका के शेयर भी 52 हफ्ते के निचले स्तर के करीब कारोबार कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि बाजार की तुलना में टेक स्टार्टअप्स के शेयरों में गिरावट ज्यादा तेज है. टेक स्टार्टअप्स के शेयरों में हुई पिटाई और आलोचनाओं से निवेशकों ने भले ही सबक नहीं लिया हो लेकिन बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने इसको लेकर नसीहत जरूर ले ली है.
जमीन की वैल्यू को कैसे आंका जाता है, ये हैं तरीके
जमीन के टुकड़े की कीमत क्या है, यह पता लगाने के लिए कई तरीके हैं. आइए आपको उन तरीकों के बारे में बताते हैं, जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं.
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भारत में जमीन की वैल्यू खासकर शहरी इलाकों में पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ी है, जिससे ‘भूमि की कमी’ और ‘कम जगह’ जैसे शब्द काफी प्रचलित हुए. हालांकि अर्थशास्त्री अजय शाह ने कहा, अगर 1.2 बिलियन लोगों को एक परिवार के रहने लायक 1000 स्क्वेयर फुट घर में ठहरा दिया जाए और 400 वर्ग फुट के ऑफिस/फैक्टरी स्पेस में परिवार के दो श्रमिकों को तो इसके लिए भारत के लगभग 1% भूमि क्षेत्र की जरूरत है, जिसमें एफएसआई 1 माना जाएगा.
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चुनावी साल में सामाजिक योजनाओं पर बढ़ेगा सरकारी खर्च:आन्द्रदे
अगर इसे रोकना है तो इसके लिए बहाना शायद भू-राजनैतिक दवाब हो सकता है या बांड मार्केट.
भारत भी उसी दिशा में बढ़ रहा है. साल 2007-08 की तुलना में इस समय कारपोरेट बैलेंस शीट बहुत मजबूत स्थिति में हैं. वास्तव में ये अब तक की सबसे बेहतर स्थिति में हैं. पिछले दो साल में निजी क्षेत्र से बहुत सी नकदी बाजार में आई है जिससे कर्ज घटाने और बैलेंस शीट को डीलीवरेज करने में मदद मिली है.
अगर यह ट्रेंड अगले दो साल तक कायम रहता है तो तो डेट-इक्विटी रेश्यो सबसे निचले स्तर पर पहुंच जायेगा. हम इसलिए कह रहे हैं कि वैल्युएशन ज्यादा है, इसका जवाब आता है कि हम शेयरों में तब से निवेश करते रहे हैं जब बैलेंस शीट मजबूत नहीं होती थी. अगर कोई छोटी सी वजह भी सामने आती है तो करेक्शन की स्थिति में कॉरपोरेट मोर्टेलिटी रिस्क की बात नहीं देखी जा सकती.
रांची: जमीन का ही नहीं हुआ वैल्युएशन, 2 साल में कैसे बनेगा कांटाटोली फ्लाईओवर
Satya Sharan Mishra
Ranch: कांटाटोली फ्लाईओवर का फिर से निर्माण कार्य शुरू हुए 5 महीने पूरा हो चुका है. टेंडर लेने वाली अहमदाबाद की दिनेश अग्रवाल एंड संस कंपनी को 2 साल में काम को कंप्लीट करना है. 5 महीने बीतने के बाद भी अबतक शिफ्टिंग का काम ही शुरू नहीं हो पाया है. फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ने के कारण करीब 2 एकड़ जमीन का फिर से अधिग्रहण किया जाना है, लेकिन अबतक जमीन का वैल्युएशन ही नहीं हुआ है. वैल्युएशन होने के बाद ही रैयतों को मुआवजा मिलेगा और जमीन खाली होगी. फ्लाईओवर का बजट कैसा है बाजार का वैल्युएशन 225 करोड़ रुपये है. इसमें से 199 करोड़ रुपये से फ्लाईओवर बनेगा और बाकी बचे 26 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण में खर्च किये जाने हैं.
बिजली विभाग को हटाना है पोल
वहीं फ्लाईओवर बनाने के कैसा है बाजार का वैल्युएशन लिए बिजली के पोल भी हटाये जाने हैं. बिशप स्कूल से बहू बाजार तक के बिजली के पोल हटाने के लिए जुडको की ओर से बिजली विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है, लेकिन अबतक बिजली विभाग ने पोलों की शिफ्टिंग शुरू नहीं की है. 120 पेड़ों को भी हटाया जाना है. वन एवं पर्यावरण विभाग ने इस दिशा में काम शुरू नहीं किया है. कंपनी फिलहाल ओवरब्रिज के खंभे बनाने का काम कर रही है. 40 पाइलिंग का काम हो चुका है.
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40 करोड़ का प्रोजेक्ट 225 करोड़ का हो गया
कांटाटोली फ्लाईओवर राजधानी वासियों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है. न यह कंप्लीट हो रहा है और न ही प्रोजेक्ट रद्द हो रहा है. अटक-अटक कर लटक-लटक कर काम चल रहा है. 2018 से फ्लाईओवर का निर्माण शुरू होने के बाद से कांटाटोली होकर गुजरने वाले लोगों को हर दिन जाम में फंसना पड़ रहा है. फ्लाइओवर निर्माण की योजना 2016 में बनी थी। 2017 में इसका काम आवंटित किया गया था. भू-अर्जन पूरा होने के बाद जून 2018 से काम शुरू किया गया था. जून 2020 तक कांटाटोली फ्लाइओवर बन कर तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन फिर काम बंद हो गया. जब फ्लाईओवर निर्माण की योजना बनी तब बजट 40 करोड़ था, फिर 84 करोड़ पहुंचा. उसके बाद 187 करोड़ रुपये हो गया. अब इसका बजट 225 करोड़ रुपये हो गया है.
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड लंबी अवधि में इक्विटी बाजारों में भाग लेने और अपने निवेशकों के लिए रिस्क-एडजस्टेड यानी जोखिम-समायोजित रिटर्न देने का एक स्मार्ट तरीका प्रदान करता है. पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के मॉडल की कैसा है बाजार का वैल्युएशन संरचना और मॉडल की प्रकृति ऐसी है कि यह एक खास एसेट अलोकेशन के अप्रॉच को फॉलो करता है.
यह फंड निवेश के लिए एक काउंटर-साइक्लिक अप्रॉच को फॉलो करता है. जो हमारे पारदर्शी, इन-हाउस मॉडल के माध्यम से प्राप्त किया जाता है. जब मार्केट का वैल्युएशन उच्च स्तर पर होता है, तो फंड आमतौर पर अपने इक्विटी एक्सपोजर के एक हिस्से को हेज करता है और अपनी डेट होल्डिंग्स को भी बढ़ाता है. इससे मार्केट में गिरावट का असर कम होता है. जब मार्केट का वैल्युएशन कम होता है तो फंड इक्विटी में एग्रेसिव तरीके से निवेश करता है. यह फंड लार्ज, मिड और स्मॉल कैप शेयरों में पैसा लगाता है. वहीं डेट कैटेगरी में यह फंड एनसीडी, सीडी और टी-बिल में निवेश करता है.