तरलता और विश्वसनीयता

मनी मार्केट्स में क्रेडिट क्रंच की ऑफ-शूट, रियल एस्टेट डेवलपर्स में आत्मविश्वास का वर्तमान संकट, बड़े संगठित डेवलपर्स के कारण को और मजबूत करेगा, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में तेजी से बाजार हिस्सेदारी हासिल तरलता और विश्वसनीयता की है और अपने साथियों की तुलना में मजबूत उभरा है। कोटक तरलता और विश्वसनीयता इंस्टीट्यूशनल इक्विटी रिसर्च के मुताबिक। बड़ी सूची की बिक्री से किसी भी संपार्श्विक क्षति को कम किया जाएगा, क्योंकि शीर्ष तीन शहरों में कुल सूची का केवल 11 प्रतिशत वें हैरिपोर्ट पूरी तरह से निर्माण के विभिन्न चरणों में शेष राशि के साथ ई पूर्ण श्रेणी है।
कोटक के शीर्ष तीन शहरों के इन्वेंट्री डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि कुल मिलाकर, सूची का केवल 13 प्रतिशत (75 मिलियन वर्ग फीट) पूरा हो गया है, जबकि शेष 87 प्रतिशत सूची (618 मिलियन वर्ग फीट) अभी भी है निर्माणाधीन। तनावग्रस्त डेवलपर्स द्वारा मूल्य-आधारित परिसंपत्ति मुद्रीकरण रणनीति, केवल पूर्ण सूची के मामले में अधिक प्रभावी होगी, यह उल्लेखनीय तरलता और विश्वसनीयता है। एक्कोरडरावना, पूर्ण सूची का कम अनुपात विश्वसनीय अचल संपत्ति डेवलपर्स के लिए बिक्री मूल्य पर क्रेडिट क्रंच के संपार्श्विक क्षति को कम कर तरलता और विश्वसनीयता सकता है। बिक्री के वर्तमान स्तर पर, मौजूदा सूची में अवशोषित होने के लिए 50 महीने लगेंगे। हालांकि, अगर वृद्धिशील बिक्री अकेले पूर्ण सूची की ओर निर्देशित की जाती है, तो वर्तमान सूची पांच से छह महीने के भीतर अवशोषित की जा सकती है।
तरलता और विश्वसनीयता
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तरलता और विश्वसनीयता
पिछले कुछ साल से संबद्घ पक्षों और देसी- विदेशी नीति निर्माताओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने दो कारणों से काफी अच्छी साख बनाई है। पहला, वैश्विक बाजारों में लीमन ब्रदर्स जैसे हालात बनने के बाद बैंक ने गवर्नर दुवुरी सुब्बाराव के नेतृत्व और उनके द्वारा उठाए गए कदमों में भरोसा और परिपक्वता दिखाई। दूसरा, बैंक ने नीतिगत मामलों में चल रहे रुझान का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। खासतौर पर मंदी से पहले, इस कारण भारत अटलांटिक पार के बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों में बहने वाली हवाओं की चपेट में आने से बच गया। हालांकि मार्च के मौद्रिक नीति वक्तव्य से ऐसा लगेगा कि मानो महंगाई से निपटने में केंद्रीय बैंक की नीतियां कारगर साबित नहीं हुई। पिछले वित्त वर्ष के दौरान बैंक ने तीन बार संशोधन कर मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया लेकिन वित्त वर्ष के अंत में मुद्रास्फीति बैंक के अनुमान 8 फीसदी के मुकाबले 9 फीसदी रही। इस कहानी में एक चक्कर है। मूल महंगाई, जिसे खाद्य व ईंधन को छोड़कर बाकी उत्पादों के दाम में आई तेजी के आधार पर मापा जाता है, उसमें दिसंबर के बाद से तेजी आई। इससे पता चलता है कि बढ़ती महंगाई का ठीकरा सिर्फ स्थानीय या वैश्विक आपूर्ति तरलता और विश्वसनीयता शृंखला में कमी के सिर नहीं फोड़ा जा सकता है, जिससे खाद्य व ईंधन के दाम बढ़ते हैं। महंगाई से निपटने के लिए बैंक को और आक्रामकता दिखानी चाहिए।
Festive Season: त्योहारी मौसम में बैंकों की जमा में आ सकती है भारी गिरावट, 40 महीनों में पहली बार घटी तरलता
आने वाले त्योहारी मौसम में भारतीय बैंकों को जमा में कमी का सामना करना पड़ सकता है। पहले से ही नकदी की तंगी और बढ़ते कर्ज के बीच इन बैंकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। त्योहारों में अचानक बैंकों से ज्यादा रकम निकलती है क्योंकि बड़े पैमाने पर ग्राहक इस दौरान खरीदी करते हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में 40 महीनों में पहली बार भारतीय बैंकिंग सिस्टम में तरलता की कमी आई है।
ब्रोकरेज हाउस मैक्वायरी में वित्तीय अनुसंधान के प्रमुख सुरेश गणपति ने कहा, हमें लगता है कि जमा और कर्ज में वृद्धि के बीच बैंकों को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि जमा की वृद्धि दर केवल 9.5 फीसदी है और कर्ज की वृद्धि 15.5 फीसदी से ऊपर है।
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आने वाले त्योहारी मौसम में भारतीय बैंकों को जमा में कमी का सामना करना पड़ सकता है। पहले से ही नकदी की तंगी और बढ़ते कर्ज तरलता और विश्वसनीयता के बीच इन बैंकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। त्योहारों में अचानक बैंकों से ज्यादा रकम निकलती है क्योंकि बड़े पैमाने पर ग्राहक इस दौरान खरीदी करते हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में 40 महीनों में पहली बार भारतीय बैंकिंग सिस्टम में तरलता की कमी आई है।
ब्रोकरेज हाउस मैक्वायरी में वित्तीय अनुसंधान के प्रमुख सुरेश गणपति ने कहा, हमें लगता है कि जमा और कर्ज में वृद्धि के बीच बैंकों को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि जमा की वृद्धि दर केवल 9.5 फीसदी है और कर्ज की वृद्धि 15.5 फीसदी से ऊपर है।
लोग नकदी भी रखते हैं
रिपोर्ट के अनुसार, त्योहारी मौसम में जैसे-जैसे तेजी आएगी, तरलता और भी कम होती जाएगी। इसके अलावा इस दौरान लोग बहुत अधिक नकदी भी रखते हैं। इससे तरलता और घटेगी। एलएंडटी फाइनेंशियल की मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे निस्तुरे ने कहा कि सिस्टम में अतिरिक्त तरलता के कारण बैंक जमा दरों को बढ़ाने में पीछे हो गए हैं। हालांकि उधारी पर ब्याज तुरंत बढ़ गई। इसलिए बैंकों को अब जमा पर ब्याज बढ़ाना होगा। बैंक थोक जमाओं पर ज्यादा निर्भर रहते हैं और यह उनके लिए खराब है।
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