मौलिक विश्लेषण क्या है

भारत में चीनी घुसपैठ विवादित सीमा पर स्थायी नियंत्रण की समन्वित ‘विस्तारवादी रणनीति’ : अध्ययन
न्यूयॉर्क, 10 नवंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के एक अध्ययन के अनुसार अक्साई चिन क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण आकस्मिक घटनाएं नहीं हैं बल्कि विवादित सीमा क्षेत्र पर स्थायी नियंत्रण पाने की रणनीतिक रूप से सुनियोजित और समन्वित ‘विस्तारवादी रणनीति’ का हिस्सा हैं।
नीदरलैंड में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेल्फ्ट तथा नीदरलैंड डिफेंस एकेडमी ने ‘हिमालय क्षेत्र में बढ़ता तनाव: भारत में चीनी सीमा अतिक्रमण का भू-स्थानिक विश्लेषण’ विषयक अध्ययन किया। उन्होंने पिछले 15 साल के मौलिक आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए अतिक्रमण का भू-स्थानिक विश्लेषण किया।
बृहस्पतिवार को जारी अध्ययन में कहा गया, ‘‘हम देखते हैं कि संघर्ष को दो स्वतंत्र संघर्षों- पश्चिम और पूर्व में अलग-अलग किया जा सकता है जो अक्साई चिन तथा अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख विवादित इलाकों के इर्दगिर्द है। ’’
अध्ययनकर्ताओं ने कहा, ‘‘हमारा निष्कर्ष है कि पश्चिम में चीनी अतिक्रमण रणनीतिक रूप से नियोजित हैं जिनका उद्देश्य स्थायी नियंत्रण पाना है, या कम से कम विवादित क्षेत्रों की स्पष्ट यथास्थिति बनाकर रखना है।’’
अध्ययन करने वाले दल ने ‘घुसपैठ’ (इन्कर्जन) को भारत के क्षेत्र के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्य इलाकों में सीमा के आसपास चीनी सैनिकों की पैदल या वाहनों से किसी तरह की गतिविधि के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने एक मानचित्र पर 13 ऐसे स्थान चिह्नित किये हैं जहां बार-बार घुसपैठ होती है।
अनुसंधानकर्ताओं ने 15 साल के आंकड़ों में प्रत्येक वर्ष घुसपैठ की औसतन 7.8 घटनाएं देखीं। हालांकि भारत सरकार का आकलन इससे बहुत अधिक है।
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर सीमा विवाद है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत इसका विरोध करता है। अक्साई चिन लद्दाख का बड़ा इलाका है जो इस समय चीन के कब्जे में है।
भारत सरकार के 2019 के आंकड़ों के अनुसार चीन की सेना ने 2016 से 2018 के बीच 1,025 बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने नवंबर 2019 में लोकसभा को बताया था कि चीन की सेना ने 2016 में 273 बार घुसपैठ की जो 2017 में बढ़कर 426 हो गयीं। 2018 में इस तरह की घटनाओं की संख्या 326 रही।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अध्ययनकर्ताओं ने भारत में 2006 से 2020 तक चीनी घुसपैठ की घटनाओं के बारे में नये आंकड़ों को संग्रहित कर इनका विश्लेषण सांख्यिकीय पद्धतियों से किया।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि संघर्ष को दो क्षेत्रों- पश्चिम या मध्य (अक्साई चिन क्षेत्र) और पूर्व (अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र) में बांटा जा सकता है।
विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘भारत की पश्चिमी और मध्य सीमाओं पर चीनी घुसपैठ स्वतंत्र और आकस्मिक घटनाएं नहीं हैं जो त्रुटिवश हो जाती हों।’’
इसमें कहा गया, ‘‘अनुसंधानकर्ताओं ने देखा कि समय के साथ आमतौर पर घुसपैठ की संख्या बढ़ रही है, वहीं वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पूर्व और मध्य क्षेत्रों में संघर्ष समन्वित विस्तारवादी रणनीति का हिस्सा हैं।’’
