स्टॉक ट्रेड

व्हिस्की का इस्तेमाल बढ़ा लेकिन रम ऑन द रॉक्स, भारतीयों में घर पर बैठकर महंगी शराब पीने का ट्रेंड बढ़ा
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस ट्रेंड की वजह यह भी हो सकती है कि महामारी के दौरान लोगों के बाहर की बजाये घर पर रहकर पीना ज्यादा पसंद किया, और अब हो सकता है कि इससे बचने वाले पैसों का इस्तेमाल महंगी शराब खरीदने पर कर रहे हों.
एक आदमी अपनी पतलून की जेब में शराब की बोतलें रखता है | फोटो: मनीषा मोंडल | दिप्रिंट
नई दिल्ली: भारतीयों को किसी भी अन्य शराब की तुलना में व्हिस्की पीना ज्यादा पसंद है—और व्हिस्की में भी अब वे सस्ती व्हिस्की के बजाय उसके प्रीमियम ब्रांड को पीना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. शराब उद्योग से जुड़ी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ हद तक इसका कारण यह भी हो सकता है कि लोग अब घर पर ही रहकर शराब पीने के कारण बचने वाले पैसों का इस्तेमाल महंगी बोतले खरीदने में कर रहे हैं.
मुंबई स्थित वित्तीय सेवा समूह एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग की तरफ से एल्कोहलिक ब्रेवरेज इंडस्ट्री पर एक नई रिपोर्ट जारी की गई, इसके विश्लेषण में दिप्रिंट ने पाया कि भारत में शराब की कुल खपत का 93 प्रतिशत हिस्सा स्पिरिट का है जो चीन (69 फीसदी), ब्राजील (36 प्रतिशत), अमेरिका (33 प्रतिशत), यूके (22 प्रतिशत) और दक्षिण अफ्रीका (17 प्रतिशत) जैसे देशों की तुलना में काफी अधिक है.
देश में भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफए) बाजार का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट में पाया गया कि 2015-2021 की अवधि में व्हिस्की की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ी, जबकि ब्रांडी की आनुपातिक तौर पर गिरी. इस अवधि में रम की हिस्सेदारी में भी मामूली गिरावट आई है.
रिपोर्ट में बताया गया है, ‘भारतीय आईएमएफएल में बड़े पैमाने पर ब्राउन स्पिरिट्स का दबदबा है, जो वॉल्यूम में 96 फीसदी से ज्यादा योगदान देती है. सारी स्पिरिट्स की संदर्भ में बात करें तो 2021 में कुल आईएमएफएल में 64 प्रतिशत हिस्सेदारी व्हिस्की की रही. व्हिस्की की हिस्सेदारी 2014 में 59.5 प्रतिशत होने की तुलना में 2014-2021 के बीच 1 प्रतिशत सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) की दर से वृद्धि दर्ज की गई है. हालांकि कुल इंडस्ट्री वॉल्यूम में कोई वृद्धि नहीं हुई है.’
अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं
हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.
डेटा से यह भी पता चलता है कि महामारी के कारण लगी पाबंदियों की वजह से 2020 में व्हिस्की की हिस्सेदारी बढ़कर 65 प्रतिशत हो गई.
प्रीमियम ब्रांड्स पसंद आ रहे
आईएमएफएल के संदर्भ में विश्लेषण में पाया गया कि प्रेस्टीज एंड एबव (पीएंडए) सेगमेंट, जिसमें 400 रुपये प्रति 750 मिलीलीटर से अधिक कीमत वाले ब्रांड शामिल होते हैं, की हिस्सेदारी बढ़ रही है और अब कुल आईएमएफएल बाजार में इसकी 50 प्रतिशत से अधिक भागीदारी है.
