एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण

पिछले दो साल सोयाबीन और मक्के की वायदा कीमतों के लिए तेज रहे हैं। भले ही बीन्स ने 2021 में केवल 1.03% की बढ़त दर्ज की, 2020 में तिलहन वायदा 39.48% बढ़ा। 2020 में मकई वायदा 24.82% अधिक हो गया, जो 2021 में एक और 22.57% लाभ जोड़ रहा है।
RMB मूल्यह्रास कपड़ा विदेश व्यापार उद्यम उलझन में है?
विनिमय दरों में द्विपक्षीय रूप से उतार-चढ़ाव होता है, कंपनियां बोली कैसे लगाती हैं?
आरएमबी विनिमय दर हमेशा विदेशी व्यापार कंपनियों के लिए बहुत चिंता एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण का विषय रही है। अब जब विनिमय दर एक अस्थायी युग में प्रवेश कर गई है, तो कई विदेशी व्यापार कंपनियां अचानक थोड़ा असहज हो गई हैं।
ह्यूगो.कॉम ने सीखा कि पिछले साल के अंत में आरएमबी प्रशंसा की अवधि की तुलना में, अगर विदेशी व्यापार कंपनियां मौजूदा विनिमय दर पर यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका से आदेश लेती हैं, तो मुद्रा मूल्य में परिवर्तन सीधे 1 के बारे में ला सकता है। निर्यात कंपनियों के लिए% -2% लाभ वृद्धि।
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने कहा, 39 डॉन, 1% -2% के लाभ की वृद्धि को कम मत समझना। कपड़ा, कपड़े और चमड़े के जूते जैसी श्रम-गहन निर्यात कंपनियों के लिए, वे विनिमय दर के उतार-चढ़ाव में बदलाव से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। अतीत में, मुनाफा पतला था, और कुछ कंपनियों के मुनाफे एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गए हैं। यदि आरएमबी की सराहना जारी है, तो कई छोटे व्यवसाय गिर जाएंगे।
अनाज निवेशकों को मकई-सोयाबीन की कीमतों में वृद्धि पर नज़र क्यों रखनी चाहिए?
हर साल उन फसलों के लिए एक नया रोमांच होता है जो दुनिया को खिलाती हैं और तेजी से शक्ति देती हैं। मकई और सोयाबीन कृषि उत्पाद हैं जो भोजन और ऊर्जा प्रदान करते हैं, और संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया का प्रमुख अनाज और तिलहन उत्पादक और निर्यातक है। जैसे ही हम 2022 के रोपण सीजन की ओर बढ़ते हैं, मार्च और अप्रैल में शुरू होते हैं, किसान इस बात पर विचार करते हैं कि उनके रकबे में कौन सी फसल लगानी है। और इनमें से कई उत्पादकों के लिए, मक्का और सोयाबीन विनिमेय फसलें हैं
मक्का-सोयाबीन अनुपात दो फसलों के बीच मूल्य संबंध है। नई फसल के नवंबर सोयाबीन वायदा मूल्य को नई फसल दिसंबर मक्का वायदा से विभाजित करने पर अनुपात की गणना 2022 फसल वर्ष के करीब आने पर की जाती है। जनवरी की शुरुआत में, अमेरिकी किसान इस मूल्य संबंध को देख रहे हैं और स्प्रेड स्तर के आधार पर मूल्य जोखिम को भी कम कर सकते हैं।
भारत के विदेशी दृष्टिकोण का नया स्वरुप
यह एडिटोरियल 22/07/2021 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “Expanding India’s Foreign Policy Canvas” लेख पर आधारित है। यह वैश्विक आर्थिक क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों की पड़ताल करता है और चर्चा करता है एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण कि भारत किस प्रकार अपने विदेश नीति एजेंडे का विस्तार कर महज एक आकांक्षी शक्ति से एक वास्तविक वैश्विक शक्ति में परिणत हो सकता है।
कोविड-19 महामारी से एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण डेढ़ वर्ष से अधिक समय तक जूझने के बाद विश्व अब उबर रहा है और वैश्विक आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहा है।
इस क्रम में एक ओर एक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर (Minimum Corporate Tax) व्यवस्था स्थापित करने के लिये एक नए वैश्विक कर (Global Tax) पर विचार किया जा रहा है, तो दूसरी ओर शुद्ध शून्य उत्सर्जन (Net Zero Emissions) लक्ष्यों में सहायता के लिये कार्बन सीमा शुल्क का अनावरण किया जा रहा है।
भारत की विदेश नीति
- भू-राजनीति पर केंद्रित: अधिकांश अन्य राज्यों की ही तरह भारतीय विदेश नीति ने आम तौर पर भू-राजनीति से संबंधित संघर्षण और मित्रता को प्राथमिकता दी है, जैसे:
- परमाणु निरस्त्रीकरण की एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण माँग
- शीत युद्ध पर प्रतिक्रिया के रूप में गुट निरपेक्ष आंदोलन
- संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना को समर्थन
- अंतर्राष्ट्रीय एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) को अंगीकार करने का आह्वान
- हालाँकि, भू-अर्थशास्त्र को कम महत्त्व दिया गया है।
- इसके अतिरिक्त, भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिन्होंने जलवायु परिवर्तन (UNFCC ), जैव विविधता (CBD) और भूमि (UNCCD) पर तीनों रियो सम्मेलनों के कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ (COP) की मेज़बानी की है।
- मानव संसाधन से संबंधित समस्याएँ: प्रवासन और मानव गतिशीलता (Migration and Human Mobility) उभरती हुई समस्याएँ हैं।
- भारत और एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण अफ्रीका युवा आबादी के सबसे बड़े क्षेत्र होंगे जबकि अधिकांश अन्य समाजों में आबादी की औसत आयु बढ़ रही होगी। भारत में अवसरों की कमी ‘ब्रेन ड्रेन’ की स्वाभाविक स्थिति उत्पन्न करती है।
आगे की राह:एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण
- भू-राजनीति तक सीमित नहीं रहना: वैश्विक आयामों को ध्यान में रखते हुए एक वृहत दृष्टिकोण एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण से विशाल सीमा-पारीय डिजिटल कंपनियों के विनियमन, बिग डेटा प्रबंधन, व्यापार-संबंधी मामले और आपदा एवं मानवीय राहत जैसे विषयों को संबोधित करना लाभदायी साबित हो सकता है।
- भारत के विदेश नीति एजेंडे को भू-राजनीति के पारंपरिक दायरे तक ही सीमित न रखते हुए विस्तार देने की आवश्यकता है।
- जलवायु, स्वास्थ्य सुरक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ विभिन्न प्रकार के भू-राजनीतिक संघर्षों के पहलू बन एक शक्तिशाली हेजिंग उपकरण रहे हैं।
- इन क्षेत्रों को दायरे में लेने की भारत की इच्छा (जिन्हें पहले वह अपनी विदेश नीति के दायरे से परे मानता था) वैश्विक परिवर्तनों की आने वाली लहर को पार कर सकने की उसकी क्षमता की कुंजी होगी।
- अभी तक भारत ने एक वैश्विक शक्ति की भूमिका निभाने की महत्त्वाकांक्षाओं के साथ एक उभरती हुई शक्ति की भूमिका ही निभाई है।
- वर्ष 2023 का G-20 शिखर सम्मेलन विश्व के प्रमुख मुद्दों पर मुखर होने और अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिये सक्रिय होने के अवसर प्रदान करेगा।