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुब्रह्मण्यम और नॉर्थवेस्टर्न के मैककॉर्मिक स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर वाल्टर पी मर्फी ने कहा कि पश्चिम और मध्य में हुई घुसपैठ की संख्या का समय के साथ अध्ययन करके, “सांख्यिकीय रूप से यह स्पष्ट हो गया कि ये घुसपैठ आकस्मिक नहीं हैं। इनके अचानक होने की संभावना बहुत कम है, जो हमें बताती है कि यह एक समन्वित प्रयास है।’’
सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘‘पश्चिमी क्षेत्र में अधिक घुसपैठ होने की बात आश्चर्यजनक नहीं है। अक्साई चिन एक रणनीतिक क्षेत्र है जिसे चीन विकसित करना चाहता है, इसलिए यह उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह चीन के और तिब्बत तथा शिनजियांग के चीनी स्वायत्त क्षेत्रों के बीच एक महत्वपूर्ण मार्ग है।’’
अध्ययन में जून 2020 में गलवान संघर्ष का उल्लेख किया गया है जिसमें 20 भारतीय जवानों की मौत हो गयी थी तथा चीन के सैनिक भी मारे गये थे जिनकी संख्या अज्ञात है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ की खबरें अब रोजाना की बात हो गयी है।
इसमें कहा गया, ‘‘दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच बढ़ता तनान वैश्विक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है। क्षेत्र के सैन्यीकरण का नकारात्मक पारिस्थितिकीय असर है।’’
भारत और चीन के बीच पिछले 29 महीने से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध जारी है।
भारत लगातार कहता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन-चैन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि देश केवल अपने से जुड़ी कार्रवाइयों पर प्रतिक्रिया नहीं देते, बल्कि अपने मित्र गठबंधनों तथा प्रतिद्वंद्वी देशों के समूहों से जुड़ी कार्रवाइयों पर भी सक्रियता दिखाते हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘क्वाड में भारत की भागीदारी, अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा संवाद, चीन-भारत सीमा पर चीनी गतिविधि के लिए ‘ट्रिगर’ के रूप में काम कर सकता है। दूसरी ओर, चीन पाकिस्तान के साथ सहयोगात्मक गतिविधियों में शामिल है, और अफगानिस्तान में पश्चिमी शक्तियों के वापस होने के बाद जो शून्य बन गया है, उसमें जगह बनाने के लिए तैयार है।’’
अध्ययन के अनुसार, ‘‘चीन की विदेश नीति तेजी से आक्रामक हो गई है, वह ताइवान के आसपास अपने सैन्य अभ्यास बढ़ा रहा है और दक्षिण चीन सागर में उपस्थिति बढ़ा रहा है। चीन की विस्तारवादी नीतियों का मुकाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन तथा अमेरिका ने एक साझेदारी की है और भारत के लिए एक विकल्प है कि वह खुद को इन तीनों देशों के साथ संयोजित करे।’’
अध्ययन में कहा गया है कि भारत और चीन लगातार उच्च सतर्कता बरत रहे हैं और इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि निकट भविष्य में इस स्थिति में सुधार होगा। लेकिन संघर्ष का समाधान अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, विश्व अर्थव्यवस्था और हिमालय के क्षेत्र में विशिष्ट पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए अत्यंत लाभकारी होगा।
नेचर ह्यूमनिटीज और सोशल साइंस कम्युनिकेशन्स द्वारा 2021 में प्रकाशित शोधपत्रों में सुब्रमण्यम और उनके सहयोगियों ने इस बात का अध्ययन किया था कि किस-किस समय घुसपैठ अधिक होने की आशंका है।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
Gujarat Election 2022: गुजरात का 'किंग' कौन? जानिए क्या कहता है ज्योतिष ज्ञान? 90 फीसदी पूर्वानुमान सही होने का है दावा
Gujarat मौलिक विश्लेषण क्या है Election: गुजरात में सी-वोटर के सर्वे के अनुसार बीजेपी को 131-139 सीटें, कांग्रेस को 31-39 सीटें और आप को 7 से 15 सीटें मिलने का अनुमान है.