रिपोर्ट में बताया गया है, ‘सीएजीआर के लिहाज से इंडस्ट्री ग्रोथ 3 फीसदी (कैलेंडर ईयर 2014-2019 में) की तुलना में पीएंडए सेगमेंट वॉल्यूम में 7 फीसदी की वृद्धि हुई है.’ रिपोर्ट कहती है ‘हमारी राय में पीएंडए सेगमेंट के भीतर प्रेस्टीज ब्रांड में सिंगल डिजिट की तुलना में प्रीमियम और लक्जरी ब्रांड ने दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की है.’
प्रीमियम और लक्जरी ब्रांड की स्पिरिट की कीमत 1,000 रुपये और 2,000 रुपये प्रति 750 एमएल से अधिक है. लोकप्रिय ब्रांड—जिनकी कीमत 400 रुपये प्रति 750 मिलीलीटर से कम है—ने 2014-2021 में अपनी हिस्सेदारी में काफी गिरावट देखी.
महामारी ने पीने का तरीका बदल दिया
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कोविड-19 के दौरान लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध और रेस्तरां/बार/पब बंद होने या उनके खुलने-बंद होने के समय पर लागू पाबंदियों की वजह से कैलेंडर वर्ष 2020 में भारत में निर्मित विदेशी शराबी की बिक्री में 18 प्रतिशत की गिरावट आई.’
शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऑफ-ट्रेड कंजम्पशन—बार, होटल, रेस्तरां, आदि के बाहर—महामारी से पहले कुल खपत का 80 प्रतिशत होता था और कैलेंडर वर्ष 2020 में यह बढ़कर 85 प्रतिशत हो गया.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हालांकि, हम अर्थव्यवस्था और रेस्तरां/बार/पब खुलने के बाद ऑफ-ट्रेड हिस्सेदारी घटने की उम्मीद कर रहे हैं. कोविड-19 के दौरान, कई राज्यों ने महामारी के कारण राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए शराब पर टैक्स बढ़ा दिया था. हालांकि, कुछ राज्यों ने बिक्री में खासी गिरावट दिखने के बाद टैक्स वृद्धि को आंशिक/पूर्ण से वापस ले लिया.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि आम तौर पर भारतीय उपभोक्ता अपने घरों के बाहर शराब के सेवन के आदी रहे हैं.
साथ ही जोड़ा गया, ‘हालांकि, कोविड-19 के प्रकोप और स्टॉक ट्रेड ऑन-ट्रेड खपत पर प्रतिबंध के कारण ऑफ-ट्रेड खपत में वृद्धि हुई. महामारी के दौरान कई उपभोक्ताओं ने घर पर शराब का सेवन शुरू कर दिया, जिससे दीर्घावधि में खपत की मात्रा काफी बढ़ सकती है, क्योंकि इससे शराब खरीद की क्षमता बढ़ सकती है.’
कुल मिलाकर देखा जाए तो हो यह रहा है कि उपभोक्ताओं को ऐसा लगने लगा है कि घर पर बैठकर शराब पीना सस्ता है क्योंकि रेस्तरां, बार और पब एमआरपी से 30-50 प्रतिशत अधिक शुल्क लेते हैं. नतीजतन, लोग घर पर पीने का विकल्प चुन रहे हैं और इससे जो पैसा बचता है उसका उपयोग प्रीमियम ब्रांड खरीदने पर कर रहे हैं.
उपभोक्ताओं को घर पर पीने के लिए प्रोत्साहित करने वाला एक अन्य फैक्टर शराब की होम डिलीवरी से संबंधित नियमों को उदार बनाया जाना भी है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘शराब की खपत और राज्यों का राजस्व और ज्यादा बढ़ाने के लिए, कई राज्यों ने होम डिलीवरी पर प्रतिबंधों में ढील दी है. पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों ने शराब की होम डिलीवरी की स्टॉक ट्रेड अनुमति दे रखी है.’
दक्षिणी राज्य आईएमएफएल के सेवन में आगे
भारत में आईएमएफएल की खपत कुछ राज्यों में सबसे ज्यादा है. शीर्ष छह राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और केरल हैं और भारत में कुल आईएमएफएल खपत में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी इन्हीं राज्यों की है.