By: अभिषेक उपाध्याय | Updated at : 10 Nov 2022 02:40 PM (IST)
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में दो चरणों में चुनाव संपन्न कराए जायेंगे. पहले चरण के लिए एक दिसंबर और दूसरे चरण के लिए पांच दिसंबर को वोट डाले जायेंगे. चुनाव का रिजल्ट आठ दिसंबर को आएगा. चुनाव के नतीजों को लेकर एक भविष्यवाणी सामने आई है. गुजरात यूनिवर्सिटी में राजनीतिक पूर्वानुमान की पाठशाला चलती है. यहां के एक्सपर्ट्स मतदान के रोज ग्रहों की चाल देखकर चुनावी भविष्यवाणी करते हैं.
ग्रहों की चाल के आधार पर भविष्यवाणी
यहां के ज्योतिष ग्रहों की चाल के आधार पर राजनीतिक दलों को अनुमानित सीटें भी दे रहे हैं. खास बात यह है कि ज्योतिष की मेन फैकल्टी मौलिक भट्ट ने साल 2007 में इस क्षेत्र की व्यवहारिक जानकारी के लिए खुद निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था. वे बताते हैं कि ऐसा उन्होंने सीखने की खातिर किया था. गुजरात यूनिवर्सिटी के VC हिमांशु पांड्या ने कहा, "90 फीसदी प्रिडिक्शन हमारे सही जा रहे थे. हम कैंडिडेट्स की कुंडली का भी विश्लेषण करते हैं."
कैसी है पहले चरण की भविष्यवाणी?
गुजरात यूनिवर्सिटी की ज्योतिष फैकल्टी के शिक्षक मौलिक भट्ट पहले चरण में शामिल सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा, एक दिसंबर को सूर्य और केतु साथ में हैं. रूलिंग कैंडिडेट्स और रूलिंग पार्टी को नुकसान होने के चांस हैं. अगर रूलिंग पार्टी ने अपने कैंडिडेट्स बदल लिए तो उसे फायदा होगा, पुराने कैंडिडेट्स को नुकसान होने का अनुमान है. 'कैंडिडेंट्स जितने नए हों उतना फायदा होगा'. सौराष्ट्र इलाके में इसका असर ज्यादा देखने को मिलेगा.
कैसी है दूसरे चरण की भविष्यवाणी?
उन्होंने कहा, नॉर्थ गुजरात-गांधी नगर के ऊपर के इलाकों में चंद्र और केतु साथ है. इसलिए यहां ग्रहों के हिसाब से कैंडिडेट बदलने की जरूरत नहीं है. हां, पॉलिटिकली बदल सकते हैं पर ये जरूरी नहीं है. महिला और पिछड़े वोटरों का यहां प्रभाव अधिक है. महिला और पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों के जीतने का चांस अधिक होगा.
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क्या वोटों का होगा बंटवारा?
ग्रहों का अध्ययन करके ज्योतिष बताते हैं कि इस बार वोटों का बंटवारा तय है. ये खासतौर पर सौराष्ट्र और नॉर्थ गुजरात में होगा. इससे रूलिंग पार्टी को बड़ा फायदा होगा.
क्या है सीटों का अनुमान?
गुजरात यूनिवर्सिटी की इस पाठशाला के दो ज्योतिषियों ने ग्रहों की चाल के आधार पर सीटों का अपना पूर्वानुमान बताया है. ज्योतिषी भाई लाल की भविष्यवाणी के अनुसार, 120 बीजेपी, 40 कांग्रेस, 05 सीटें आप को मिल सकती है. ज्योतिषी नम्रता के अनुसार, 120+ बीजेपी, 40+ कांग्रेस, 10+ आप को और शेष को अन्य सीटें मिल सकती है. फैकल्टी मौलिक भट्ट ने सिर्फ सिखने, ज्योतिष और राजनीतिक पूर्वानुमान का कनेक्शन समझने के लिए खुद चुनाव लड़ा था. उन्होंने साल 2017 का चुनाव निर्दलीय लड़ा था.
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Published at : 10 Nov 2022 02:39 PM (IST) Tags: Gujarat Election Gujarat University Gujarat Assembly Election 2022 Gujarat Election 2022 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
UPSC Exams Tips: क्या ये प्रश्न किसी की भी पकड़ में नहीं आते? काम आएंगे टिप्स
UPSC Exams Tips: चाहे आप प्रारम्भिक परीक्षा के प्रश्न-पत्र को उठाकर देख लें या मुख्य परीक्षा के, वे आपको परेशान करते हैं. वे इस मायने में परेशान करते हैं कि जब आप उन्हें पढ़ते हैं, तो थोड़ी देर के लिए दिमाग घूम जाता है. समझ में नहीं आता कि यू.पी.एस.सी. आपसे जानना क्या चाह रहा है. पूछा गया प्रश्न पकड़ में नहीं आता, और जब तक वह पकड़ में आएगा नहीं, तब तक आप उसके साथ कुछ विशेष कर नहीं सकेंगे.
पकड़ में क्यों आते हैं?
अब यहां सवाल यह है कि क्या ये प्रश्न किसी की भी पकड़ में नहीं आते? और यदि कुछ लोगों की पकड़ में आते हैं, जो कि आते ही हैं, तो फिर सवाल यह है कि कुछ लोगों की पकड़ में क्यों आते हैं? इससे सिद्ध होता है कि प्रश्न ऐसा नहीं है, जो पकड़ में ही न आए. मुश्किल हमारे साथ है कि वे हमारी पकड़ में नहीं आ रहे हैं और इसका स्पष्ट प्रमुख कारण है- विषय के बेसिक्स पर पकड़ का न होना. जैसे ही विषय की बेसिक्स पर आपकी पकड़ बनेगी, प्रश्न समझ में आने लगेंगे. यह इसका पहला लाभ है.
मुख्य परीक्षा के विषय को जानें
मुख्य परीक्षा में जितने भी विषय हैं (निबंध और भाषा के पेपर्स को छोड़कर), आप उन सभी के चरित्र को जानने की कोशिश कीजिए. अधिकांश प्रश्नों के साथ ‘विश्लेषण कीजिए‘, ‘व्याख्या कीजिए‘, ‘समालोचनात्मक व्याख्या कीजिए‘ आदि-आदि शब्द जुड़े होते हैं. साफ है कि वे आपसे तथ्यों की जानकारी नहीं मांग रहे हैं, बल्कि उन तथ्यों का सहारा लेकर आपसे विश्लेषणात्मक ज्ञान की मांग कर रहे हैं यानी कि यू.पी.एस.सी. आपके दिमाग की तर्क-शक्ति का परीक्षण करना चाह रही है. तर्कवान मस्तिष्क भोथरा नहीं होता, वह आलसी नहीं होता जिसका मस्तिष्क आलसी नहीं होगा, वह व्यक्ति भी आलसी नहीं होगा. किसी भी देश को ऊर्जावान, स्मार्ट और गतिशील प्रशासकों की ही जरूरत होती है. ज़ाहिर है कि केवल वे ही मस्तिष्क तर्कशील हो सकते हैं और उन्हीं मस्तिष्कों के पास विश्लेषण की क्षमता हो सकती है, जिनके पास विषय के बेसिक्स की समझ होगी। यह इसका दूसरा लाभ है.
मांगे जाते हैं विचार
मुख्य परीक्षा के कई प्रश्नों में आपसे आपके विचार मांग लिए जाते है. उदाहरण मौलिक विश्लेषण क्या है के लिए सामान्य अध्ययन का एक प्रश्न है- “अवैध धन स्थानांतरण देश की आर्थिक प्रभुसत्ता के लिए एक गंभीर सुरक्षा जोखिम होता है. भारत के लिए इसका क्या महत्व है और इस खतरे से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?“ अब इसमें ‘क्या कदम उठाए जाने चाहिए‘ वाला अंश आपसे आपके अपने विचारों की माँग कर रहा है. इस बारे में आपके अपने विचार तब तक नहीं बनेंगे, जब तक आपको अवैध धन तथा उसके स्थानांतरण की पूरी पद्धति मालूम न हो, इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि आपको केवल ये ही बेसिक्स मालूम हैं, तो इसी के आधार पर आप इस प्रश्न का सटीक उत्तर प्रस्तुत कर देंगे. स्पष्ट है कि किसी भी विषय पर मौलिक विचार और अपने निष्कर्ष तभी निकलते हैं, जब हमें बेसिक्स की जानकारी हो. यह हुआ तीसरा लाभ.