कुछ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अन्य की तुलना में शराब बिक्री से मिलने वाले टैक्स पर अधिक निर्भर हैं. उदाहरण के तौर पर पुडुचेरी के कुल कर राजस्व का 32 प्रतिशत शराब बिक्री से आता है. यह आंकड़ा उत्तराखंड (स्टॉक ट्रेड दूसरा सबसे ज्यादा निर्भरता वाला राज्य) के लिए 25 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश के लिए 22 प्रतिशत, कर्नाटक, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में हर एक के लिए 20 प्रतिशत स्टॉक ट्रेड और केरल (सबसे कम निर्भरता) के लिए सिर्फ 4 प्रतिशत है.
हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ राज्यों में नियामकीय अनिश्चितता की वजह से इस क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है.
इसमें बताया गया है, ‘आंध्र प्रदेश (खपत के लिहाज से चौथा सबसे बड़ा राज्य) में 2019 में राज्य सरकार बदलने के बाद से शराब की खपत में गिरावट आई है. नई सरकार ने सत्ता संभालते ही एक नई शराब नीति पेश की और चरणबद्ध तरीके से दुकानों की संख्या घटाकर पूर्ण शराबबंदी लागू करने की अपनी योजना को आगे बढ़ाया. इसने राज्य-प्रबंधित खुदरा दुकानों की स्थापना की और निजी खुदरा दुकानें बंद करके बाजार की रूपरेखा ही बदल दी.
रिपोर्ट के मुताबिक, इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ सरकारी नियंत्रण से निकलकर निजी क्षेत्र की भागीदारी में चला गया है, जो उद्योग के लिए एक वरदान साबित हो सकता है.
RVNL Share Price: इस शेयर ने दोगुना कर दिया निवेशकों का पैसा! जानिए
Multibagger Stocks For 2025: शेयर मार्केट (Stock Market) में कई स्टॉक्स ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है. आज हम आपको रेलवे एक ऐसे शेयर के बारे में बताएंगे, जिसने निवेशकों के पैसे को दोगुना कर दिया है.
Rail Vikas Nigam Ltd: शेयर मार्केट (Stock Market) में कई स्टॉक्स ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है. आज हम आपको रेलवे एक ऐसे शेयर के बारे में बताएंगे, जिसने निवेशकों के पैसे को दोगुना कर दिया है. IRCTC के बाद रेल विकास निगम के शेयर (Rail Vikas Nigam Ltd Share Price) बुलेट ट्रेन की स्पीड से दौड़ रहे हैं. इस पेनी स्टॉक ने निवेशकों को बंपर रिटर्न दिया है. साथ ही कंपनी का शेयर अपने रिकॉर्ड लेवल पर ट्रेड कर रहा है.
पिछले 5 दिनों में 32 फीसदी बढ़ा स्टॉक
हफ्ते के पहले कारोबारी दिन रेल विकास निगम के स्टॉक ट्रेड शेयर में 9.35 फीसदी की तेजी है. आज कंपनी के शेयर 6.85 रुपये की बढ़त के साथ ट्रेड कर रहे हैं. वहीं, पिछले 5 दिनों में कंपनी के शेयर में 32.04 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. पिछले हफ्ते के कारोबारी सत्र में कंपनी का शेयर 19.45 रुपये बढ़ा है.
6 महीने में 147.76 फीसदी बढ़ा शेयर
अगर एक महीने का चार्ट देखें तो कंपनी के शेयर में 97.17 फीसदी की यानी 39.50 रुपये की तेजी आई है. 28 अक्टूबर को कंपनी का शेयर 40.65 रुपये के लेवल पर ट्रेड कर रहा था. वहीं, 6 महीने पहले की बात करें तो इस अवधि में शेयर की कीमतों में 147.76 फीसदी की तेजी आई है.
YTD समय में कितना बढ़ा स्टॉक?