इन तथ्यों की न करें अनदेखी
इस तथ्य की कभी अनदेखी न करें कि ज्ञान ठोस पदार्थ की तरह नहीं, बल्कि द्रव पदार्थ की तरह होता है. यह लगातार बहता रहता है और बहता की प्रक्रिया में यह कहीं से कहीं पहुंच जाता है. जहां-जहां पहुंचता है, वहां-वहां मौजूद चीजों से घुल-मिलकर नए-नए रंग-रूप और आकार-प्रकार ग्रहण करता जाता है. ज्ञान की यह प्रक्रिया सदियों से जारी है, सदियों तक जारी रहेगी और इसी प्रक्रिया के तहत हम ज्ञान की इस ऊँचाई तक पहुंच पाए हैं लेकिन सूचनाओं के साथ ऐसा नहीं होता. अधिकांश सूचनाएं ठोस पदार्थ की तरह होती हैं. वे एक ही जगह पर टिकी रहती हैं. इनका इस्तेमाल सजावट के लिए तो किया जा सकता है, लेकिन किसी दूसरे के साथ मिलाकर एक नए पदार्थ की रचना के लिए नहीं किया जा सकता. लेकिन यहां याद रखिए कि इसी सूचना को ज्ञान में परिवर्तित करके हम उसे द्रव में बदलते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे कि बर्फ को; जो ठोस रूप में होता है, पिद्यलाकर द्रव रूप में परिवर्तित किया जा सकता है.
विषय के बेसिक्स की समझ
जैसे ही आपके पास विषय के बेसिक्स की समझ आती है, आपके पास वह कला भी आ जाती है कि कैसे आप सूचनाओं को ज्ञान में परिवर्तित करके उन्हें प्रवाहशील बनाएंगे। ज्ञान का अस्तित्व अलग से नहीं होता। वह सूचनाओं में ही समाया रहता है। आपको नहीं लगता कि इस क्षमता को हासिल करके ही आप सिविल सेवा परीक्षा के प्रश्नों के उस तरह के उत्तर दे सकेंगे, जिसे यू.पी.एस.सी. ने “संगत, सार्थक और सारगर्भित“ उत्तर कहा है?
MP IAS TRANSFER LIST- मध्य प्रदेश आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची - NEWS TODAY
मध्य प्रदेश भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की स्थानांतरण सूची
श्री मलय श्रीवास्तव- अध्यक्ष कर्मचारी चयन मंडल मध्य प्रदेश तथा अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से अध्यक्ष कर्मचारी चयन मंडल मध्य प्रदेश तथा विकास आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग।
श्री नीरज मंडलोई- प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग तथा प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम से प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग।
श्री अनिरुद्ध मुकर्जी- प्रमुख सचिव लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग तथा पर्यावरण विभाग एवं पर्यावरण आयुक्त तथा महानिदेशक एप्को से प्रमुख सचिव मौलिक विश्लेषण क्या है लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग तथा महानिदेशक आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी मध्यप्रदेश का अतिरिक्त प्रभार।
श्री संजय कुमार शुक्ला- प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग से प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग।
श्री फैज अहमद किदवई- प्रमुख सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग तथा प्रमुख सचिव परिवहन विभाग अतिरिक्त प्रभार से प्रमुख सचिव परिवहन विभाग तथा जेल विभाग का अतिरिक्त प्रभार।
श्री उमाकांत उमराव- विकास आयुक्त एवं प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से प्रमुख सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग।
श्री मनीष सिंह- प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग से प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग।
श्री सुखबीर सिंह- प्रमुख सचिव खनिज साधन विभाग तथा प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश खनिज निगम से प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग।
श्री गुलशन बामरा- कमिश्नर भोपाल संभाग से प्रमुख सचिव पर्यावरण विभाग एवं पर्यावरण आयुक्त तथा महानिदेशक एप्को तथा प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी विभाग का अतिरिक्त प्रभार।
श्री संजय गोयल- प्रमुख आयुक्त तथा पदेन सचिव राजस्व विभाग तथा आयुक्त चिकित्सा शिक्षा सुप्रभात से प्रमुख राजस्व आयुक्त तथा पदेन सचिव राजस्व विभाग तथा आयुक्त भू अभिलेख एवं बंदोबस्त मध्य प्रदेश ग्वालियर का अतिरिक्त प्रभार।
श्री जॉन किंग्सली ए आर- प्रबंध संचालक मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम तथा सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग तथा पदेन सचिव प्रवासी भारतीय विभाग से आयुक्त चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग।
श्रीमती जी वी रश्मि- मुख्य कार्यपालन अधिकारी अटल बिहारी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान तथा प्रबंध संचालक कृषि विपणन बोर्ड सह-आयुक्त मंडी मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार से प्रबंध संचालक कृषि विपणन बोर्ड सह-आयुक्त मंडी मध्यप्रदेश भोपाल।
श्री श्रीमन शुक्ला- कार्यपालन संचालक पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन तथा अपर सचिव पर्यावरण विभाग तथा राजस्व विभाग तथा नियंत्रक शासकीय मुद्रणालय लेखन सामग्री तथा आयुक्त भू अभिलेख एवं बंदोबस्त मध्यप्रदेश ग्वालियर का अतिरिक्त प्रभार से विकअ सह-आयुक्त नर्मदा पुरम संभाग।
2- उपरोक्तानुसार डॉ. राजेश कुमार राजौरा, भाप्रसे (1990), अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, गृह विभाग एवं जेल विभाग तथा अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग (अतिरिक्त प्रभार) को श्री फैज अहमद किदवई, भाप्रसे (1996), द्वारा प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, जेल विभाग का कार्यभार ग्रहण करने पर अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, जेल विभाग के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त करते हुए अपने वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ-साथ अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक संचालक, आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल का प्रभार अतिरिक्त रूप से सौंपा जाता है।
3- उपरोक्तानुसार डॉ. राजेश कुमार राजौरा, भाप्रसे (1990) द्वारा संचालक, आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल का कार्यभार ग्रहण करने पर श्री अशोक शाह, भाप्रसे (1990), अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा संचालक, आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल (अतिरिक्त प्रभार) केवल संचालक, आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त होंगे।
श्री नीरज मण्डलोई, भाप्रसे (1993). प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, लोक निर्माण विभाग तथा प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (अतिरिक्त प्रभार) के अवकाश से लौटने पर प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, नगरीय विकास एवं आवास विभाग का कार्यभार ग्रहण करने पर श्री मनीष सिंह भाप्रसे (1997), प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रभार से मुक्त होंगे।
5- उपरोक्तानुसार श्री अनिरूद्ध मुकर्जी, भाप्रसे (1993) द्वारा महानिदेशक आर. सी. व्ही. पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, मध्यप्रदेश, भोपाल का कार्यभार ग्रहण करने पर श्री अजीत केसरी, भाप्रसे (1990), महानिदेशक आर.सी. व्ही. पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, मध्यप्रदेश, भोपाल तथा अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग केवल महानिदेशक आर.सी.व्ही. पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, मध्यप्रदेश भोपाल के प्रभार से मुक्त होंगे।