30 मई को शेयर की कीमत 32.35 रुपये के लेवल पर थी. वहीं, आज मार्केट में रेल विकास निगम का शेयर 80.20 रुपये के लेवल पर ट्रेड कर रहा है. इस पूरे साल यानी 2022 में अबतक शेयर की कीमत में 127.05 फीसदी की तेजी रही है.
52 हफ्ते के रिकॉर्ड लेवल पर शेयर
एक साल की अवधि में शेयर की कीमतों में 141.05 फीसदी और 5 सालों में 305.82 फीसदी का रिटर्न दिया है. इस शेयर का 52 हफ्ते का रिकॉर्ड लेवल 80.60 रुपये है. वहीं, 52 हफ्ते का लो लेवल 29.00 रुपये है.
(डिस्क्लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है. शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
शेयर मार्किट न्यूज़
Foreign Investors की एक बार फिर से भारतीय शेयर मार्केट में वापसी नजर आने लगी है. नवंबर में अब तक उन्होंने शेयर बाजारों में 31,630 करोड़ रुपए निवेश किये हैं.
Stock Market This Week: बाजार में बढ़त का सिलसिला थमा, लेकिन इन स्टॉक्स में हुई कमाई
हफ्ते के दौरान बीएसई 500 में शामिल 180 स्टॉक बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं. वहीं बाकी में गिरावट देखने को मिली है. 10 से ज्यादा स्टॉक ऐसे रहे हैं जहां निवेशकों को हफ्ते के दौरान 10 प्रतिशत से ज्यादा कमाई हुई है.
शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन बढ़त, सेंसेक्स 61 हजार के पार हुआ बंद
बीएसई पर ट्रेड होने वाले 3582 स्टॉक्स में 1775 स्टॉक बढ़त के साथ बंद हुए हैं. वहीं 1673 स्टॉक गिरावट के साथ बंद हुए हैं. बढ़त के साथ आज के कारोबार स्टॉक ट्रेड में 126 स्टॉक साल के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गए
इन स्टॉक्स में बने अच्छी कमाई के मौके, दिग्गजों ने दी है निवेश की सलाह
दिग्गज ब्रोकिंग फर्म्स ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, क्रॉम्पटन ग्रीव्स और डाबर में निवेश की सलाह दी है. और इनमें 28 प्रतिशत तक के रिटर्न का अनुमान है
आईटी सेक्टर में इस हफ्ते हुई निवेशकों की कमाई, इन 3 स्टॉक्स में आगे भी कमाई के हैं मौके
ब्रोकरेज हाउस ने एचसीएल टेक, इंफोसिस और टीसीएस में निवेश की सलाह दी है. सेक्टर पर भरोसा बढ़ने के साथ ही इस हफ्ते बाजार में गिरावट के बीच भी आईटी सेक्टर में निवेशकों की कमाई हुई है.
Stock Market Crash: 1 दिन में निवेशकों के 4 लाख करोड़ स्वाहा, इन शेयरों का हुआ बुरा हाल
निफ्टी में शामिल स्टॉक्स में आज 3 को छोड़कर बाकी सभी को नुकसान हुआ है. वहीं बीएसई पर ट्रेड होने वाले कुल 3563 स्टॉक में 2408 स्टॉक्स में निवेशकों के पैसे डूब गए.
इस हफ्ते शेयर बाजार में दिखी बढ़त, इन स्टॉक्स में हुई निवेशकों की तगड़ी कमाई
हफ्ते के दौरान सबसे ज्यादा तेजी मेटल सेक्टर में देखने को मिली. इस दौरान इंडेक्स 5.7 प्रतिशत बढ़ गया. वहीं कैपिटल गुड्स इंडेक्स 3.6 प्रतिशत बढ़ा है. साथ ही रियल्टी सेक्टर इंडेक्स में 3.4 प्रतिशत की बढ़त रही है
RBI की पॉलिसी से झूमा बाजार, 3 घंटे में हो गई 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कमाई
पॉलिसी से जुड़े ऐलान के बाद सेंसेक्स बढ़त के बाद 57400 और निफ्टी 17100 के पार पहुंच गया. रिजर्व बैंक ने आज प्रमुख दरों में अनुमान के मुताबिक ही आधा प्रतिशत की बढ़त स्टॉक ट्रेड की है.