6- श्री प्रतीक हजेला, भाप्रसे ( AM-1995), प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग तथा प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, आयुष विभाग (अतिरिक्त प्रभार) को अपने वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ-साथ अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अटल बिहार बाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान का प्रभार अतिरिक्त रूप से सौंपा जाता है।
7- उपरोक्तानुसार श्री गुलशन बामरा, भाप्रसे (1997) द्वारा प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग का कार्यभार ग्रहण करने पर श्री जे.एन. कांसोटिया, भाप्रसे (1989), अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन वन विभाग तथा पशुपालन एवं डेयरी विभाग एवं उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग (अतिरिक्त प्रभार) केवल अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त होंगे
8- श्री निकुंज कुमार श्रीवास्तव, भाप्रसे (1998) प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश मौलिक विश्लेषण क्या है मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल को अपने वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ-साथ अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, खनिज साधन विभाग तथा प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश खनिज निगम का प्रभार अतिरिक्त रूप से सौंपा जाता है।
9- श्री चन्द्रशेखर वालिंबे, भाप्रसे (2010), उप सचिव मध्यप्रदेश शासन, राजस्व विभाग को अपने वर्तमान कर्तव्यों के साथ-साथ अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक नियंत्रक, शासकीय मुद्रण एवं लेखन सामग्री, मध्यप्रदेश, भोपाल का प्रभार अतिरिक्त रूप से सौंपा जाता है। आप पढ़ रहे हैं भोपाल समाचार डॉट कॉम मध्य प्रदेश का विश्वसनीय न्यूज़ पोर्टल
कल (अगले दिन) का राशिफल
कल एक और दिन है। यह उम्मीद का एक मजबूत बयान है। विश्वास मानवीय भावना के लिए मौलिक है। अगर आज का दिन अच्छा न हो, तो कल की बात कुछ और हो सकता है। मनुष्य का स्वाभाव ही कुछ ऐसा है कि अगर उसे ज्योतिष शास्त्र में विश्वास है, तो वह आने वाले दिन पर उम्मीद रखता है। वह काफी जिज्ञासु होता है कि उसका आने वाला दिन कैसे होगा। इसके अलावा, ज्योतिषशास्त्र कल के लिए ऐसी आकांक्षाओं को बनाए रखने में अपना योगदान प्रदान करता है।
ज्योतिष शास्त्र
ज्योतिष शास्त्र हमारे देश के धरम और संस्कार का एक बहुत बड़ा अंश है। प्राचीन काल से हमारे पूर्वजों ने, उनके गहन ज्ञान और विश्लेषण के माध्यम से महसूस किये है कि नक्षत्रों और ग्रहों जैसे खगोलीय वस्तुओं ने, लोगों के जीवन पर एक मजबूत प्रभाव डाला हैं। उनका तीव्र अध्ययन करके किसी व्यक्ति के बारे में लगभग सब कुछ प्रकट कर सकते हैं जिसमें उनका तीत वर्तमान और भविष्य भी शामिल हैं।
इस अध्ययन को वैदिक ज्योतिष या सिर्फ ज्योतिष कहा जाता है।
कुंडली, जन्मकुंडली या जन्मपत्रिका क्या है?
आपके जन्म समय और जन्म तिथि के समय आकाश में उपस्थित ग्रहों और नक्षत्रों का संयोजन और स्थिति एक विशेष चक्र के रुप में करना कुंडली चक्र या लग्न चक्र कहलाता है। कुंडली एक कर्म नक्षा है जो किसी व्यक्ति के लिए विशिष्ट है, और इसका अध्ययन जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे शिक्षा, पेशे, प्रेम, विवाह, संतान, स्वास्थ्य, आय, वित्तीय स्थिति, रिश्तें, किसी भी अमूल्य जानकारी दीर्घायु और मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। इस प्रकार यह कुंडली है जिसे ज्योतिष के संपूर्ण सरगम का आधार कहा जा सकता है।
एक कुण्डली की संरचना
ज्योतिषीय प्रणाली में 12 राशियाँ हैं, और एक कुंडली इन 12 राशियों को 12 घरों के रूप में इंगित करती है, जहाँ इनमें से प्रत्येक घर अपना विशिष्ट महत्व रखता है। 12 राशियाँ मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। विभिन्न ग्रह और नक्षत्र इन घरों में रहते हैं और एक व्यक्ति के जीवनकाल तक ये गुजरते हैं।