बाजार में थम नहीं रही गिरावट, सेंसेक्स 500 अंक लुढ़का, निवेशकों के 2 लाख करोड़ रुपये डूबे
आज के कारोबार में निवेशकों को 2.21 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वही बीते 6 दिनों में निवेशकों की कुल 15.31 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति डूब गई है.
स्टॉक ट्रेड
SEBI ने नॉन-कन्वर्टिबल सिक्योरिटीज में OTC ट्रेडों के लिए एक समान प्रारूप जारी किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सूचीबद्ध नॉन-कन्वर्टिबल सिक्योरिटीज (NCS) में ओवर-द-काउंटर (OTC) ट्रेडों की रिपोर्टिंग के लिए एक समान प्रारूप जारी किया है।
- नए नियम 1 जनवरी, 2023 से लागू होंगे।
i. SEBI के मुताबिक लिस्टेड NCS में OTC ट्रेडिंग को लेकर निवेशकों से स्टॉक एक्सचेंजों को गलत और अधूरी जानकारी दी जाती है।
- नतीजतन, एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर गलत और विकृत जानकारी प्रदर्शित की जाती है।
ii. इस समस्या का समाधान करने के लिए, SEBI ने अनिवार्य किया है कि सभी OTC ट्रेडों को एक समान प्रारूप में रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
ओवर-द-काउंटर (OTC)
i. OTC ट्रेड आमतौर स्टॉक ट्रेड पर दो बाजार संस्थाओं के बीच किए जाते हैं, दूसरों को उस कीमत के बारे में पता नहीं होता है जिस पर लेनदेन पूरा हुआ था।
ii. प्रारूप में सौदे के प्रकार (दलाली या प्रत्यक्ष), ISIN, सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों, जारीकर्ता का नाम, कूपन दर, निर्गम विवरण, व्यापारित मूल्य, व्यापार की उपज, व्यापार की तारीख और समय, निपटान की तारीख, निपटान की स्थिति और RFQ (रिक्वेस्ट फॉर कोट) प्लेटफॉर्म पर किए गए रिपोर्ट किए गए व्यापार का प्रकटीकरण अनिवार्य है।
iii. SEBI ने स्टॉक एक्सचेंजों को दिशानिर्देशों के अनुपालन की जांच करने और नियमित आधार पर OTC ट्रेडों की निवेशक रिपोर्टिंग में किसी भी तरह की विसंगतियों की रिपोर्ट करने का आदेश दिया है।
SEBI ने इनसाइडर ट्रेडिंग रूल्स के तहत म्युचुअल फंड की खरीद, बिक्री में संशोधन किया
SEBI ने इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के दायरे में म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद और बिक्री को शामिल करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (प्रोहिबिशन ऑफ इनसाइडर ट्रेडिंग) विनियम, 2015 में संशोधन किया है।
- नए नियमों को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (प्रोहिबिशन ऑफ इनसाइडर ट्रेडिंग) (स्टॉक ट्रेड संशोधन) विनियम, 2022 कहा जा सकता है।
- नए मानदंड 24 नवंबर, 2022 से प्रभावी हो गए हैं।
i. SEBI का नया फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन की घटना के मद्देनजर आया है, जिसमें फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर छह ऋण योजनाओं के मोचन की समय सीमा से पहले योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी को भुनाने का आरोप लगाया गया था।
ii. वर्तमान में, इनसाइडर ट्रेडिंग रूल्स सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों या अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी (UPSI) होने पर सूचीबद्ध होने वाली प्रतिभूतियों में व्यवहार करने के लिए लागू होते हैं।
- म्युचुअल फंड यूनिट को विशेष रूप से नियमों के तहत प्रतिभूतियों की परिभाषा से बाहर रखा गया है।
प्रमुख बिंदु :
i.एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) को AMC, ट्रस्टियों, और उनके तत्काल परिवारों द्वारा धारित अपनी म्यूचुअल फंड योजनाओं की इकाइयों में होल्डिंग के बारे में जानकारी को स्टॉक एक्सचेंजों के प्लेटफॉर्म पर समग्र आधार पर प्रकट करना होगा।
ii. मौजूदा इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के प्रावधानों के अनुसार, SEBI ने नामित व्यक्तियों के लिए एक न्यूनतम आचार संहिता भी विकसित की है।
iii. AMC स्टॉक ट्रेड का अनुपालन अधिकारी समापन अवधि तय करेगा, जिसके दौरान नामित व्यक्ति म्यूचुअल फंड यूनिट में लेनदेन नहीं कर सकता है।
SEBI ने नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों के जारीकर्ताओं को ग्रीन बांड जारी करने की अनुमति दी
SEBI ने घोषणा की कि नगरपालिका ऋण प्रतिभूति जारीकर्ता अब नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर जारी करने और सूचीबद्ध करने के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार ग्रीन बांड जारी कर सकते हैं।
- कार्रवाई का उद्देश्य प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करते हुए प्रतिभूति बाजार के विकास और विनियमन को बढ़ावा देना है।
यह सर्कुलर SEBI (इश्यू एंड स्टॉक ट्रेड लिस्टिंग ऑफ म्युनिसिपल डेप्ट सिक्योरिटीज) रेग्युलेशन्स, 2015 के तहत तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
प्रमुख बिंदु:
i. म्यूनिसिपल डेप्ट सिक्योरिटीज रेगुलेशन (ILMDS) नियमों की सूची के तहत “ग्रीन डेप्ट सिक्योरिटी” शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।
- हालांकि, ग्रीन डेप्ट सिक्योरिटी को SEBI (निर्गम और गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों की सूची) या गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों (NCS) के दिशानिर्देशों द्वारा परिभाषित किया गया है।
ii. नतीजतन, ILMDS विनियमों के तहत एक जारीकर्ता एक ग्रीन डेप्ट सिक्योरिटी जारी कर सकता है यदि वह NCS विनियमों के अनुसार “ग्रीन डेप्ट सिक्योरिटी” की परिभाषा को पूरा करता है।
- ऐसे जारीकर्ताओं को ILMDS नियमों में उल्लिखित मानदंडों के अतिरिक्त NCS नियमों में उल्लिखित ग्रीन डेप्ट सिक्योरिटी प्रावधानों का पालन करना चाहिए।
ग्रीन बॉन्ड्स
ग्रीन बांड अन्य प्रकार के बांडों के समान होते हैं जिसके माध्यम से एक जारीकर्ता निवेशकों से धन जुटाने के लिए एक ऋण साधन जारी करता है।
- ग्रीन स्टॉक ट्रेड बॉन्ड और रेगुलर बॉन्ड के बीच अंतर यह है कि ग्रीन बॉन्ड की पेशकश की आय “ग्रीन” परियोजनाओं के वित्तपोषण में उपयोग के लिए “निर्दिष्ट” है।
हाल के संबंधित समाचार :
i. अक्टूबर 2022 में, SEBI ने 1 अप्रैल, 2023 से म्युचुअल फंड (MF) की इकाइयों में सब्सक्रिप्शन लेनदेन के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) का विस्तार किया।
ii. इस सम्बन्ध में, एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स (AMF) ने 2FA के कार्यान्वयन के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया और 1 दिसंबर, 2022 से शुरू होने वाले द्विमासिक आधार पर प्रमाणीकरण प्रावधानों के कार्यान्वयन पर एक प्रगति रिपोर्ट भी तैयार की है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के बारे में:
अध्यक्ष– माधबी पुरी बुच
मुख्यालय– मुंबई, महाराष्ट्र
स्थापना– 1992